देश में सिर्फ 20 हफ्ते तक के गर्भ के गर्भापात की इजाजत है
नई दिल्ली:
कोलकाता की एक 23 हफ्ते की गर्भवती महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गर्भपात की इजाजत मांगी है. 33 साल की महिला ने कहा है कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को गंभीर बीमारियां हैं जिसके चलते उसके बचने की उम्मीद कम है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मेडिकल बोर्ड का गठन करने का फैसला किया है और पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है. मामले की सुनवाई 23 जून को होगी.
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान महिला की ओर से कहा गया कि 25 मई को उसकी जांच के दौरान ये पता चला कि गर्भ में पल रहे बच्चे को दिल संबंधी गंभीर बीमारी है. इसके बाद 30 मई को फिर से मेडिकल परीक्षण कराए गए और इस बात की पुष्टि हो गई. लेकिन, तब तक उसका गर्भ 20 हफ्ते से ऊपर हो चुका था. इसलिए वह गर्भपात नहीं करा पाई.
महिला द्वारा दायर अर्जी में कहा गया है कि बच्चे के बचने की उम्मीद कम है इसलिए वह परेशान है. कोर्ट ने कहा कि वह इसके लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करेगा ताकि ये पता चल सके कि क्या बच्चे या मां को किसी तरह का खतरा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और शुक्रवार को सुनवाई तय की है.
गौरतलब है कि देश में कानून के मुताबिक 20 हफ्ते तक के भ्रूण का गर्भपात कराया जा सकता है. इस तरह के मामलों पर पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई मामले आ चुके हैं.
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान महिला की ओर से कहा गया कि 25 मई को उसकी जांच के दौरान ये पता चला कि गर्भ में पल रहे बच्चे को दिल संबंधी गंभीर बीमारी है. इसके बाद 30 मई को फिर से मेडिकल परीक्षण कराए गए और इस बात की पुष्टि हो गई. लेकिन, तब तक उसका गर्भ 20 हफ्ते से ऊपर हो चुका था. इसलिए वह गर्भपात नहीं करा पाई.
महिला द्वारा दायर अर्जी में कहा गया है कि बच्चे के बचने की उम्मीद कम है इसलिए वह परेशान है. कोर्ट ने कहा कि वह इसके लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करेगा ताकि ये पता चल सके कि क्या बच्चे या मां को किसी तरह का खतरा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और शुक्रवार को सुनवाई तय की है.
गौरतलब है कि देश में कानून के मुताबिक 20 हफ्ते तक के भ्रूण का गर्भपात कराया जा सकता है. इस तरह के मामलों पर पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई मामले आ चुके हैं.
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