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'हमें दुनिया से सीखने की जरूरत नहीं, भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी' : संसद में ये 5 बड़ी बातें बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने संसद में कोरोनावायरस, कृषि क्षेत्र, भारत में निवेश, प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना, किसान आंदोलन समेत कई मुद्दों का जिक्र किया.

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PM मोदी ने राज्यसभा में कई मुद्दों का जिक्र किया.
नई दिल्ली:

संसद (Parliament) का बजट सत्र (Budget Session) जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण दे रहे हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने संसद में कोरोनावायरस, कृषि क्षेत्र, भारत में निवेश, प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना, किसान आंदोलन समेत कई मुद्दों का जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताईं थीं. विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा. ये आशंकाएं सभी ने जताईं. कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं और भारत हैं जहां रिकॉर्ड निवेश हो रहा है.' बता दें कि बजट सत्र का पहला चरण 15 फरवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 8 मार्च से 8 अप्रैल तक चलेगा.

PM नरेंद्र मोदी के संबोधन की 5 बड़ी बातें

  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'अनेक चुनौतियों के बीच राष्ट्रपति जी का इस दशक का प्रथम भाषण हुआ लेकिन ये भी सही है, जब पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, भारत के युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत सच्चे में एक अवसरों की भूमि है. अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं. जो देश युवा हो, जो देश उत्साह से भरा हुआ हो, जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो, वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता. अच्छा होता कि राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सभी सदस्य होते, तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती. किसी को ये गिला-शिकवा न होता कि हमने राष्ट्रपति जी का भाषण नहीं सुना.'
  2. पीएम मोदी ने कहा, '1971 में 1 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों की संख्या 51 फीसदी थी, जो आज बढ़कर 68 फीसदी हो गई है., यानी उन किसानों की संख्या बढ़ रही है, जिनके पास बहुत कम जमीन है. आज देश में 86 फीसदी ऐसे किसान हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है, ऐसे 12 करोड़ किसान हैं. क्या इनके प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है. हमें चौधरी चरण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिशा में कुछ करना होगा. चौधरी चरण सिंह हमेशा किसानों के सेंसस का जिक्र करते थे, जिसमें यह बात सामने आई थी कि देश में 33 फीसदी किसानों के पास 2 बीघा से कम जमीन है और 18 फीसदी के पास 2 से 4 बीघा जमीन है. चौधरी चरण सिंह मानते थे कि इससे इन किसानों का गुजारा नहीं हो सकता.'
  3. प्रधानमंत्री ने कहा, 'सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई है. ज्यादा से ज्यादा समय जो बात बताई गईं, वो आंदोलन के संबंध में बताई गई. किस बात को लेकर आंदोलन है, उस पर सब मौन रहे. जो मूलभूत बात है, अच्छा होता कि उस पर भी चर्चा होती. किसान आंदोलन पर राजनीति हो रही है. चुनौतियां तो हैं लेकिन हमें तय करना है कि हम समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या समाधान का माध्यम बनना चाहते हैं.'
  4. पीएम मोदी ने आगे कहा, 'हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है. ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है. भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है. प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है. भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है. भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी है, न आक्रामक है. ये सत्यम, शिवम, सुंदरम मूलों से प्रेरित है. ये वक्तव्य आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी का है. दुर्भाग्य है कि जाने-अनजाने में हमने नेताजी की भावना को, उनके आदर्शों को भुला दिया है. उसका परिणाम है कि आज हम ही, खुद को कोसने लगे हैं. हमने अपनी युवा पीढ़ी को सिखाया नहीं कि ये देश लोकतंत्र की जननी है. हमें ये बात नई पीढ़ी को सिखानी है.'
  5. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इस कोरोना काल में भारत ने वैश्विक संबंधों में एक विशिष्ट स्थान बनाया है, वैसे ही भारत ने हमारे फेडरल स्ट्रक्चर को इस कोरोना काल में, हमारी अंतर्भूत ताकत क्या है, संकट के समय हम कैसे मिलकर काम कर सकते हैं. ये केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर कर दिखाया है. कोरोना की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है लेकिन हिंदुस्तान को तो जाता है. गर्व करने में क्या जाता है. विश्व के सामने आत्मविश्वास से बोलने में क्या जाता है. हम सभी के लिए ये भी एक अवसर है कि हम आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये अपने आप में एक प्रेरक अवसर है. हम जहां भी, जिस रूप में हों मां भारती की संतान के रूप में इस आजादी के 75वें पर्व को हमें प्रेरणा का पर्व मनाना चाहिए.'

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