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This Article is From Dec 20, 2018

जिस प्रसाद को खाने से 15 की मौत हुई, उसमें 15 बोतल कीटनाशक मिलाया गया था : पुलिस

कर्नाटक के एक मंदिर में प्रसाद खाने से 15 लोगों की मौत हो जाने और 120 से ज़्यादा के अस्पताल पहुंच जाने के बाद पुलिस ने बुधवार को एक स्थानीय महंत और तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया

जिस प्रसाद को खाने से 15 की मौत हुई, उसमें 15 बोतल कीटनाशक मिलाया गया था : पुलिस
कर्नाटक के चामराजनगर जिले के सुलिवादी गांव में प्रसाद खाने के बाद 15 लोगों की मौत का मामला सामने आया.
बेंगलुरु:

कर्नाटक के एक मंदिर में प्रसाद खाने से 15 लोगों की मौत हो जाने और 120 से ज़्यादा के अस्पताल पहुंच जाने के बाद पुलिस ने बुधवार को एक स्थानीय महंत और तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया, और उन पर मंदिर का नियंत्रण हासिल करने और प्रबंधन की छवि बिगाड़ने के लिए श्रद्धालुओं की हत्या का षडयंत्र रचने के आरोप लगाए गए. पुलिस का कहना है कि प्रसाद को बनाते वक्त उसमें 15 बोतल कीटनाशक मिलाया गया था. 

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वरिष्ठ पुलिस अधिकारी केवी शरत चंद्र ने जानकारी दी है, 52-वर्षीय महंत और उसके तीन सहयोगियों - एक महिला, उसके पति व पति के दोस्त - पर हत्या, हत्या के प्रयास और आपराधिक षडयंत्र रचने का आरोप लगाया गया है.केवी शरत चंद्र ने पत्रकारों को बताया, "महादेश्वर हिल सलुरू मठ के महंत पट्टाद इम्मादि महादेश्वर स्वामी अथवा देवन्ना बुद्धि ने न सिर्फ मंदिर ट्रस्ट का नियंत्रण पाने, बल्कि ट्रस्ट के मौजूदा सदस्यों को बदनाम करने के लिए षडयंत्र रचा..."

पुलिस अधिकारी के अनुसार, मंदिर ट्रस्ट वर्ष 2017 तक महंत के ही नियंत्रण में था, लेकिन बाद में उसे दरकिनार कर दिया गया, जिसकी वजह से वह नाराज़ हो गया.उन्होंने बताया, महंत के आदेश पर ही 35-वर्षीय महिला ने कथित रूप से कीटनाशक का इंतज़ाम किया, और उसके पति और पति के दोस्त ने प्रसाद तैयार किए जाते समय उसमें कीटनाशक मिलाया.

गौरतलब है कि 14 दिसंबर को सुलवाड़ी में किच्चुगुट्टी मरम्मा देवी मंदिर में टॉवर निर्माण शुरू करने के लिए आयोजित किए गए कार्यक्रम में ज़हरीला प्रसाद खाने से 15 लोगों की मौत हो गई थी, और 100 से ज़्यादा लोग अब तक अस्पतालों में भर्ती हैं.

उन्होंने बताया कि अप्रैल, 2017 तक मंदिर पूरी तरह महंत के ही नियंत्रण में था, जिसकी बदौलत वह काफी रकम कमाता था. लेकिन स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं के ज़ोर देने पर मंदिर के विस्तार के लिए ट्रस्ट का गठन कर दिया गया.

पुलिस अधिकारी के मुताबिक, "महंत उसकी इच्छा के विरुद्ध ट्रस्ट बनाए जाने से नाराज़ था, क्योंकि उसकी आय का स्रोत लगभग खत्म हो गया... तभी से मंदिर प्रबंधन और महंत के बीच विवाद शुरू हो गया था..." इसी साल अक्टूबर में ट्रस्ट ने 'गोपुरम' के निर्माण का निर्णय लिया और महंत को उसके बारे में जानकारी दी, जिसने खुशी-खुशी सहमति दी, और तमिलनाडु के एक मंदिर आर्किटेक्ट से 1.5 करोड़ रुपये का एक्शन प्लान भी तैयार करवाया.

महंत ने पैसा कमाने की योजना बनाई थी, लेकिन ट्रस्ट ने उसकी योजना को पैसे की बरबादी करार देते हुए खारिज कर दिया, और 75 लाख रुपये की एक और योजना बनाई, तथा 14 दिसंबर को निर्माण शुरू कराना तय किया, जिससे वह नाराज़ हो गया.

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पुलिस अधिकारी का दावा है कि महंत ने महिला को प्रसाद में ज़हर मिलाने का निर्देश दिया, ताकि मंदिर प्रबंधन बदनाम हो जाए, और वह अपने अपमान का बदला ले सके. उनके मुताबिक, 14 दिसंबर को दोनों पुरुषों ने रसोइयों को दूर भेजकर प्रसाद में 15 बोतल कीटनाशक मिलाया. रसोइयों ने लौटकर दुर्गंध महसूस की, तो महंत के दोनों पुरुष सहयोगियों ने यह कहकर उन्हें गुमराह किया कि यह प्रसाद में मिलाए गए खाद्य कपूर की गंध है.

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