प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
भोपाल सेंट्रल जेल में 8 कैदियों ने एक हेड कॉन्स्टेबल की हत्या की, एक दूसरे कॉन्स्टेबल को बांध दिया और फ़रार हो गए. सवाल है कि इतनी अहम जेल में इतने कम सुरक्षाकर्मी क्यों थे? जवाब भारतीय जेलों की हालत देती है.
भोपाल सेंट्रल जेल से 8 क़ैदियों की फ़रारी ने दो साल पुरानी एक चिट्टी की तरफ़ सबका ध्यान खींचा है. तब आइजी जेल रहे आरके अग्रवाल ने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर जेल की सुरक्षा की खामियों की जानकारी दी थी. दरअसल, भारतीय जेलों में सबसे बड़ी दरारें जेलकर्मियों की कमी से वजह से होती हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, देश की जेलों में कुल 80,236 आवंटित पद हैं, जिनमें सिर्फ 53,008 भरे हैं. यानी 33.9% पद खाली पड़े हुए हैं.
मध्य प्रदेश की जेलों में खाली पड़े पदों की संख्या 28.4% है. बिहार की जेलों में 66.2% पद खाली हैं और झारखंड में सबसे ज़्यादा 68.5% पद खाली हैं. राजधानी दिल्ली की जेलों में कुल 2,699 आवंटित पदों में से सिर्फ 1,440 भरे हुए हैं... यानी महज़ 53.4%.
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह मानते हैं कि भोपाल जेल ब्रेक से भारतीय जेलों की दुर्दशा और जेलों में बढ़ती असुरक्षा पर गंभीर सवाल उठे हैं. प्रकाश सिंह ने कहा कि जेल प्रशासन की अव्यवस्था और राजनीतिक हस्तक्षेप की समस्या को जल्दी खत्म करने के लिए पहल ज़रूरी है.
एनडीटीवी ने जब इस बारे में गृह मंत्री से पूछा तो उन्होंने इसे राज्यों का मसला बताते हुए कहा, "जेलों में स्टाफ की स्ट्रेन्थ में बढ़ोतरी ज़रूरी है. ये राज्यों का विषय है. इस पर राज्यों को गंभीरता से पहल करनी चाहिए."
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट ने देश में मौजूदा जेल व्यवस्था की कमियों पर कई बड़े सवाल खड़े किए हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार कितनी गंभीरता और तत्परता से इन सवालों से निपटती है.
भोपाल सेंट्रल जेल से 8 क़ैदियों की फ़रारी ने दो साल पुरानी एक चिट्टी की तरफ़ सबका ध्यान खींचा है. तब आइजी जेल रहे आरके अग्रवाल ने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर जेल की सुरक्षा की खामियों की जानकारी दी थी. दरअसल, भारतीय जेलों में सबसे बड़ी दरारें जेलकर्मियों की कमी से वजह से होती हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, देश की जेलों में कुल 80,236 आवंटित पद हैं, जिनमें सिर्फ 53,008 भरे हैं. यानी 33.9% पद खाली पड़े हुए हैं.
मध्य प्रदेश की जेलों में खाली पड़े पदों की संख्या 28.4% है. बिहार की जेलों में 66.2% पद खाली हैं और झारखंड में सबसे ज़्यादा 68.5% पद खाली हैं. राजधानी दिल्ली की जेलों में कुल 2,699 आवंटित पदों में से सिर्फ 1,440 भरे हुए हैं... यानी महज़ 53.4%.
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह मानते हैं कि भोपाल जेल ब्रेक से भारतीय जेलों की दुर्दशा और जेलों में बढ़ती असुरक्षा पर गंभीर सवाल उठे हैं. प्रकाश सिंह ने कहा कि जेल प्रशासन की अव्यवस्था और राजनीतिक हस्तक्षेप की समस्या को जल्दी खत्म करने के लिए पहल ज़रूरी है.
एनडीटीवी ने जब इस बारे में गृह मंत्री से पूछा तो उन्होंने इसे राज्यों का मसला बताते हुए कहा, "जेलों में स्टाफ की स्ट्रेन्थ में बढ़ोतरी ज़रूरी है. ये राज्यों का विषय है. इस पर राज्यों को गंभीरता से पहल करनी चाहिए."
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट ने देश में मौजूदा जेल व्यवस्था की कमियों पर कई बड़े सवाल खड़े किए हैं. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार कितनी गंभीरता और तत्परता से इन सवालों से निपटती है.
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