युद्दपोत आईएनएस कोलकाता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया। निसंदेह भारतीय नौसेना के लिए आज का दिन बहुत मायने रखता है। हो भी क्यों न ये देश में बना अब तक का सबसे बड़ा देसी युद्दपोत जो है, लेकिन कुछ सवाल है पता नही इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को दी गई है या नहीं?
पहली बात ये जंगी जहाज पूरी तरह से ऑपरेशनल तौर पर तैयार नही है, ना तो इसमें हवाई मिसाइल लगे है और ना ही इसका सेंसर असरदार है। यानि सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाला मिसाइल नहीं है, जिससे ये अपनी हिफाजत करने में सक्षम नहीं है। वहीं इसमें सेंसर भी नहीं लगे हैं, जो दुश्मन की पनडुब्बी पता लगा सके।
साफ है ये जंगी जहाज तो है, लेकिन लड़ाई में अपने दम पर हिस्सा नहीं ले सकता है। अगर हिस्सा लिया तो इसके हिफाजत के लिए दूसरा जंगी जहाज तैनात करने होंगे। तो फिर इसे शामिल कराने की इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई?
दूसरी और सबसे अहम बात प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि 'नौसेना की बात करता हूं तब छत्रपति शिवाजी का स्मरण स्वाभाविक है.. नौसेना में सबसे पहले किसी का योगदान था तो छत्रपति शिवाजी का था।' लेकिन ये बात सही नही है, हिंदुस्तान में सबसे पहले अगर किसी ने अपनी मजबूत नौसेना बनाई तो वह थे दक्षिण में चोल राजा, जिन्होंने नौवी शताब्दी में अपने नौसेनिक बेड़े के दम पर न केवल श्रीलंका, बल्कि इंडोनेशिया तक विजय पताका फहराया थी। हलांकि शिवाजी ने भी अपनी मजबूत नौसेना की नींव रखी थी, लेकिन ये वक्त 17वीं शताब्दी का था, यानि चोल राजाओं से करीब आठ सौ साल बाद।
इसके लिए प्रधानमंत्री को कत्तई जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। ज्यादा संभावना ये है कि उनको या तो पूरी जानकारी नहीं दी गई होगी या फिर गलत जानकारी दी गई हो। लेकिन दाद देनी होगी मझगांव डॉकयॉड के इंजीनियरों और कर्मचारियों का जिनके अथक प्रयासों का ये नतीजा है और मोदी का ये कहना कि 'पूरे देश ने यूनिफार्म नहीं पहनी है, लेकिन वे सेना के पीछे खड़े हैं।' यह बात सुनकर देश की हिफाजत में लगे जवानों का हौसला और बुलंद हो गया।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं