पीएम मोदी ने की ‘स्टैंडअप इंडिया’ की शुरुआत, कहा - मेरे जैसा ही हुनर दलित भाइयों के पास

पीएम मोदी ने की ‘स्टैंडअप इंडिया’ की शुरुआत, कहा - मेरे जैसा ही हुनर दलित भाइयों के पास

स्‍टैंडअप इंडिया की शुरुआत करते पीएम नरेंद्र मोदी

नोएडा:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ‘स्टैंडअप इंडिया’ योजना की शुरुआत की। 'स्टैंडअप इंडिया' योजना का मकसद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा महिलाओं को 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये के बीच कर्ज देकर इन वर्ग के लोगों को उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। इस मौके पर उन्होंने इस योजना के तहत कुछ लोगों को चेक भी दिए। इससे पहले मोदी ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर ई-रिक्शा के बारे में जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने ई-रिक्शा पाने वालों से चाय पर चर्चा भी की। नोएडा के सेक्टर-62 में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली, उप्र के राज्यपाल राम नाईक, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा, केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया सहित कई लोग मौजूद थे।

कार्यक्रम को लॉन्च किए जाने के मौके पर पीएम मोदी के भाषण की प्रमुख बातें...

- आज हम सालों तक देश सेवा करने वाले बाबू जगजीवन राम को श्रद्धांजलि देते हैं
- मेरिट को तरजीह दी जगजीवन राम ने
- बाबू जगजीवन राम ने देश को बहुत गौरवान्वित किया। आज उनके जन्‍मदिन के मौके पर स्‍टैंडअप इंडिया योजना लॉन्‍च हुई है
- कृषि मंत्री के रूप में बाबू जगजीवन राम ने हरित क्रांति के लिए बहुत कुछ किया।
- कोई किसी भी पार्टी में रहा हो, हमें उन्‍हें याद रखना है जो देश के लिए जिए।
- सबको आगे आने का मौका मिलना चाहिए।
- हुनर में कोई कम नहीं है, जैसा हुनर मेरे पास, वैसा ही मेरे दलित भाइयों के पास है।
- ईश्वर ने हम सबको समान क्षमताएं दी हैं, लेकिन हमें मौका मिला, दलितों और आदिवासियों को नहीं।
- अगर मौका दिया जाए तो दलित और आदिवासी देश में कई सुधार ला सकते हैं।
- नौकरी की तलाश करने वालों को नौकरी देने वाला बनना होगा।
- 'मुद्रा' स्कीम और 'स्टैंडअप इंडिया' अभियान में बहुत फर्क है।

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इस मौके पर केंद्रीय जेटली ने कहा, "आज एक ऐतिहासिक शुरुआत हो रही है। केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना का शुभारंभ हो रहा है। पहले की सरकारों में नीतियां कागजों पर बनती थीं, लेकिन लोगों तक नहीं पहुंच पाती थीं। वर्तमान सरकार का प्रयास है कि जो भी योजनाएं बनें, उसे लोगों तक पहुंचाया जाए।" जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को सुदृढ़ होने तक उनको संगठित करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, "मौजूदा संसाधनों के बीच बैंकों के फिर से पूंजीकरण की कोशिश कर रहे हैं। मैं अतिरिक्त स्रोतों को खोजने की कोशिश कर रहा हूं, ताकि बैंकों को मजबूत बनाया जा सके।"