राफेल (Rafale) मामले पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. इस मामले में याचिकाकर्ताओं यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने पुनर्विचार याचिका पर लिखित दलीलें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल की हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वे भारत सरकार के ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें, जिन्होंने 'सील कवर' में सुप्रीम कोर्ट को झूठी जानकारी सौंपी थी. उन्होंने पुराने फैसले को वापस लेने का आह्वान किया है क्योंकि सरकार ने अदालत से सामग्री और प्रासंगिक जानकारी को छिपाया था और न्यायालय से गए धोखाधड़ी के आधार पर ये फैसला पाया. रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के आधार पर उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि वो 4 अक्टूबर 2018 को की गई शिकायत पर सीबीआई जांच का निर्देश दें जिस पर सीबीआई ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.दरअसल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए सभी पक्षकारों को दो हफ्ते में लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था.
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इससे पहले राफेल डील (Rafale deal) में रिव्यू पीटिशन दाखिल करने वाले याचिकाकर्ताओं ने केंद्र के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया था. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि जिस सीएजी की रिपोर्ट का हवाला दिया गया उसमें कई खामियां हैं. सीबीआई ने कई बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद मामले की जांच नहीं की. सीएजी रिपोर्ट में बैंक गारंटी वेब ऑफ को लेकर कोई जिक्र नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि सरकार ने जानकारी छुपाई और कई जगह गलत बयानी कर मनमुताबिक फैसला लिया. उन्होंने कहा था कि राफेल सौदे (Rafale deal) में समझौते का मसौदा तैयार करने में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के सुझाए आदर्श नियमों की अनदेखी की गई.
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