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This Article is From Apr 07, 2015

आंध्र के चित्तूर में हुई मुठभेड़ में 20 चंदन तस्कर ढेर, तमिलनाडु ने की जांच की मांग, NHRC का नोटिस

चित्तूर:

आंध्र प्रदेश-तमिलनाडु सीमा के बीच चित्तूर के शेषाचलम जंगल में एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में 20 कथित चंदन तस्कर मारे गए हैं। इनमें से ज्यादातर पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के तिरुवनामलै और तिरुवल्लुर ज़िले से थे। इसे लेकर तमिलनाडु ने जबरदस्त विरोध दर्ज कराया है और इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव, डीजीपी को पुलिस कार्रवाई में मारे गए लोगों के मामले में नोटिस जारी किया है और रिपोर्ट तलब की है।

इस मामले में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने चिट्ठी लिख कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि मृतकों की इतनी बड़ी संख्या पुलिस के संयम पर सवाल खड़ा करती है। वहीं तमिलनाडु में एमडीएमके पार्टी के प्रमुख वाइको ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा, 'पुलिस के पास अपराधियों को गिरफ्तार करने का पूरा अधिकार है, लेकिन चिड़ियों की तरह उन्हें गोली मार देना अस्वीकार्य है।'

इस मामले में डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि ने कहा कि रेड सैंडर की तस्करी पिछले कई महीनों से वहां चल रही है। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश सरकार ने इस पर अगर बातचीत की होती, तो मामला सुलझ जाता और इतने लोगों की जानें नहीं जातीं।

वहीं आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (विधि व्यवस्था) आरपी ठाकुर ने बताया कि मुठभेड़ चंदगिरि मंडल में दो जगहों पर हुई, जिसमें 20 लोग मारे गए और ये सभी रेड सैंडर की तस्करी से जुड़े थे। पुलिस के मुताबिक, देर रात जब एसटीएफ ने 100 के आसपास तस्करों और इनके गिरोह को घेरकर आत्मसमर्पण करने को कहा तो इन लोगों ने बंदूक, कुल्हाड़ियों और पत्थरों से हमला बोल दिया। ऐसे में पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी।

रेड सैंडर की क्या अहमियत है?
संदल की लकड़ियों की ये एक ख़ास प्रजाति है, जो आंध्र प्रदेश के जंगलों में मिलती है। इसका इस्तेमाल ख़ासतौर पर न्यूक्लियर अब्सोरबंट (nuclear absorbent) के तौर पर तो होता है। साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधन उद्योग के महंगे उत्पादों में भी इनकी जरूरत पड़ती है और जापान एवं चीन में रेड सैंडर की काफी मांग है।

ऐसे में श्रीलंका के जरिये चीनी तस्कर एक बड़े नेटवर्क के तहत आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के स्थानीय तस्करों से रेड सैंडर कोड़ियों के भाव खरीदते हैं और एक अनुमान के जरिये अंतरराष्ट्रीय बाजार में 08 से 11 लाख रुपये प्रति टन के हिसाब से बेच देते हैं।

पिछले दो सालों के दौरान 50 आसपास में चीनी नागरिकों को पुलिस ने रेड सैंडर की तस्करी के सिलसिले में गिरफ्तार किया है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत रेड सैंडर के निर्यात पर पुरी तरह पाबन्दी है।

इसकी बढ़ती तस्करी को देखते हुए हाल ही में एक टास्क फ़ोर्स बनाई गई है, जो रेड सैंडर एन्टी स्मगलिंग टास्क फ़ोर्स के नाम से जानी जाती है और इसी ने बीती रात इस मुठभेड़ को अंजाम दिया।

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