प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही अपनी लद्दाख यात्रा के दौरान सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों का दौरा कर सकते हैं। गौरतलब है कि सियाचिन दुनिया का सर्वोच्च रणक्षेत्र है।
प्रधानमंत्री के दो पनबिजली परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने और विद्युत पारेषण लाइन की आधारशिला रखने के लिए अगले सप्ताह या महीने के तीसरे सप्ताह में जम्मू-कश्मीर के लेह और करगिल जिलों की यात्रा करने की संभावना है।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री उस दौरान सियाचिन में भारतीय सेना की चौकियों का दौरा कर सकते हैं।
सेना सूत्रों ने बताया कि सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग भी महीने के दूसरे सप्ताह में इलाके का दौरा करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के मद्देनजर अब उनके कार्यक्रम में बदलाव हो सकता है।
सियाचिन में सेना की चौकियां 17 हजार से 23 हजार फुट की ऊंचाई पर हैं जो पाकिस्तान के साथ लगी वास्तविक जमीनी स्थिति रेखा (एजीपीएल) से लगी हैं। पाकिस्तान विश्वास बहाली के उपायों के तहत वहां से भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग कर रहा है, लेकिन इसका सेना और रक्षा मंत्रालय ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इनका सामरिक दृष्टि से महत्व है।
प्रधानमंत्री को सियाचिन ग्लेशियर की यात्रा पर आने का न्योता तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने दिया था ताकि सैनिकों का मनोबल बढ़ाया जा सके और उनके साथ एकजुटता प्रदर्शित की जा सके।
ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा था कि 'संभवत: अगले सप्ताह या उसके बाद वाले सप्ताह में प्रधानमंत्री लेह और करगिल में दो परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने के साथ-साथ लेह से करगिल और कश्मीर तक पारेषण लाइन की आधारशिला रखने के लिए लेह की यात्रा करेंगे।'
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