परमवीर चक्र विजेताओं की शौर्य गाथाएं अब कॉमिक्स में, पहले अंक का विमोचन

परमवीर चक्र विजेताओं की शौर्य गाथाएं अब कॉमिक्स में, पहले अंक का विमोचन

स्मृति ईरानी परमवीर चक्र विजेता हवलदार अब्दुल हमीद की पत्नी को सम्मानित करती हुईं।

नई दिल्ली:

पांच परमवीर चक्र विजेताओं की वीरगाथाएं कॉमिक्स की शक्ल में  गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को रिलीज की गई। नेशनल बुक ट्रस्ट की योजना 21 परमवीर चक्र विजेताओं पर ऐसी ही कॉमिक्स निकालने की है।

प्रेरणा देंगी बहादुरी की कहानियां
भारत के शूरमाओं की गाथा अब बच्चों की कॉमिक्स के रूप में सामने आ गई है। बहादुरी की यह विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने दिल्ली में परमवीर चक्र विजेताओं की जीवनी पर कॉमिक्स जारी की। इस मौके पर स्मृति ईरानी ने कहा कि आज की पीढ़ी मेजर सोमनाथ शर्मा और सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल जैसे बहादुरों  के बारे में बहुत कुछ नहीं जानती। वीरगाथा कोशिश है कि युवा पीढ़ी इनके बारे में जाने।      

समारोह को संबोधित करते हुए जनरल दलबीर सिंह।

पहले अंक में पांच शूरमाओं की गाथाएं
सन 1947 में कश्मीर में घुसी पाक सेना को खदेड़ने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा, 1962 में चीन से लोहा लेने वाले मेजर शैतान सिंह, सन 1965 की जंग के हीरो हवलदार अब्दुल हमीद, सन 1971 में पाकिस्तानी टैंकों का मुकाबला करने वाले सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल और करगिल के शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय पर यह कॉमिक्स प्रकाशित की गई है।

समारोह में उपस्थित परमवीर चक्र विजेताओं के परिजन।

विजेताओं के परिजन हुए भावुक
समारोह में मेजर शैतान सिंह के भाई नरपत सिंह ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मेरे भाई को याद किया जा रहा है। इससे युवा पीढ़ी प्रेरणा लेगी, वरना उन्हें तो भुला ही दिया गया था। अब्दुल हमीद की पत्नी रसूल बीबी ने सरकार को धन्यवाद दिया कि उनके पति के योगदान को याद किया जा रहा है। इससे वे बहुत खुश हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह कॉमिक्स का विमोचन करते हुए।
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सभी भारतीय भाषाओं में होगा प्रकाशन
नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदेव भाई ने कहा कि इस सीरीज में न केवल हिंदी और अंग्रेजी बल्कि भारत की सारी भाषाओं में कॉमिक्स प्रकाशित करने की योजना है ताकि गांव-गांव तक इनकी कहानियां पहुंच सकें। सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने कहा कि जब वे चितौड़ के सैनिक स्कूल में पढ़ते थो तो राणा प्रताप और राणा सांगा जैसे बहादुरों से प्रेरणा लेते थे। अब जबकि यह पुस्तक आ गई है जिससे बच्चे प्रेरणा लेंगे और ज्यादा से ज्यादा सेना में भर्ती होंगे।