प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
एक विशेष सीबीआई अदालत ने राजधानी एक्सप्रेस और अन्य सुपर फास्ट ट्रेनों में बोतलबंद पेयजल की आपूर्ति में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में गिरफ्तार तीन आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश विनोद कुमार ने वरिष्ठ रेल अधिकारी - संदीप सिलास और एमएस चालिया और व्यापारी शरण बिहारी अग्रवाल को उस वक्त न्यायिक हिरासत में भेज दिया जब सीबीआई ने कहा कि फिलहाल जांच के लिए पुलिस हिरासत में उनकी पूछताछ की अब और जरूरत नहीं है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘सभी तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया।’ आरोपियों की पांच दिन की सीबीआई हिरासत पूरी होने के बाद उन्हें अदालत के समक्ष पेश किया गया।
जांच एजेंसी ने कहा कि सिलास और चलिया ने अग्रवाल के साथ साजिश रची और रेल नीर लेने की जगह उन्होंने कुछ निजी फर्मों को ट्रेनों में पानी आपूर्ति करने की इजाजत दे दी जिससे सरकारी खजाने को तकरीबन 6.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान छापेमारी की गई। छापेमारी में तकरीबन 28 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए जिनमें से चार लाख रुपये के जाली नोट थे।
इस घोटाले के सिलसिले में भारतीय रेल यातायात सेवा (आईआरटीएस) के 1984 बैच के अधिकारी सिलास और 1987 बैच के अधिकारी चलिया को आर. के. ऐसोसिएट्स के मालिक अग्रवाल के साथ शनिवार की रात हिरासत में लिया गया। उनके अलावा, सीबीआई ने भ्रष्टाचार निमरुलन अधिनियम के प्रावधानों के तहत सात निजी कंपनियों - आर. के. ऐसोसिएट्स प्राइवेट लि., सनशाइन प्राइवेट लि., बृंदावन फुड प्रोडक्ट और फुड वर्ल्ड के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिलास और चलिया मुख्य व्यावसायिक प्रबंधक के पद पर आसीन थे और उन्होंने रेल नीर की जगह सस्ते बोतलबंद पेयजल की आपूर्ति के लिए इन कंपनियों की तरफदारी की। उल्लेखनीय है कि राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस समेत प्रमुख ट्रेनों में रेल नीर की आपूर्ति अनिवार्य है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश विनोद कुमार ने वरिष्ठ रेल अधिकारी - संदीप सिलास और एमएस चालिया और व्यापारी शरण बिहारी अग्रवाल को उस वक्त न्यायिक हिरासत में भेज दिया जब सीबीआई ने कहा कि फिलहाल जांच के लिए पुलिस हिरासत में उनकी पूछताछ की अब और जरूरत नहीं है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘सभी तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया।’ आरोपियों की पांच दिन की सीबीआई हिरासत पूरी होने के बाद उन्हें अदालत के समक्ष पेश किया गया।
जांच एजेंसी ने कहा कि सिलास और चलिया ने अग्रवाल के साथ साजिश रची और रेल नीर लेने की जगह उन्होंने कुछ निजी फर्मों को ट्रेनों में पानी आपूर्ति करने की इजाजत दे दी जिससे सरकारी खजाने को तकरीबन 6.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान छापेमारी की गई। छापेमारी में तकरीबन 28 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए जिनमें से चार लाख रुपये के जाली नोट थे।
इस घोटाले के सिलसिले में भारतीय रेल यातायात सेवा (आईआरटीएस) के 1984 बैच के अधिकारी सिलास और 1987 बैच के अधिकारी चलिया को आर. के. ऐसोसिएट्स के मालिक अग्रवाल के साथ शनिवार की रात हिरासत में लिया गया। उनके अलावा, सीबीआई ने भ्रष्टाचार निमरुलन अधिनियम के प्रावधानों के तहत सात निजी कंपनियों - आर. के. ऐसोसिएट्स प्राइवेट लि., सनशाइन प्राइवेट लि., बृंदावन फुड प्रोडक्ट और फुड वर्ल्ड के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिलास और चलिया मुख्य व्यावसायिक प्रबंधक के पद पर आसीन थे और उन्होंने रेल नीर की जगह सस्ते बोतलबंद पेयजल की आपूर्ति के लिए इन कंपनियों की तरफदारी की। उल्लेखनीय है कि राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस समेत प्रमुख ट्रेनों में रेल नीर की आपूर्ति अनिवार्य है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
रेल नीर घोटाला, सीबीआई कोर्ट, भारतीय रेल, रेलवे, रेलवे में घोटाला, न्यायिक हिरासत, Rail Neer Scam, CBI Court, Indian Railway, Railway, Scam In Railway, Judicial Custody