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This Article is From Apr 29, 2015

मोदी पर वार : राहुल गांधी बोले, क्या जो गरीब मेक इन इंडिया करता है, वो मेक इन इंडिया नहीं होता?


सरहिंद (पंजाब): विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ संघर्ष को पंजाब तक पहुंचाने के लिए राहुल गांधी मंगलवार को रेलगाड़ी से राजग शासित इस राज्य पहुंचे और राज्य की तीन प्रमुख मंडियों का दौरा कर ‘‘अपनी आंखों से’’ किसानों की हालत देखी। (देखें वीडियो : किसानों की आवाज उठाऊंगा : राहुल गांधी)

टीशर्ट और जींस पहने कांग्रेस उपाध्यक्ष पंजाब के सीमावर्ती हरियाणा के इस शहर में आज शाम सचखंड एक्सप्रेस की सामान्य बोगी में बैठकर पहुंचे। उनके आलोचकों ने इस दौरे को ‘‘राजनीतिक’’ नाटक बताया है। इसके बाद वह फतेहगढ़ साहिब की स्थानीय अनाज मंडी में पहुंचे।

राहुल गांधी ने चंडीगढ़ निकलने से पहले पत्रकारों से कहा, कल मैंने किसानों से बात की, उनका दुख समझने की कोशिश की, जैसे मैंने कल कहा था, पंजाब हिंदुस्तान को अनाज देता है, भोजन देता है, सिर्फ पैसे की बात नहीं है, अच्छा है कि पैसा दिया है, मगर उनकी जो आवाज है, उनका जो दर्द है, उसको सुनने और समझने की बात है। पीएम जी मेक इन इंडिया की बात करते हैं, पंजाब का जो किसान है, शायद उससे ज्यादा मेक इन इंडिया कोई करता नहीं है, इसने देश को खड़ा किया है। क्या जो गरीब मेक इन इंडिया करता है, वो मेक इन इंडिया नहीं होता? वो कुछ और होता है?

राहुल ने कहा, सेंटर की  जो सरकार है, पंजाब की जो सरकार है, उन्हें किसान की मदद करनी चाहिए, किसान हिंदुस्तान की रीड़ की हड्डी हैं, मजदूर, जो खेतों पर काम करते हैं, हिंदुस्तान की रीड़ की हड्डी हैं। शुरुआत वहां से होनी चाहिए।

एक प्रश्न,  ये आपने जो शुरुआत की है, आगे कैसे जारी रखेंगे के जवाब में राहुल गांधी ने कहा, मेरी कोशिश है कि जहां भी किसान के खिलाफ, मजदूर के खिलाफ अत्याचार हो रहा है, जहां भी उसके दर्द को नहीं सुना जा रहा है, वहां मैं जाकर उनकी आवाज को
उठाऊं।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताया गया कि हालात बहुत खराब हैं। इसलिये मैं स्वयं इसे देखना चाहता था।’’ राहुल ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में बैठकर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं पंजाब जा रहा हूं। मैंने अपने भाषण में (संसद में) कहा था कि जो लोग देश को अपनी जमीन जोतकर खाद्यान्न, भोजन मुहैया कराते हैं उनकी जमीन छीनी जा रही है। यह गलत है और हम इसका विरोध करेंगे।’’ (देखें वीडियो रिपोर्ट : राहुल ने की पंजाब के किसानों से मुलाक़ात)

कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और पंजाब मामलों के प्रभारी एवं पार्टी महासचिव शकील अहमद भी उनके साथ थे।

यह पूछने पर कि उनके दौरे को राजनीतिक बताया जा रहा है तो राहुल ने पलटकर पूछा, ‘‘वे हर चीज को गैर-राजनीतिक बनाने के लिए क्या करना चाहते हैं?’’ राहुल ने खन्ना और गोबिंदगढ़ मंडियों का भी दौरा किया जहां किसानों को बेमौसम बारिश के कारण अपने उत्पादों को बेचने में कठिनाई आ रही है। राहुल ने आज जिन तीन मंडियों का दौरा किया वे राज्य की तीन मुख्य अनाज मंडियां हैं।

उन्होंने खन्ना अनाज मंडी में विरोध कर रहे किसानों की समस्याएं भी सुनी जिसे एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडियों में एक माना जाता है।

राहुल ने कहा कि किसानों का जमीन उपयुक्त मुआवजे का भुगतान किए बगैर जबरन छीनी जा रही है जिसका उद्देश्य दो-तीन उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना है।

राहुल प्रदर्शनकारी किसानों के साथ हो लिए और उनके वाहनों के दरवाजे पर खड़े होकर कहा कि सरकार नाम की कोई चीज नहीं है और किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही है। खन्ना मंडी में कुछ किसानों ने आपत्ति जताई कि सुरक्षाकर्मियों, मीडियाकर्मियों और राज्य कांग्रेस के नेताओं के कारण राहुल से उनकी ठीक से बातचीत नहीं हो पाई।

कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुमारी सैलजा के फ्लैक्स बोर्ड ले रखे थे और राहुल के समर्थन में नारे लगाए।

बहरहाल केंद्रीय मंत्री और अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने राहुल के मंडी दौरे को ‘‘नौटंकी’’ बताया।

कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि पंजाब सरकार किसानों के उत्पादों को पर्याप्त मात्रा में नहीं खरीद रही है।

राहुल ने हाल में सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाए थे कि वह कृषि समुदाय की ‘‘उपेक्षा’’ कर रही है और उद्योगपतियों एवं धनी लोगों का पक्ष ले रही है।

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाए हैं कि हाल में हुई बेमौसम बारिश में वह अलग-अलग आंकड़े दे रही है।

बजट सत्र के प्रथम चरण में अनुपस्थित रहे राहुल 56 दिनों की छुट्टी से लौटने के बाद किसानों और युवकों के मुद्दे उठा रहे हैं।

कांग्रेस उपाध्यक्ष मई के पहले हफ्ते में महाराष्ट्र के विदर्भ या तेलंगाना क्षेत्र से पदयात्रा करने की भी योजना बना रहे हैं ताकि किसानों से जुड़ सकें।

राहुल द्वारा किसानों के मुद्दे को जोर-शोर से उठाने को ऐसे समय में पार्टी को जमीन से जुड़ने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है जब पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनावों में इसके सांसदों की संख्या 44 रह गई थी जबकि 2009 के चुनावों में इसके 206 सांसद थे।

राजग के भूमि विधेयक और कृषि संकट के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए माहौल को पार्टी किसानों के बीच अपनी पैठ बनाने के अवसर के रूप में देख रही है।

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