प्रकाश झा की फिल्म 'जय गंगाजल' भी विवाद में

प्रकाश झा की फिल्म 'जय गंगाजल' भी विवाद में

प्रकाश झा की फाइल फोटो...

पटना:

गंगाजल, प्रकाश झा और बिहार के राजनेताओं के बीच हमेशा से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इस सच को खुद प्रकाश झा से अच्‍छा कोई नहीं जानता। हालांकि उनकी हर फिल्म रिलीज़ से पहले किसी न किसी वजह से विवाद में रहती हैं, जिससे फिल्म को पब्लिसिटी भी अच्‍छी-खासी मिल जाती हैं, लेकिन प्रकाश झा की नई फिल्म जय गंगाजल को उनके अपने गृह राज्य बिहार और इस बार राष्ट्रीय जनता दल नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की नाराजगी का शिकार होना पर रहा हैं।

दरअसल, प्रकाश झा की नई फिल्म में जो खलनायक हैं वो बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। और ये संयोग है कि बांकीपुर नाम से बिहार में, वो भी राजधानी पटना में एक विधानसभा क्षेत्र है, जिसके विधायक बीजेपी नेता नितिन नवीन हैं। नितिन दो बार से इस क्षेत्र का प्रतिनिधिव कर रहे हैं और उनकी छवि साफ़ सुधरी है, लेकिन नितिन नवीन को डर है कि इस फिल्म से उनकी छवि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसलिए वे चाहते हैं कि या तो फिल्म से बांकीपुर का नाम हटाया जाए या फिल्म का प्रदर्शन रोका जाए।

वहीं, प्रकाश झा का कहना है कि इस फिल्म की पृष्‍ठभूमि बिहार की नहीं है और इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा की वर्दी पर भी मध्य प्रदेश पुलिस का बैज है। लिहाजा, नितिन नवीन की आशंका बेवजह है। प्रकाश झा दावा है कि  उन्होंने किसी को ठेस पहुंचाने के लिए ये नाम नहीं डाला। वहीं, नितिन नवीन का आरोप है कि झा ने दुर्भावना से प्रेरित होकर बांकीपुर के नाम का इस्तेमाल किया है। उनका कहना है कि पूरे देश में बांकीपुर एकमात्र विधानसभा क्षेत्र है, जोकि बिहार में है और यहां से वो दो बार विधायक हैं।

जानकारों का मानना है कि बीजेपी इस मुद्दे पर आक्रामक है, क्‍योंकि प्रकाश झा जनता दल यूनाइटेड से पिछला लोकसभा चुनाव बेतिया से हार चुके हैं। इससे पूर्व भी उन्‍होंने 2009 का लोकसभा चुनाव भी लोक जनशक्ति पार्टी की टिकट पर लड़ा था और दोनों बार उन्हें हार का मुह देखना पड़ा था।

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साल 2003 में गंगाजल फिल्म के रिलीज़ होने पर राष्ट्रीय जनता दल ने इसका इस आधार पर विरोध किया था कि उस फिल्म में खलनायक का नाम साधु यादव है और साधु उस समय की मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी के भाई हैं। बाद में साधु के करीबियों ने फिल्म देखने के बाद उसे बिहार में रिलीज़ करने की अनुमति दी थी, लेकिन विरोध के कारण मिली पब्लिसिटी की वजह से गंगाजल हिट रही थी। हालांकि कुछ वर्षों पूर्व जब झा ने आरक्षण नामक फिल्म बनाई तो वह दर्शकों को थिएटर में नहीं खींच पाई।