मैं पैदल स्कूल जाता था और औसत दर्जे का छात्र था : बच्चों से राष्ट्रपति

मैं पैदल स्कूल जाता था और औसत दर्जे का छात्र था : बच्चों से राष्ट्रपति

नई दिल्‍ली:

टीचर्स डे (Teacher's Day) के मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पहली बार सर्वोदय विद्यालय में अपनी पाठशाला लगाते हुए छात्रों को राजनीतिक इतिहास पढ़ाया। राष्‍ट्रपति ने छात्रों से कहा कि 'मैं एक औसत दर्जे का छात्र था, लेकिन मैंने बहुत मेहनत की।'

राष्‍ट्रपति ने बच्‍चों को बताया कि 'उस वक्‍त उनके जिले में केवल 14 स्‍कूल थे और उनके गांव से स्‍कूल पांच किलोमीटर दूर था। उन्‍हें पढ़ने के लिए पैदल स्‍कूल जाना पड़ता था।' राष्‍ट्रपति ने कहा, 'मेरी मां कहती थी कि तुम्‍हारे पास कोई विकल्‍प नहीं है। मैं बहुत शरारती बच्‍चा था और मां को बहुत परेशान करता था।' प्रणब मुखर्जी ने कहा, मुझे आज भी पढ़ाने की बहुत इच्छा होती है।

राष्ट्रपति ने कहा, 'संविधान सभा में काफी विविधता थी। संविधान सभा ने सबसे पहले अपने अध्‍यक्ष को चुना, जिसके बाद देश का संविधान 300 लोगों ने मिलकर लिखा। 1975 में सोशलिस्‍ट शब्‍द संविधान में जोड़ा गया।' राष्‍ट्रपति ने छात्रों को आगे बताया कि 'ब्रिटिशों ने 1757 से 1770 के बीच भारत पर कब्जा कर लिया और उसके बाद 1947 तक यहां राज किया।'

प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'लाहौर में नेहरू ने पूर्ण स्‍वराज का नारा दिया। 1773 में रॉलेट एक्‍ट लाया गया था। आजादी का मतलब अपना संविधान खुद बनाना। पहली बार अपना कानून बनाना ही आजादी थी। आजादी सिर्फ शासकों का बदलना नहीं था। लोकतंत्र को बरकरार रखने के लिए कई प्रयोग हुए। राजीव गांधी ने वोटिंग की उम्र घटाई थी।'

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राष्‍ट्रपति ने बताया कि 'फेसबुक और ट्विटर पर जनमत संग्रह होता है। मैं सोशल मीडिया का कम इस्‍तेमाल करता हूं।' राष्‍ट्रपति ने बच्‍चों से कहा कि 'आप मुझे मुखर्जी सर कहकर पुकार सकते हैं।' उन्‍होंने कहा कि 'मेरी मां सबसे अच्‍छी शिक्षक थीं।'