नई दिल्ली:
भाजपा ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध जघन्य अपराधों को रोकने सम्बंधी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का देश के नाम दिया गया संदेश जनता में विश्वास उत्पन्न नहीं कर पाया और सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक बुलाए।
लोकसभा में विपक्ष की नेता और पार्टी की नेता सदन सुषमा स्वराज ने पीएम के बयान को नाकाफी बताते हुए आज पार्टी के कोर ग्रुप के नेताओं के साथ बैठक कर कहा कि राष्ट्रपति संसद का विशेष सत्र बुलाएं ताकि कानून को और कड़ा किया जा सके।
इससे पहले, पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, जनता कड़े कानून और समयबद्ध कार्रवाई चाहती है। सरकार जनता के मन का वेग समझने में असफल रही है। प्रधानमंत्री का बयान जनता में किसी तरह का विश्वास पैदा नहीं कर पाया है। यह बहुत देर से आया, बहुत कम भरोसा दिलाने वाला बयान है। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने के वास्ते संसद का विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक बुलाने की विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की मांग को उन्होंने दोहराया।
उन्होंने सवाल किया कि विपक्ष की ओर से रखे गए ‘सकारात्मक और रचनात्मक’ सुझावों पर प्रधानमंत्री ने ध्यान क्यों नहीं दिया।
इससे पहले सुषमा ने इंडिया गेट और विजय चौक पर आंदोलनकारी छात्रों के साथ हुई पुलिस कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से फोन पर बात भी की।
भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी शिंदे से बात करके सुझाव दिया था कि छात्रों पर लाठी चार्ज करने की बजाय वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को प्रदर्शकारियों से बात करनी चाहिए थी।
लोकसभा में विपक्ष की नेता और पार्टी की नेता सदन सुषमा स्वराज ने पीएम के बयान को नाकाफी बताते हुए आज पार्टी के कोर ग्रुप के नेताओं के साथ बैठक कर कहा कि राष्ट्रपति संसद का विशेष सत्र बुलाएं ताकि कानून को और कड़ा किया जा सके।
इससे पहले, पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, जनता कड़े कानून और समयबद्ध कार्रवाई चाहती है। सरकार जनता के मन का वेग समझने में असफल रही है। प्रधानमंत्री का बयान जनता में किसी तरह का विश्वास पैदा नहीं कर पाया है। यह बहुत देर से आया, बहुत कम भरोसा दिलाने वाला बयान है। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने के वास्ते संसद का विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक बुलाने की विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की मांग को उन्होंने दोहराया।
उन्होंने सवाल किया कि विपक्ष की ओर से रखे गए ‘सकारात्मक और रचनात्मक’ सुझावों पर प्रधानमंत्री ने ध्यान क्यों नहीं दिया।
इससे पहले सुषमा ने इंडिया गेट और विजय चौक पर आंदोलनकारी छात्रों के साथ हुई पुलिस कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से फोन पर बात भी की।
भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी शिंदे से बात करके सुझाव दिया था कि छात्रों पर लाठी चार्ज करने की बजाय वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को प्रदर्शकारियों से बात करनी चाहिए थी।
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