एनडीटीवी से बात करतीं डॉ. आर्य की पत्नी
ग्वालियर:
जेल से रिहा होने के एक साल बाद डॉक्टर राजेंद्र आर्य ने पिछले हफ्ते ग्वालियर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। डॉक्टर आर्य ग्वालियर के ही रहने वाले थे।
पुलिस का कहना है कि 40 वर्षीय डॉक्टर आर्य की मौत अचानक से हुए किडनी इन्फेक्शन से हुई है। वहीं उनकी पत्नी उषा ने सोमवार को एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि उनकी तबियत एकदम ठीक थी और वो आखिरी दिन तक अच्छे से खाना भी खा रहे थे। डॉक्टर आर्य, उन 2500 अभियुक्तों में से एक हैं जिन्हें 2013 में व्यापमं घोटाले की वजह से 6 महीने की जेल हुई थी।
पिछले हफ्ते डॉक्टर आर्य का नाम भी व्यापमं घोटाले से जुड़े उन 30 से ज्यादा लोगों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिनकी मौत सवालों के घेरे में है। डॉक्टर आर्य की पत्नी ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि ज़मानत मिलने के बाद भी पुलिस उनके परिवार से रिश्वत की मांग कर रही थी। वो कहती हैं, ‘पुलिस ने धमकी दी थी की अगर मांग पूरी नहीं हुई तो डॉक्टर साहब को वापिस जेल में डाल देंगे। हमने पुलिस केस इसलिए फाइल नहीं किया क्योंकि हमें डर था कि इससे बच्चों पर असर पड़ेगा।'
विपक्ष की मांग है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ना सिर्फ व्यापमं घोटाले बल्कि उन मौतों की भी जिम्मेदारी उठानी होगी जो इस मामले की जांच में रोड़ा बन रही हैं। वहीं सब-इन्सपेक्टर की ट्रेनिंग ले चुकी एक महिला पुलिस का शव मिलने के बाद मुख्यमंत्री चौहान ने साफ किया कि हर मौत को घोटाले से जोड़कर देखना ठीक नहीं है। मृतक की पुलिस फोर्स में भर्ती व्यवसायिक परीक्षा मंडल के जरिए ही हुई थी जिसे व्यापमं भी कहते हैं।
व्यापमं ही राज्य द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाओं में भर्ती और सरकारी विभाग में नौकरी के लिए परीक्षा आयोजित करवाता है। 2013 में ख़बर आई थी कि परीक्षा में अपनी जगह किसी और को बैठाने के लिए स्टूडेंट्स द्वारा रिश्वत दी जा रही है। इस मामले में विपक्ष की सीबाआई जांच की मांग को खारिज करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट खुद पुलिस की जांच पर निगरानी रख रहा है।
कांग्रेस नेताओं और विह्सल ब्लोअर आशिष चुतर्वेदी का कहना है कि मौजूदा पुलिस जांच में सरकार को बचाने की कोशिश की जा रही है। ग्वालियर कोर्ट द्वारा आजीवन पुलिस सुरक्षा मिलने के बाद चुतर्वेदी ने एनडीटीवी से कहा कि वो अपनी जान पर खेलकर मुख्यमंत्री चौहान और दूसरे बड़े नामों की पोल खोलेंगे।
पुलिस का कहना है कि 40 वर्षीय डॉक्टर आर्य की मौत अचानक से हुए किडनी इन्फेक्शन से हुई है। वहीं उनकी पत्नी उषा ने सोमवार को एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि उनकी तबियत एकदम ठीक थी और वो आखिरी दिन तक अच्छे से खाना भी खा रहे थे। डॉक्टर आर्य, उन 2500 अभियुक्तों में से एक हैं जिन्हें 2013 में व्यापमं घोटाले की वजह से 6 महीने की जेल हुई थी।
पिछले हफ्ते डॉक्टर आर्य का नाम भी व्यापमं घोटाले से जुड़े उन 30 से ज्यादा लोगों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिनकी मौत सवालों के घेरे में है। डॉक्टर आर्य की पत्नी ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि ज़मानत मिलने के बाद भी पुलिस उनके परिवार से रिश्वत की मांग कर रही थी। वो कहती हैं, ‘पुलिस ने धमकी दी थी की अगर मांग पूरी नहीं हुई तो डॉक्टर साहब को वापिस जेल में डाल देंगे। हमने पुलिस केस इसलिए फाइल नहीं किया क्योंकि हमें डर था कि इससे बच्चों पर असर पड़ेगा।'
विपक्ष की मांग है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ना सिर्फ व्यापमं घोटाले बल्कि उन मौतों की भी जिम्मेदारी उठानी होगी जो इस मामले की जांच में रोड़ा बन रही हैं। वहीं सब-इन्सपेक्टर की ट्रेनिंग ले चुकी एक महिला पुलिस का शव मिलने के बाद मुख्यमंत्री चौहान ने साफ किया कि हर मौत को घोटाले से जोड़कर देखना ठीक नहीं है। मृतक की पुलिस फोर्स में भर्ती व्यवसायिक परीक्षा मंडल के जरिए ही हुई थी जिसे व्यापमं भी कहते हैं।
व्यापमं ही राज्य द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाओं में भर्ती और सरकारी विभाग में नौकरी के लिए परीक्षा आयोजित करवाता है। 2013 में ख़बर आई थी कि परीक्षा में अपनी जगह किसी और को बैठाने के लिए स्टूडेंट्स द्वारा रिश्वत दी जा रही है। इस मामले में विपक्ष की सीबाआई जांच की मांग को खारिज करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट खुद पुलिस की जांच पर निगरानी रख रहा है।
कांग्रेस नेताओं और विह्सल ब्लोअर आशिष चुतर्वेदी का कहना है कि मौजूदा पुलिस जांच में सरकार को बचाने की कोशिश की जा रही है। ग्वालियर कोर्ट द्वारा आजीवन पुलिस सुरक्षा मिलने के बाद चुतर्वेदी ने एनडीटीवी से कहा कि वो अपनी जान पर खेलकर मुख्यमंत्री चौहान और दूसरे बड़े नामों की पोल खोलेंगे।
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