कुछ लोग हमेेशा निराशा ढूंढते और फैलाते रहते हैं : पीएम मोदी के भाषण की खास बातें

कुछ लोग हमेेशा निराशा ढूंढते और फैलाते रहते हैं : पीएम मोदी के भाषण की खास बातें

नई दिल्ली:

पूरा देश आज 69वां स्वतंत्रता दिवस समारोह मना रहा है। मुख्य कार्यक्रम राजधानी दिल्ली के लाल किले पर आयोजित किया गया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरंगा फहराया। लाल किले पर राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री के संबोधन की मुख्य बातें -

भारत के सवा सौ करोड़ मेरे प्‍यारे देशवासियों। आजादी के पावन पर्व पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

15 अगस्‍त का ये सवेरा मामूली सवेरा नहीं है। विश्‍व के सबसे बड़े लोकतंत्र का स्‍वतंत्र पर्व का सवेरा है। सवा सौ करोड़ देशवासियों के सपनों का सवेरा है।

ये सवेरा सवा सौ करोड़ देशवासियों के संकल्‍प का सेवरा है और ऐसे पावन पर्व पर जिन महापुरूषों के बलिदान, त्‍याग और तपस्‍या के कारण, सदियों तक भारत की अस्मिता के लिए लड़ते रहे, जवानी जेल में खपाते रहे, लेकिन सपने नहीं छोड़े, संकल्‍प नहीं छोड़े, ऐसे आजादी के सेनानियों को कोटी-कोटी वंदन करता हूं।

देश के अन्‍य गणमान्‍य नागरिकों, युवा, साहित्‍यकारों और समाजसेवियों एवं अन्‍य ने विश्‍व भर में भारत का माथा ऊंचा करने का अभिनंदनीय कार्य किया। अनगिनत उन लोगों को भारत की प्राचीर से हृदय से शुभकामनाएं देता हूं।

विश्‍व के सामने भारत की विशालता, भारत की विविधता के गुणगान होते रहते हैं। जैसे भारत की अनेक विविधताएं हैं, भारत की विशालता है, वैसे ही भारत के जन-जन में सरलता भी है और भारत के कोने-कोने में एकता भी है। यही हमारे देश की शक्ति है। हर युग में उसे नया निखार देने का प्रयास हुआ है।

पुरातन परंपराओं के बीच यह देश यहां पहुंचा है। हमारी एकता, सरलता, भाईचारा, सद्भाव बहुत बड़ी पूंजी है। इस पर कभी दाग नहीं लगना चाहिए। अगर देश की एकता बिखर जाए तो सपने भी चूर-चूर हो जाते है, इसीलिए जातिवाद के जहर, संप्रदाय के जुनून को किसी भी रूप में जगह नहीं देनी है।

यह देश टीम इंडिया के कारण आगे बढ़ रहा है। यह टीम इंडिया सवा सौ करोड़ देशवासियों की वृहद टीम है। क्‍या दुनिया ने सोचा है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की टीम जब एक होकर लग जाती है, वो राष्‍ट्र को बढ़ाती हैं और बचाती भी है। हम जहां पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं, वो सवा सौ करोड़ की टीम के कारण है। लोकतंत्र में जनभागीदारी सबसे बड़ी पूंजी होती है।

टीम इंडिया का एक ही जनादेश है और वह यह कि हमारी सारी व्‍यवस्‍थाएं, सारी योजनाएं इस देश के गरीब के काम आनी चाहिए। हम गरीबी से मुक्ति की लड़ाई को बल प्रदान करना चाहते हैं। गरीब भी गरीबी से जंग करना चाहता है।

15 अगस्‍त को आपके सामने कुछ विचार रखे थे, तब मैं नया था। मैंने जो शुरू-शुरू में देखा था उसको कोई लाग-लपेट के बिना खुले मन से देशवासियों के सामने रख दिया था, लेकिन आज एक साल के बाद उसी लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को विश्‍वास दिलाता हूं कि एक साल में टीम इंडिया एक नए विश्‍वास के साथ, नए सामर्थ्‍य के समयसीमा में सपनों को साकार करने में जुट गई है।

17 करोड़ देशवासियों को बैंक तक लाने के लिए बहुत जी-जान से जुटना पड़ता है। बैंक के कर्मचारियों, बैंकों का हृदय से अभिनंदन करता हूं, क्‍योंकि उन्‍होंने बैंक को गरीबों के सामने लाकर रख दिया।

भारत जैसे देश में अगर विकास का पिरामिड देखें, तो उसके सबसे नीचे की सतह सबसे मजबूत होती है। आज विकास के पिरामिड के आधार में देश का दलित, पीड़ित, उपेक्षित बैठा है। इसलिए हमें विकास के पिरामिड को मजबूत करना है। हमने सामाजिक सुरक्षा, गरीबों की भलाई पर बल दिया है।

श्रमिकों का सम्‍मान और गौरव हमारा राष्‍ट्रीय कर्तव्‍य, स्‍वभाव होना चाहिए। अब काम छोड़ने पर भी असंगठित मजदूरों का पैसा उनके पास आएगा।

नया कानून बनाने का खेल हमारे देश में चलता रहा। ज्यादा कानून सुशासन के लिए ठीक नहीं। गरीबों के लिए 44 कानूनों को हमने समेट दिया।

आज मैं हिसाब देना चाहता हूं। मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों को कहना चाहता हूं कि यह देश भ्रष्‍टाचार से मुक्‍त हो सकता है। भ्रष्‍टाचार हमारे देश में दीमक की तरह लगा हुआ है। इस दीमक को खत्‍म करने में समय लगेगा।

15 हजार करोड़ की गैस सब्सिडी को साीधे खत्‍म करने का निर्णय ले सकता था। हमने यह गैस सब्सिडी ग्राहकों के खाते में सीधी पहुंचाई। आज टीम इंडिया से कहना चाहता हूं कि इस सब्सिडी के नाम पर सालाना 15 हजार करोड़ रुपया चोरी होता था, वह बंद हो गया। इस तरह देश से गैस सब्सिडी के नाम पर चल रहा भ्रष्‍टाचार चला गया।

कुछ लोगों को निराशा की गर्त में डूबने का शौक होता है। कुछ लोग निराशा ढूंढते रहते और फैलाते रहते हैं।

अगर कोयले की चर्चा करूंगा तो कुछ राजनीतिक पंडित उसे राजनीति की तराजू से तोलेंगे। उनसे प्रार्थना करता हूं जिस कोयले की चर्चा करने जा रहा है उसे रानजीति के तराजू से न तोलें। हमने निर्णय लिया कोयला, स्‍पेक्‍ट्रम और खनिज की नीलामी की जाएगी, अब समय सीमा में नीलामी से तीन लाख करोड़ रुपये देश के खजाने में आएंगे। हिंदुस्‍तान की संपत्ति लूटने वालों के खजाने बंद हुए। कोयला नीलामी से दलालों को झटका लगा।

एफएम रेडियो के ऑक्‍शन न करने का मुझ पर काफी दबाव डाला गया, लेकिन हमने पारदर्शिता के तहत कई शहरों में एफएम रेडियो के ऑक्‍शन करवाए।

मनरेगा का पैसा और बच्‍चों की छात्रवृति कैसे सीधे उनके अकाउंट में जाए इस दिशा में हमने काम किया।

महंगाई कम करने में हम सफल हुए हैं। उसे और नीचे लाने का प्रयास जारी है। हमारे आने से पहले महंगाई दो अंकों में थी।

गरीब की थाली में संतोषजनक खाना मिले, हम इस दिशा में आगे चल रहे हैं।

देश के कृषि जीवन में बदलाव की बहुत जरूरत। हमें जमीन की उपजाऊ ताकत बढ़ानी पड़ेगी। 50 हजार करोड़ रुपये कृषि सिंचाई योजना के लिए लगाने का फैसला किया है। हमें अपने कृषि जीवन में आंदोलन शुरू करना है।

पूर्वी भारत में चार यूरिया फर्टिलाइजर के कारखाने बंद पड़े हैं। नई यूरिया नीति बनाने से उन्हें दोबारा जीवित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

देश में सेना के जवानों के कल्‍याण के जितना महत्‍व ही किसान के कल्‍याण का है। किसान कल्‍याण का बेहद महत्‍व है। अब कृषि मंत्रालय किसान कल्‍याण मंत्रालय के रूप में जाना जाएगा।

आजादी के इतने वर्षों बाद भी देश में करीब 18,500 गांव बिना बिजली के हैं। आजादी के प्रकाश से ये गांव वंचित हैं। अगर पुराने तरीकों से चलते रहे तो 10 साल में भी इन गांवों में बिजली नहीं पहुंचेंगी। राज्‍यों के सहयोग और स्‍थानीय निकायों की मदद से आने वाले एक हजार दिन में 18,500 गांव में बिजली पहुंचाने का काम करेंगे।

कोयला आदिवासियों के बीच में है, ऐसे में उन पर ध्‍यान दिया जाए। यह वर्ष डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती का वर्ष है। हर बैंक ब्रांच यह संकल्‍प करे कि अपने इलाके में जहां ट्राइबल बस्‍ती हो, जहां नहीं है, वहां दलितों को, हर बैंक ब्रांच एक दलित-आदिवासी को स्‍टार्ट अप के लिए लोन दे। इससे हमारे देश में सवा लाख दलित उद्यमी पैदा होंगे। महिला उद्यमियों के लिए भी बैंक मदद करें। इससे देश में नए उद्यमी पैदा होंगे और देश के आर्थिक जीवन में बदलाव आएगा।

देश का फौजी राष्‍ट्र की संपत्ति है। 'वन रैंक वन पेंशन' प्रस्‍ताव हर सरकार के सामने आया। अभी तक मैं इसे नहीं कर पाया, लेकिन मैं विश्‍वास दिलाता हूं, सिद्धांतत: 'वन रैंक-वन पेंशन' हमने स्‍वीकार किया हुआ है और इसके संगठनों से बात चल रही है। हर किसी को न्‍याय मिले इसे ध्‍यान में रखते हुए हमने रास्‍ता खोजा है। जिस प्रकार से बातचीत चल रही है, सुखद परिणाम मिलने की आशा है।

15 अगस्‍त 2022 के लिए संकल्‍प लेना है कि हम देश और समाज की भलाई के लिए आगे बढ़ेंगे। सरकार के हर विभाग और इकाई भी काम में जुट जाएं।

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स्‍वाभिमानी, समृद्ध, सुसंस्‍कृत, श्रेष्‍ठ भारत बनाना है। 2022 तक हर नागरिक के लिए घर, हर घर तक बिजली पहुंचाने का काम करना है।