जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बहाने 'जाटलैंड' को साधने की कोशिश, हफ्तेभर में PM मोदी का दूसरा 'मास्टर स्ट्रोक'

Noida International Airport: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के बाद बिगड़े सियासी हालात और सपा-रालोद के गठबंधन से उपजे सामाजिक समीकरणों और चुनौतियों को पाटने की दिशा में बीजेपी की एक बड़ी कोशिश के तौर पर इसे देखा जा रहा है.

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दिल्ली से सटे नोएडा के जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Jewar-Noida International Airport) का शिलान्यास कर न केवल विकास के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करने की कोशिश की है, बल्कि उन्होंने राज्य के पांचवें इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बहाने पश्चिमी यूपी के जाटलैंड में बीजेपी की खिसकती जमीन को और मजबूत करने की कोशिश की है.

किसान आंदोलन की वजह से पिछले एक साल से किसानों, खासकर जाटों का, बीजेपी सरकार से मोहभंग हो रहा था. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को पहले तीनों कृषि कानूनों का वापस लेने का ऐलान कर किसानों खासकर पश्चिमी यूपी के जाट मतदाताओं को साधने की कोशिश की. वहीं हफ्ते भर के अंदर नोएडा के जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास और भूमिपूजन कर उन्होंने दूसरा मास्टरस्ट्रोक चला है लेकिन एंटी इनकमबेंसी के दौर में यह कितना कारगर होगा, फिलहाल कहना मुश्किल है.

दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के बाद बिगड़े सियासी हालात और सपा-रालोद के गठबंधन से उपजे सामाजिक समीकरणों और चुनौतियों को पाटने की दिशा में बीजेपी की एक बड़ी कोशिश के तौर पर इसे देखा जा रहा है. बता दें कि 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी का सियासी वनवास खत्म कराने में पश्चिमी यूपी की अहम भूमिका रही है. राज्य की कुल 403 असेंबली सीटों में से 136 इसी क्षेत्र से आती हैं. इनमें से 80 फीसदी सीटें बीजेपी की झोली में गई थीं. 

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लिहाजा, बीजेपी नहीं चाहती कि किसान आंदोलन के बाद इस इलाके से उसका सफाया हो. ऐसे में बीजेपी ने सीधे प्रधानमंत्री को जाटलैंड में उतारकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. उन्होंने इस मौके पर खुद कहा कि यह एयरपोर्ट स्थिति को बदलने में कारगर होगा. उन्होंने कहा कि यह एयरपोर्ट उत्तरी भारत का लॉजिस्टिक गेटवे और गतिशक्ति योजना का केंद्र बनेगा.

जेवर एयरपोर्ट की रणनीतिक स्थिति से अलीगढ़, हापुड़, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर के लोगों को जहां रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकेंगे, वहीं इस क्षेत्र में कई व्यावसायिक गतिविधियां शुरू हो सकेंगी. प्रधानमंत्री ने इस परियोजना के जरिए यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि जब डबल इंजन की सरकार होगी तो राज्य अपेक्षित विकास की गति से पटरी पर दौड़ सकता है. उन्होंने इसी बहाने मतदाताओं को यह भी जताने की कोशिश की कि अगर फिर से राज्य में बीजेपी की सरकार बनती है तो उत्तर प्रदेश उत्तम सुविधा वाला प्रदेश बन सकता है. 

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अधिकारियों के मुताबिक इस एयरपोर्ट पर 4588 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसका पहला चरण 2023 यानी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बनकर तैयार होगा. इसके लिए 2000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है. माना जा रहा है कि यह दुनिया का चौथा और एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट  होगा. इस परियोजना के जरिए दिल्ली समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश को विशेष फायदा होगा. 2050 तक यह एयरपोर्ट पूर्णरूप से बनकर तैयार हो सकेगा.