नई दिल्ली : कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने सरकार पर बड़ा हमला बोला। पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एलान किया कि किसानों के हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी कदम के खिलाफ वह सबसे आगे रहेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि लोकसभा चुनावों में कॉर्पोरेट्स से लिए गए भारी कर्ज को चुकाने के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक लाया गया है।
करीब दो महीने की छुट्टी के बाद सार्वजनिक जीवन में लौटे राहुल ने कहा, 'मैं आपको बताऊंगा कि मोदी जी ने कैसे चुनाव जीता। उन्होंने बड़े-बड़े उद्योगपतियों से हजारों करोड़ का कर्ज लिया जिससे उनकी मार्केटिंग की गई। अब उस कर्ज को वह कैसे चुकाएंगे। आपकी जमीन उन बड़े उद्योगपतियों को देकर वह ऐसा करेंगे। वह किसानों को कमजोर करना चाहते हैं, फिर उनकी जमीन छीन कर अपने उद्योगपति दोस्तों को देंगे।'
राहुल ने कहा कि गुजरात मॉडल के जरिये मोदी जी ने दिखाया है कि वह बड़ी आसानी से किसानों की जमीन छीन सकते हैं और उद्योगपतियों को समझाया कि वह पूरे देश में ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 'यह मोदी का मॉडल है, नींव को कमजोर करो, फिर इमारत की पुताई करो और दुनिया को दिखाओ कि इमारत चमक रही है जबकि वास्तव में यह खोखली हो गई है।
इसके साथ ही राहुल ने पीएम मोदी की हालिया विदेश यात्रा के दौरान उनके बयानों की निंदा की, जिसमें प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों की गंदगी को साफ करने की बात की थी। उन्होंने कहा कि विदेशी जमीन पर पिछली सरकारों के खिलाफ बयानबाजी प्रधानमंत्री के पद पर आसीन को शोभा नहीं देती।
इस रैली में सोनिया गांधी ने जहां सरकार पर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का आरोप लगाया, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नया विधेयक 2013 के कानून को कमजोर करने का प्रयास है, जिसका मकसद किसानों को सशक्त बनाना था।
रामलीला मैदान में कांग्रेस की किसान रैली में बड़ी संख्या में भीड़ जमा हुई, जिसमें कांग्रेस के नेताओं ने संकल्प लिया कि मोदी सरकार द्वारा किसानों को कमजोर करने और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की कोशिशों का डटकर मुकाबला किया जाएगा।
सोनिया, राहुल और मनमोहन का जोर इस बात पर था कि पिछले साल चुनावों से पहले मोदी ने किसानों समेत जनता को बड़े बड़े सपने दिखाये और अब किसान विरोधी नीतियां ला रहे हैं। सोनिया गांधी ने कहा, 'बहुत हो चुका।'
रामलीला मैदान में आयोजित कांग्रेस की यह रैली महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत के ठीक एक दिन पहले हुई है। भूमि विधेयक को लेकर बढ़ते टकराव के मद्देनजर संसद के इस सत्र के हंगामेदार रहने का अनुमान है।
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