मुंबई:
मध्य रेलवे की मुंबई सबअर्बन लोकल के 40 लाख यात्रियों की जान खतरे में है। यह बात खुद रेल सेफ्टी कमिश्नर ने एक आरटीआई में पूछे गए प्रश्न के जवाब में लिखी है। आरटीआई के तहत जानकारी डेढ़ साल पहले हुए रेल एक्सीडेंट में अपने बेटे की मौत से आहत माता -पिता ने मांगी थी। इसके जवाब से सन्न धवल की माता दीप्ति लोडाया पूछ रही हैं कि मध्य रेलवे की लोकल मुंबई की लाइफ लाईन है या डेथ लाइन?
लोकल ट्रेनों की कई खामियां गिनाईं
रेल सेफ्टी कमिश्नर ने आरटीआई में दिए जवाब में लोकल ट्रेन के चलाने में कई खामियां गिनाई हैं। मसलन ट्रेन के डिब्बों के "फिट टूर " और "ब्रेक पॉवर" प्रमाण पत्र जारी करने की व्यवस्था नहीं है। ईएमयू में लगने वाले ज्यादातर कपलिंग, बेयरिंग और पहिए निम्न स्तर के हैं और रेल पटरी का रखरखाव तय मानक के मुताबिक नहीं है। नतीजा पिछले 3 साल में 17 रेल दुर्घटानाएं हो चुकी हैं।
रेल सुरक्षा को अभियान बनाना चाहते हैं लोडाया
धवल के पिता मयूर लोडाया का कहना है कि हमारा बेटा तो चला गया लेकिन किसी और को अपना बेटा न खोना पड़े इसलिए वे रेल सुरक्षा को एक अभियान बनाना चाह रहे हैं। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ने साफ तौर पर लिखा है कि जिस तरह से रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं, उससे साफ है कि मध्य रेल की लोकल में चलने वाले 40 लाख यात्रियों की जान जोखिम में है।
वरिष्ठ अफसर का कथन, चिंता की कोई बात नहीं
मध्य रेल के विभागीय प्रबंधक अमिताभ ओझा का दावा है कि हम हर संभव जरूरी कदम उठा रहे हैं। यही वजह है कि इस साल अभी तक सिर्फ 2 रेल दुर्घटनाएं हुई हैं। ओझा के मुताबिक जो सुधार प्रशासन ने आवश्यक पाया है वह किया है और एक घटना से ऐसा निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है। चिंता की कोई बात नहीं है।
अब सुरक्षा का सच तो रेलवे के अफसर ही जानते हैं लेकिन यह हाल उस दौर में है जब देश बुलेट ट्रेन जैसे सपने देख रहा है।
सन्न धवल की माता दीप्ति लोडाया और पिता मयूर लोडाया।
लोकल ट्रेनों की कई खामियां गिनाईं
रेल सेफ्टी कमिश्नर ने आरटीआई में दिए जवाब में लोकल ट्रेन के चलाने में कई खामियां गिनाई हैं। मसलन ट्रेन के डिब्बों के "फिट टूर " और "ब्रेक पॉवर" प्रमाण पत्र जारी करने की व्यवस्था नहीं है। ईएमयू में लगने वाले ज्यादातर कपलिंग, बेयरिंग और पहिए निम्न स्तर के हैं और रेल पटरी का रखरखाव तय मानक के मुताबिक नहीं है। नतीजा पिछले 3 साल में 17 रेल दुर्घटानाएं हो चुकी हैं।
प्रतीकात्मक फोटो
रेल सुरक्षा को अभियान बनाना चाहते हैं लोडाया
धवल के पिता मयूर लोडाया का कहना है कि हमारा बेटा तो चला गया लेकिन किसी और को अपना बेटा न खोना पड़े इसलिए वे रेल सुरक्षा को एक अभियान बनाना चाह रहे हैं। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ने साफ तौर पर लिखा है कि जिस तरह से रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं, उससे साफ है कि मध्य रेल की लोकल में चलने वाले 40 लाख यात्रियों की जान जोखिम में है।
प्रतीकात्मक फोटो
वरिष्ठ अफसर का कथन, चिंता की कोई बात नहीं
मध्य रेल के विभागीय प्रबंधक अमिताभ ओझा का दावा है कि हम हर संभव जरूरी कदम उठा रहे हैं। यही वजह है कि इस साल अभी तक सिर्फ 2 रेल दुर्घटनाएं हुई हैं। ओझा के मुताबिक जो सुधार प्रशासन ने आवश्यक पाया है वह किया है और एक घटना से ऐसा निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है। चिंता की कोई बात नहीं है।
अब सुरक्षा का सच तो रेलवे के अफसर ही जानते हैं लेकिन यह हाल उस दौर में है जब देश बुलेट ट्रेन जैसे सपने देख रहा है।
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