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This Article is From Apr 23, 2013

विपक्ष ने मांगा पीएम का इस्तीफा, सोनिया ने कहा- जरूरत नहीं

नई दिल्ली: कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता को लेकर मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में कामकाज नहीं हो पाया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कानून मंत्री अश्विनी कुमार से इस्तीफे की मांग की जिसे कांग्रेस ने सिरे से खारिज कर दिया। संसद की एक समिति ने 1993 से सभी खान आवंटन रद्द किए जाने का सुझाव दिया है।

संसद के दोनों सदनों में दिन भर के लिए कार्यवाही स्थगित होने से पहले बार-बार बाधा उत्पन्न होती रही। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कोयला ब्लॉक आवंटन संबंधित सीबीआई के शपथ पत्र में कथित रूप से संशोधन करने वाले कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा किया।

भाजपा प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने कहा, "घोटालों की शृंखला और जिस निर्लज्जता से सरकार ने सत्य को दबाया है उसे देखते हुए भाजपा संसदीय दल ने फैसला किया है कि प्रधानमंत्री इस्तीफा दें और कानून मंत्री को हटाया जाए।" उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक शपथ पत्र जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर दबाव डाला गया, इस पर भी भाजपा संसदीय दल की बैठक में चर्चा हुई। उन्होंने कहा, "इसमें कानून मंत्री अश्विनी कुमार और प्रधानमंत्री कार्यालय की भूमिका है। अश्विनी कुमार ने सीबीआई के शपथ पत्र का व्याकरण दुरुस्त करने का प्रयास किया। यह सब जिस समय हुआ उस समय सीबीआई को कानून मंत्री के जैसे अंग्रेजी के ट्यूटर की दरकार थी।"

इधर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भाजपा की मांग को खारिज किया। सोनिया ने संवाददाताओं से कहा, "उन्हें कहने दीजिए।" उन्होंने लोकसभा में रिपोर्ट पेश होने से पहले प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्यों के साथ बातचीत की।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने भी मनमोहन सिंह से इस्तीफे की मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया और वे कर्तव्य के प्रति लापरवाही के दोषी हैं।

भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, "प्रधानमंत्री इस्तीफा दें।" उन्होंने कहा, "कई मामलों में प्रधानमंत्री कर्तव्य के प्रति लापरवाही के दोषी हैं। उन्होंने अपना काम नहीं किया, वे देश के प्रति प्रतिबद्धता बरकरार रखने में असफल रहे। उन्हें देश के हितों की रक्षा करनी चाहिए थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए।"

संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने मांग को खारिज किया। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगे जाने का कोई औचित्य नहीं है।"

समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव हालांकि सरकार का बचाव करते नजर आए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस बात में विश्वास नहीं करती कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने सीबीआई की रिपोर्ट में छेड़छाड़ की है।

यह पूछने पर कि क्या उनकी पार्टी यह मानती है कि संप्रग सरकार ने सीबीआई रिपोर्ट में मनमाफिक हेराफेरी की है? उन्होंने कहा, "हम इस बात पर विश्वास नहीं करते, लेकिन हमारा मानना है कि सरकार को इस पर एक बयान देना चाहिए।" सपा प्रमुख ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला देश के सामने सबसे बड़ा मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, "चीन ने अपनी सीमा से सटी हमारे देश की 12 किलोमीटर जमीन हथिया ली है यह कहीं ज्यादा गंभीर मुद्दा है। आखिर समाचार माध्यम इसे नजरअंदाज क्यों कर रहे हैं।"

कोयला मंत्रालय की स्थायी समिति के अध्यक्ष कल्याण बनर्जी ने यह कह कर सरकार की परेशानी को और बढ़ा दी है कि 1993 से कोल ब्लाकों का किया गया आवंटन गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि लाइसेंस रद्द किए जाएं और आवंटन के लिए दोषियों की जांच की जानी चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता पीसी चाको ने कहा कि मुद्दा गंभीर है, लेकिन इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा क्योंकि यह सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है।

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