वेबसाइट पर आईपीएस कृष्णप्रकाश की तस्वीर।
मुंबई:
डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर और कामरेड पानसरे की हत्या में जिस हिन्दू जनजागृति समिति से जुड़े लोगों का नाम आ रहा है उसने अपनी वेबसाइट पर एक आईपीएस की तस्वीर पर भी लाल निशान लगाए थे। तो क्या उनके निशाने पर कुछ पुलिस वाले भी थे?
हिन्दू जनजागृति समिति ने जुलाई 2013 में वीवीआईपी सुरक्षा के पुलिस महानिरीक्षक कृष्णप्रकाश की तस्वीर पोस्ट की थी। यानि पुणे में डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के एक महीने पहले। दाभोलकर की अगस्त 2013 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पोस्ट में पुलिस अफसर कृष्णप्रकाश को हिन्दू द्रोही बताया गया है। वेबसाइट पर पोस्ट लेख में कृष्णप्रकाश पर मिरज और मुंबई में आजाद मैदान के दंगाई मुसलमानों को बचाने का आरोप लगाया गया है। तो क्या कृष्णप्रकाश भी सनातन के निशाने पर थे?
यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि सीबीआई सूत्रों की मानें तो डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के आरोप में सनातन संस्था के जिस साधक डॉक्टर वीरेंद्रसिंह तावड़े को गिरफ्तार किया गया है उसके लैपटॉप की हार्ड डिस्क में भी यह फोटो मिला है। हालांकि वीरेंद्र तावड़े के वकील इसे सिर्फ वैचारिक विरोध का तरीका भर बता रहे हैं।
वकील संजीव पुनालेकर का कहना है कि जब दाभोलकर की हत्या हुई तब भी लोगों ने सवाल उठाया था कि उनकी तस्वीर पर भी लाल निशान लगाया गया था। लेकिन लाल निशान लगाना तो सिर्फ विचारों के मतभेद का परिचायक है। इसका यह मतलब नहीं कि हम उनका कत्ल करने वाले हैं। पुनालेकर ने कहा कि अब वीरेंद्र तावड़े के कंप्यूटर से क्या मिला है, मुझे पता नहीं, लेकिन इतना कह सकता हूं कि अपराध करने वाला अपनी साजिश को इस तरह सार्वजनिक नहीं करता है। तस्वीर के लाल निशान को कत्ल से जोड़ना बेतुका है।
गौरतलब है कि हिन्दू जनजागृति समिति ने अपनी वेबसाइट पर शहर के कुछ पत्रकारों की तस्वीरों पर भी इसी तरह के लाल निशान लगाए हैं। इसके बाद कुछ को पुलिस सुरक्षा भी मुहैया कराई गई थी।
इस बीच बॉम्बे हाई कोर्ट ने दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई को यह कहते हुए आड़े हाथों लिया कि वह मीडिया में खबर तो अच्छी दे रही है लकिन जांच में कुछ खास नहीं कर रही। मीडिया में आ रही खबरों में सीबीआई के हवाले से गिरफ्तार आरोपी वीरेंद्र तावड़े को ही दाभोलकर और पानसरे की हत्या का मास्टर माइंड बताया जा रहा है जबकि सीबीआई अभी तक न तो हत्या के लिए इस्तेमाल मोटरसाइकिल और बंदूक बरामद कर पाई है और न ही उसके लंबे हाथ फरार शूटरों तक पहुंच पाए हैं।
अदालत ने कोल्हापुर के कॉमरेड पानसरे हत्याकांड की जांच भी सीबीआई को देने की उनके परिजनों की मांग पर तुरंत फैसला देने की बजाय सुनवाई 6 सप्ताह के लिए टाल दी। जबकि परिजनों की दलील थी कि राज्य सरकार सीबीआई को जांच देने के लिए तैयार है।
हिन्दू जनजागृति समिति ने जुलाई 2013 में वीवीआईपी सुरक्षा के पुलिस महानिरीक्षक कृष्णप्रकाश की तस्वीर पोस्ट की थी। यानि पुणे में डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के एक महीने पहले। दाभोलकर की अगस्त 2013 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पोस्ट में पुलिस अफसर कृष्णप्रकाश को हिन्दू द्रोही बताया गया है। वेबसाइट पर पोस्ट लेख में कृष्णप्रकाश पर मिरज और मुंबई में आजाद मैदान के दंगाई मुसलमानों को बचाने का आरोप लगाया गया है। तो क्या कृष्णप्रकाश भी सनातन के निशाने पर थे?
यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि सीबीआई सूत्रों की मानें तो डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के आरोप में सनातन संस्था के जिस साधक डॉक्टर वीरेंद्रसिंह तावड़े को गिरफ्तार किया गया है उसके लैपटॉप की हार्ड डिस्क में भी यह फोटो मिला है। हालांकि वीरेंद्र तावड़े के वकील इसे सिर्फ वैचारिक विरोध का तरीका भर बता रहे हैं।
वकील संजीव पुनालेकर का कहना है कि जब दाभोलकर की हत्या हुई तब भी लोगों ने सवाल उठाया था कि उनकी तस्वीर पर भी लाल निशान लगाया गया था। लेकिन लाल निशान लगाना तो सिर्फ विचारों के मतभेद का परिचायक है। इसका यह मतलब नहीं कि हम उनका कत्ल करने वाले हैं। पुनालेकर ने कहा कि अब वीरेंद्र तावड़े के कंप्यूटर से क्या मिला है, मुझे पता नहीं, लेकिन इतना कह सकता हूं कि अपराध करने वाला अपनी साजिश को इस तरह सार्वजनिक नहीं करता है। तस्वीर के लाल निशान को कत्ल से जोड़ना बेतुका है।
गौरतलब है कि हिन्दू जनजागृति समिति ने अपनी वेबसाइट पर शहर के कुछ पत्रकारों की तस्वीरों पर भी इसी तरह के लाल निशान लगाए हैं। इसके बाद कुछ को पुलिस सुरक्षा भी मुहैया कराई गई थी।
इस बीच बॉम्बे हाई कोर्ट ने दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई को यह कहते हुए आड़े हाथों लिया कि वह मीडिया में खबर तो अच्छी दे रही है लकिन जांच में कुछ खास नहीं कर रही। मीडिया में आ रही खबरों में सीबीआई के हवाले से गिरफ्तार आरोपी वीरेंद्र तावड़े को ही दाभोलकर और पानसरे की हत्या का मास्टर माइंड बताया जा रहा है जबकि सीबीआई अभी तक न तो हत्या के लिए इस्तेमाल मोटरसाइकिल और बंदूक बरामद कर पाई है और न ही उसके लंबे हाथ फरार शूटरों तक पहुंच पाए हैं।
अदालत ने कोल्हापुर के कॉमरेड पानसरे हत्याकांड की जांच भी सीबीआई को देने की उनके परिजनों की मांग पर तुरंत फैसला देने की बजाय सुनवाई 6 सप्ताह के लिए टाल दी। जबकि परिजनों की दलील थी कि राज्य सरकार सीबीआई को जांच देने के लिए तैयार है।
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