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This Article is From Feb 11, 2016

निजी क्षेत्र में ओबीसी आरक्षण के मामले पर तेज हुई राजनीति

निजी क्षेत्र में ओबीसी आरक्षण के मामले पर तेज हुई राजनीति
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्‍ली: प्राइवेट सेक्टर में ओबीसी समुदाय के लिए 27 फीसदी आरक्षण के पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रस्ताव पर राजनीति तेज़ हो गयी है। अब सामाजिक न्याय से जुड़ी पार्टियां केंद्र सरकार से बिल लाने की मांग कर रही हैं।

गुरुवार को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि मोदी सरकार कानून बनाकर ये सुनिश्चित करे कि निजी क्षेत्र में भी कोटा लागू हो। शरद यादव ने एनडीटीवी से कहा, "सरकार को पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश पर पार्टियों से बातचीत शुरू करना चाहिये। सरकार को बजट सत्र में ही बिल लाना चाहिये जिसमें प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण का प्रावधान हो।''

उधर सरकार मानती है कि ये प्रस्ताव पुराना है, इस पर आगे बढ़ने से पहले आम राय बनानी ज़रूरी है। सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने एनडीटीवी से कहा, "हमने अधिकारियों की एक कमेटी बनाई है जो सभी स्टेकहोलडर्स से बातचीत कर रही है। अभी माहौल अनुकूल नहीं है। जब माहौल अनुकूल बनेगा तब हम इस प्रस्ताव पर आगे पहल करेंगे।''

फिलहाल सरकार के लिए आगे की राह आसान नहीं दिखती। इंडस्ट्री पहले ही प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण के प्रस्ताव को खारिज कर चुकी है। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डी.एस. रावत ने एनडीटीवी से कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थिति में कंपनियों के लिए मैनपावर को रिटेन करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षण के प्रस्ताव पर सोचना भी संभव नहीं होगा।

उन्होंये ये भी कहा कि उद्योगजगत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए रोबोटिक्स की तरफ बढ़ रही है...ऐसे में आरक्षण जैसे मुद्दे पर चर्चा करना बेहद मुश्किल है। हालांकि पिछड़े वर्ग के नेताओं ने अगर संसद के बजट सत्र के दौरान इस मामले को उठाया तो ये मामला केंद्र सरकार की राजनीतिक मुश्किलें बढ़ सकता है।

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