फाइल फोटो
नई दिल्ली:
वन रैंक-वन पेंशन के लिए जंतर-मंतर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों के लिए नई आस बंधी है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा ने अनशनरत पूर्व सैनिकों से अपील की कि वे दस दिन तक अपना आमरण अनशन तोड़ दें।
दूसरी तरफ 16 अगस्त से आमरण अनशन पर कर्नल पुष्पिंदर और हवलदार सिंह तो बैठे ही थे, आज से एक और पूर्व सैनिक हवलदार अशोक चौहान भी बेमियादी अनशन पर बैठ गए। वैसे पिछले 65 दिनों से जंतर-मंतर पर ही पूर्व सैनिकों की रिले भूख हड़ताल तो जारी ही है ।
पीएम के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा के बुलावे पर पूर्व सैनिकों का एक प्रतिनिधि उनसे पीएमओ में मिला, लेकिन कोई हल नही निकल पाया। पीएमओ का साफ कहना है कि पहले पूर्व सैनिक बातचीत का सकारात्मक माहौल बनाएं, यानी कम से कम आमरण अनशन तो तोड़ें ही, लेकिन तीनों पूर्व सैनिक वन रैंक वन पेंशन लागू किए बिना अनशन तोड़ने को तैयार नहीं हैं। मिश्रा ने अनशन कर रहे पूर्व फौजियों से कहा, पीएम वन रैंक-वन पेंशन के मसले पर गहराई से विचार कर रहे हैं। फिलहाल आप दस दिन तक अपने अनशन को स्थगित करें, ताकि इस संदर्भ में कोई निर्णय लिया जा सके।
इस मसले पर तीनों सेनाओं के 10 पूर्व प्रमुखों ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुली चिट्ठी लिखी है कि वे 14 अगस्त को जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिकों के साथ हुए खराब बर्ताव से आहत हैं। सरकार के दवाब का ही नतीजा था कि आज दिल्ली के संयुक्त पुलिस कमिश्नर मुकेश मीणा ने पूर्व सैनिकों से मिलकर मांफी मांगी और कहा कि उस दिन गलतफहमी में कार्रवाई हो गई थी। अब दिल्ली पुलिस के जवान पूर्व सैनिकों को हटाने के लिए नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए तैनात रहेंगे।
पूर्व सैनिकों को इस मुद्दे पर बीते 15 अगस्त को भी निराशा हाथ लगी, जब पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से वन रैंक-वन पेंशन जारी करने का कोई ऐलान नहीं किया। उन्होंने कहा, सरकार पूर्व सैनिकों के लिए 'वन रैंक वन पेंशन' के मुद्दे पर अभी किसी समाधान पर नहीं पहुंची है। हालांकि उन्होंने वादा किया है कि उनकी सरकार ने सिद्धांतत: इसे स्वीकार कर लिया है।
दूसरी तरफ 16 अगस्त से आमरण अनशन पर कर्नल पुष्पिंदर और हवलदार सिंह तो बैठे ही थे, आज से एक और पूर्व सैनिक हवलदार अशोक चौहान भी बेमियादी अनशन पर बैठ गए। वैसे पिछले 65 दिनों से जंतर-मंतर पर ही पूर्व सैनिकों की रिले भूख हड़ताल तो जारी ही है ।
पीएम के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा के बुलावे पर पूर्व सैनिकों का एक प्रतिनिधि उनसे पीएमओ में मिला, लेकिन कोई हल नही निकल पाया। पीएमओ का साफ कहना है कि पहले पूर्व सैनिक बातचीत का सकारात्मक माहौल बनाएं, यानी कम से कम आमरण अनशन तो तोड़ें ही, लेकिन तीनों पूर्व सैनिक वन रैंक वन पेंशन लागू किए बिना अनशन तोड़ने को तैयार नहीं हैं। मिश्रा ने अनशन कर रहे पूर्व फौजियों से कहा, पीएम वन रैंक-वन पेंशन के मसले पर गहराई से विचार कर रहे हैं। फिलहाल आप दस दिन तक अपने अनशन को स्थगित करें, ताकि इस संदर्भ में कोई निर्णय लिया जा सके।
इस मसले पर तीनों सेनाओं के 10 पूर्व प्रमुखों ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुली चिट्ठी लिखी है कि वे 14 अगस्त को जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिकों के साथ हुए खराब बर्ताव से आहत हैं। सरकार के दवाब का ही नतीजा था कि आज दिल्ली के संयुक्त पुलिस कमिश्नर मुकेश मीणा ने पूर्व सैनिकों से मिलकर मांफी मांगी और कहा कि उस दिन गलतफहमी में कार्रवाई हो गई थी। अब दिल्ली पुलिस के जवान पूर्व सैनिकों को हटाने के लिए नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए तैनात रहेंगे।
पूर्व सैनिकों को इस मुद्दे पर बीते 15 अगस्त को भी निराशा हाथ लगी, जब पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से वन रैंक-वन पेंशन जारी करने का कोई ऐलान नहीं किया। उन्होंने कहा, सरकार पूर्व सैनिकों के लिए 'वन रैंक वन पेंशन' के मुद्दे पर अभी किसी समाधान पर नहीं पहुंची है। हालांकि उन्होंने वादा किया है कि उनकी सरकार ने सिद्धांतत: इसे स्वीकार कर लिया है।
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