विज्ञापन

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामनेई के प्रतिनिधि ने NDTV से की खास बातचीत, जानें क्या कहा

डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने कहा गाजा के संकट के बारे में बात करें तो, ईरान का संविधान हमें निर्देश देता है कि हम मज़लूम लोगों का समर्थन करें, चाहे वे मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम. गाजा में लोग भूख, प्यास और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं.

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामनेई के प्रतिनिधि ने NDTV से की खास बातचीत, जानें क्या कहा
भारत और ईरान का इतिहास बहुत गहरा और पुराना है: डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही
  • ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामनेई के विश्वभर में केवल 5 प्रतिनिधि हैं, जिनमें से एक भारत में हैं.
  • डॉ अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने गाजा संकट में ईरान की मानवीय मदद और मज़लूमों के समर्थन पर ज़ोर दिया
  • उन्होंने कहा ईरान और भारत के बीच सांस्कृतिक, शैक्षिक और व्यापारिक संबंध प्राचीन हैं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
बेंगलुरु:

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामनेई के विश्वभर में सिर्फ 5 ही लोग हैं जो प्रतिनिधि है. जिनमें से एक प्रतिनिधि भारत में हाल ही में आए हैं. जिनका नाम डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही है, वह एक प्रमुख विद्वान, धार्मिक नेता और ईरान के सुप्रीम लीडर के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं. डॉ अब्दुल मजीद हकीम इलाही बेंगलुरू में हुसैन डे और WhoIsHussain.org के प्रोग्राम में शामिल होने पहुंचे थे. इनसे खास बात की NDTV संवाददाता अली अब्बास नकवी ने.

सवाल: गाजा में चल रहे संकट में ईरान किस तरह की भूमिका निभा सकता है?

जवाब: सबसे पहले, मैं NDTV जैसे प्रतिष्ठित चैनल और आपके इस शानदार कार्यक्रम के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा. आज मैंने हुसैन डे के अवसर पर भारत में विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच सह-अस्तित्व की जो भावना देखी, वह अद्भुत थी. यह वास्तव में प्रेरणादायक है और मैं भारतीय भाइयों-बहनों को इसके लिए बधाई देता हूं. साथ ही एकता के इस तरह के प्रोग्राम इंसानियत को बढ़ाते हैं.. और इमाम हुसैन के रास्ते पर चलना सिखाते हैं.

गाजा के संकट के बारे में बात करें तो, ईरान का संविधान हमें निर्देश देता है कि हम मज़लूम लोगों का समर्थन करें, चाहे वे मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम. गाजा में लोग भूख, प्यास और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसी स्थिति में मानवता के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी मदद करें. यह केवल धार्मिक मसला नहीं है, बल्कि मानवीय दायित्व है.

दुनियाभर में, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों में लोग गाजा के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं. ईरान भी शुरुआत से ही गाजा के लोगों का समर्थन कर रहा है, हालांकि कुछ पड़ोसी देशों और पश्चिमी ताकतों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण सहायता पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है. फिर भी, हम यथासंभव प्रयास कर रहे हैं.. और हमेशा मज़लुमों के साथ खड़े हुए हैं.

सवाल -  अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया है. ऐसे में भारत और ईरान अपने संबंधों को कैसे मजबूत कर सकते हैं?

जवाब: भारत और ईरान का इतिहास बहुत गहरा और पुराना है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, शैक्षिक और व्यापारिक संबंध सदियों से रहे हैं. मैं यह कह सकता हूं कि ईरान का इतिहास समझने के लिए भारत का इतिहास जानना जरूरी है, और इसके विपरीत भी. पिछले कुछ सौ वर्षों में कई ईरानी भारत आए, क्योंकि उन्हें यहां सुरक्षा और शांति मिली. भारत उस समय ज्ञान का केंद्र था. उदाहरण के लिए, एक सवाल पर कि क्या इमाम हुसैन के लिए आशूरा की रात पानी उपलब्ध था, भारतीय विद्वानों ने 250 किताबें लिखीं. यह दर्शाता है कि भारत ज्ञान और संस्कृति का केंद्र रहा है.

ईरान और भारत के बीच ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में बहुत गहरा रिश्ता था। दोनों देशों के बीच बहुत सारी सांस्कृतिक समानताएं हैं. व्यापार के क्षेत्र में भी ऐसा ही है. कुछ परिस्थितियों में, दुर्भाग्यवश, हमने वह रिश्ता खो दिया जो पहले था, और हम आशा करते हैं कि दोनों देशों और दोनों सरकारों के प्रयासों से हम भारत और ईरान के बीच वही पुराना रिश्ता फिर से स्थापित कर सकें. अब भी भारत में कई शहरों और स्थानों के नाम ईरानी हैं, और कई मस्जिदें या इमामबाड़े हैं जो ईरान से आए प्रवासियों ने बनवाए. अब ईरान और भारत के बीच आर्थिक संबंध खराब नहीं हैं, मैं कह सकता हूं कि यह अच्छे हैं. लेकिन यह इससे बेहतर हो सकते हैं, क्योंकि दोनों पक्षों के लिए अवसर इससे कहीं अधिक हैं. अगर इसे बढ़ाया जाए, तो और बेहतर हो सकता है.

राजनीतिक संबंधों की बात करें तो मुझे लगता है कि यह अच्छे हैं, और यह भी इससे बेहतर हो सकते हैं. हम भारत सरकार और ईरान सरकार के बीच अच्छे संबंधों के लिए आभारी हैं. हम आशा करते हैं कि दोनों देशों, विशेष रूप से संसदों और व्यापार, कृषि, और उद्योग मंत्रालयों के बीच आपसी सहयोग से यह रिश्ता और मजबूत होगा.

सवाल- क्या ईरान भारत को कोई विशेष प्रस्ताव दे सकता है, खासकर जब अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाया है?

जवाब: निश्चित रूप से, अमेरिका और भारत के बीच हालिया तनाव ने भारत-ईरान संबंधों के लिए नई संभावनाएं खोली हैं. दोनों देश ब्रिक्स के सदस्य हैं और आर्थिक सहयोग को और मजबूत कर सकते हैं. ईरान भारत के साथ सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और गहरा करना चाहता है. हमारे सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह खामनेई भारत से बहुत प्रेम करते हैं और हमेशा बेहतर संबंधों पर जोर देते हैं.

सवाल - आयतुल्लाह खामनेई भारत को किस तरह देखते हैं?

जैसा कि आप जानते हैं, ईरान के सुप्रीम लीडर के पास दुनिया भर में केवल पांच देशों में प्रतिनिधि हैं. ये देश बहुत महत्वपूर्ण हैं, और इनमें से एक भारत है. वह भारत से बहुत प्यार करते हैं, भारतीय संस्कृति से प्यार करते हैं, और भारतीय लोगों से प्यार करते हैं. वह हमेशा भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए जोर देते हैं, खासकर सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र में.

उन्होंने ईरान और भारत के बीच संबंधों में कुछ बाधाओं को दूर करने के लिए भी काम किया है. वह हमेशा दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों की तलाश में रहते हैं. मैंने सुना है कि जब भी ईरान के विदेश मंत्री उनसे मिलते हैं, तो वह भारत के बारे में पूछते हैं. वह उनसे कहते हैं कि उन्हें भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए काम करना चाहिए और आर्थिक, सांस्कृतिक और मित्रता के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए.

मैं अभी भारत में रह रहा हूं और मुझे लगता है कि मैं अपने घर में हूं. मुझे यहां पर बहुत सम्मान मिला है, और मेरे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया गया है. मुझे लगता है कि ईरान और भारत के बीच संबंध बहुत मजबूत हो सकते हैं.

सवाल - हाल ही में ईरान और इज़रायल के बीच तनाव की खबरें आई हैं. अगर इज़रायल ईरान पर हमला करता है, तो ईरान की क्या रणनीति होगी?

जवाब: ईरान हमेशा अपनी रक्षा के लिए तैयार है. अगर कोई गलती करता है, तो ईरान का जवाब पहले से कहीं अधिक कड़ा होगा। हमारे सर्वोच्च नेता ने हाल के तनावों में भी साहस और दृढ़ता का परिचय दिया है.

सवाल - क्या आयतुल्लाह खामनेई बंकर में छिपे हैं?

जवाब: यह खबर कि वे कथित तौर पर बंकर में छिपे हैं, पूरी तरह आधारहीन है. वे हमेशा सामने रहकर स्थिति का सामना करते हैं और देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं. यह सिर्फ मीडिया में ही है, लेकिन यह सच नहीं है. वह कभी भी किसी चीज़ से नहीं डरते हैं, कभी भी नहीं. वह शहादत की तलाश में हैं, तो वह कैसे किसी चीज़ से डर सकते हैं? वह कहीं नहीं गए, कहीं नहीं छिपे। वह उन्हें ढूंढ रहे थे. वह छिपे नहीं हैं, वह उस स्थान पर थे जहां वह उन्हें ढूंढ रहे थे,   जैसा कि आप जानते हैं, इस युद्ध में, ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामनेई ने इज़राइल के खिलाफ सभी हमलों का नेतृत्व किया है.

सवाल-  भारत में आपका अनुभव कैसा रहा?

जवाब: भारत में मैं खुद को विदेशी नहीं, बल्कि घर में महसूस करता हूं. यहां की संस्कृति, सम्मान और मित्रता मुझे ईरान से भी बेहतर लगी. मैं भारत के लोगों और उनकी आतिथ्यता का कायल हूं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com