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This Article is From Oct 07, 2015

टोंक में स्कूली बच्चियों पर लाठीचार्ज, दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग

टोंक में स्कूली बच्चियों पर लाठीचार्ज, दोषी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग
टोंक: टोंक की एक सरकारी स्कूल की छात्राओं पर 29 सितंबर को पुलिस ने इसलिए जमकर डंडे बरसाए, क्योंकि वो स्कूल में शिक्षकों की कमी को लेकर प्रदर्शन कर रही थीं। यह घटना टोंक जिले के चूरू गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की है। इस उच्च स्कूल में 300 से ज्यादा बच्चियां पढ़ती हैं, यहां लेकिन सिर्फ सात टीचर है। जबकि यहां कुल 22 टीचरों की जरूरत है।

यहां और अधिक शिक्षकों को नियुक्त किए जाने की मांग को लेकर जब करीब 100 विद्यार्थी सड़क पर बैठ गए, तो अचानक वहां पुलिस पहुंची। पुलिस ने उनकी बात सुनने के बजाय उन पर लाठियां भांजनी शुरू कर दीं। उन्होंने इतनी बुरी तरह से पिटाई की कि कई बच्चियां अब भी दर्द की शिकायत कर रही हैं और वो स्कूल भी नहीं जा पा रही हैं।

14 साल की एक बच्ची उस मंजर को याद करके अभी भी सिहर उठती है। उसने कहा, "पुलिस ने हमें बहुत मारा, हमारी चुन्नियां खींच ली और धक्का दिया। बच्चियों का आरोप है की उन्हें लाठीचार्ज के दौरान शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित किया गया। 16 साल की एक छात्रा ने कहा, "उन्होंने हमारी छाती पर चिकोटी काटी, और मां-बहन की गालियां दीं।"

हैरत की बात ये है कि इस घटना के बाद पुलिस ने FIR दर्ज कर दी, वो भी स्कूल के  टीचर्स के खिलाफ। राजस्थान में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की सेक्रेटरी कविता श्रीवास्तव ने सरकार को लिखित में शिकायत दर्ज करते हुए कार्रवाई की मांग की है।

उन्होंने कहा, "यह मामला बिल्कुल 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' जैसा है। पहले तो SHO ये सब करता है और फिर टीचर्स और गांव वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है। हमारी मांग है कि वह एफआईआर वापस ली जाए।"

जिला प्रशासन ने मामले में जांच बिठा दी है और थाना अधिकारी को ससपेंड कर दिया गया है। पत्रकारों से बात करते हुए टोंक के जिला कलेक्टर रेखा गुप्ता ने कहा कि किन परिस्थितियों में लड़कियों को पीटा गया, उसकी जांच होगी। लेकिन यहां सवाल सिर्फ पुलिस लाठीचार्ज का नहीं है। राजस्थान ऐसा प्रदेश है जहां सबसे बड़ी तादाद में लड़कियां 8वीं से पहले पढ़ाई छोड़ देती हैं और ऐसे माहौल में टीचर्स की मांग कर रही बालिकाओं पर अत्याचार कहां तक जायज है?

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