सरकारी अस्पातल में भर्ती गर्भवती दलित ने बताया कि इस हमले से उसे रक्तस्राव होने लगा
अहमदाबाद:
गुजरात के बनासकांठा में एक गर्भवती दलित महिला और उसके परिजनों की कथित तौर पर इसलिए बुरी तरह पिटाई की गई, क्योंकि उन्होंने एक गाय का कंकाल कहीं दूर फेंक आने से मना कर दिया था. पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर और छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
यह घटना अहमदाबाद से करीब 180 किलोमीटर दूर मोटा-करजा गांव की है. पीड़ित परिवार का कहना है कि ठाकुर समुदाय के लोग उनके घर आए और एक मृत गाय का कंकाल उठाकर फेंकने को कहा.
उना में करीब दो महीने पहले दलित समुदाय के चार लोगों की सार्वजनिक पिटाई के बाद समुदाय ने मृत जानवरों के शवों को हटाने के काम के बहिष्कार की घोषणा की थी और इसी आह्वान पर परिवार ने भी यह काम छोड़ रखा था. उनके इनकार से गुस्साए ये लोग वापस गए और 20 लोगों को अपने साथ लेकर लौटे.
पड़ोस के पालनपुर के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती संगीता रनवासिया ने एनडीटीवी से कहा, 'जब तक हम समझ पाते कि क्या हो रहा है, उन्होंने हमें गालियां देनी शुरू कर दी और फिर लकड़ी के डंडों से हम पर हमला कर दिया. उन्होंने मेरे पेट में लात मारी.' इस हमले की वजह से पांच माह की गर्भवती संगीता को रक्तस्राव होने लगा.
आधे घंटे तक इस दलित परिवार से मारपीट और गालियों की बौछार करने के बाद वे लोग घटनास्थल से भाग गए. इस हमले में महिला में पति नीलेश सहित परिवार के छह अन्य सदस्य भी घायल हुए हैं.
नीलेश बताते हैं, 'हम उन्हें बार-बार बताते रहे कि हमें लाश उठाने का काम छोड़ दिया है, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं सुना. वह हमसे यह ही कहते रहे कि हमें ये ही काम करना है.'
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में पीड़ित परिवार की शिकायत पर पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं गांव में तनाव को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.
गौरतलब है कि इस साल जुलाई में दक्षिणी गुजरात के उना में कथित गौरक्षकों द्वारा चार दलितों की पिटाई के बाद से गुजरात में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले. इस घटना के बाद दलित समुदाय ने मृत पशुओं की खाल उतारने का काम छोड़ने का प्रण लिया है.
यह घटना अहमदाबाद से करीब 180 किलोमीटर दूर मोटा-करजा गांव की है. पीड़ित परिवार का कहना है कि ठाकुर समुदाय के लोग उनके घर आए और एक मृत गाय का कंकाल उठाकर फेंकने को कहा.
उना में करीब दो महीने पहले दलित समुदाय के चार लोगों की सार्वजनिक पिटाई के बाद समुदाय ने मृत जानवरों के शवों को हटाने के काम के बहिष्कार की घोषणा की थी और इसी आह्वान पर परिवार ने भी यह काम छोड़ रखा था. उनके इनकार से गुस्साए ये लोग वापस गए और 20 लोगों को अपने साथ लेकर लौटे.
पड़ोस के पालनपुर के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती संगीता रनवासिया ने एनडीटीवी से कहा, 'जब तक हम समझ पाते कि क्या हो रहा है, उन्होंने हमें गालियां देनी शुरू कर दी और फिर लकड़ी के डंडों से हम पर हमला कर दिया. उन्होंने मेरे पेट में लात मारी.' इस हमले की वजह से पांच माह की गर्भवती संगीता को रक्तस्राव होने लगा.
आधे घंटे तक इस दलित परिवार से मारपीट और गालियों की बौछार करने के बाद वे लोग घटनास्थल से भाग गए. इस हमले में महिला में पति नीलेश सहित परिवार के छह अन्य सदस्य भी घायल हुए हैं.
नीलेश बताते हैं, 'हम उन्हें बार-बार बताते रहे कि हमें लाश उठाने का काम छोड़ दिया है, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं सुना. वह हमसे यह ही कहते रहे कि हमें ये ही काम करना है.'
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में पीड़ित परिवार की शिकायत पर पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं गांव में तनाव को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.
गौरतलब है कि इस साल जुलाई में दक्षिणी गुजरात के उना में कथित गौरक्षकों द्वारा चार दलितों की पिटाई के बाद से गुजरात में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले. इस घटना के बाद दलित समुदाय ने मृत पशुओं की खाल उतारने का काम छोड़ने का प्रण लिया है.
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