नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती पर उनसे जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों की डिजिटल प्रतियां सार्वजनिक कर दीं। इन फाइलों से नेताजी की मृत्यु से जुड़े विवाद को समझने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने फाइलों को सार्वजनिक किया और इनकी डिजिटल प्रतियां भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में प्रदर्शित करने के लिए जारी कीं। प्रधानमंत्री ने एक बटन दबाकर इन फाइलों की प्रतियों को सार्वजनिक किया और उस समय सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और बाबुल सुप्रियो भी मौजूद थे।
बाद में पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने सार्वजनिक की गई इन फाइलों को देखा और वहां राष्ट्रीय अभिलेखागार में आधे घंटे तक रहे। उन्होंने बोस के परिवार के सदस्यों से भी बात की।
पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री ने नेताजी के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी और यह घोषणा की थी कि सरकार उनसे जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करेगी। नेताजी के करीब 70 साल पहले लापता होने के बारे में अभी भी रहस्य बरकरार है।
नेताजी के लापता होने से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए गठित दो आयोगों ने यह निष्कर्ष निकाला कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइपेइ में विमान दुर्घटना में हुई, जबकि न्यायमूर्ति एम.के. मुखर्जी के नेतृत्व में गठित तीसरे आयोग का यह निष्कर्ष नहीं था और उसका मानना था कि बोस इसके बाद भी जीवित थे। इस विवाद को लेकर नेताजी के परिवार में भी अलग-अलग विचार सामने आए हैं।
इस संबंध में चार दिसंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय ने 33 गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया था और उसे एनएआई को सौंपा था। इसके बाद गृह और विदेश मंत्रालय ने नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया शुरू की और इसे बाद में एनएआई को हस्तांतरित कर दिया गया।
नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के बारे समारोह में मौजूद रहे बोस के परिवार के सदस्य एवं प्रवक्ता चंद्र कुमार बोस ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के इस कदम का तहे दिल से स्वागत करते हैं। यह भारत में पारदर्शिता का दिन है।
कांग्रेस के शासनकाल में नष्ट हुई फाइलें
इससे पहले चंद्र कुमार बोस ने कहा, 'हम महसूस करते हैं कि कुछ महत्वपूर्ण फाइलों को कांग्रेस के शासनकाल में नष्ट कर दिया गया, ताकि सत्य को छिपाया जा सके। हमारे पास इस बात को समझने के लिए दस्तावेजी सबूत हैं। इसलिए हम महसूस करते हैं कि भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रूस, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका में रखी गई फाइलों को जारी किया जा सके।'
उन्होंने कहा कि हमने अभी सभी फाइलों का अध्ययन नहीं किया है, लेकिन अभी तक जो कुछ हमने देखा है, उससे विमान दुर्घटना के बारे में परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं लेकिन निष्कर्ष निकालने लायक साक्ष्य नहीं हैं।
चंद्र कुमार बोस ने कहा कि यहां तक कि एक पत्र में हमने देखा, जो लाल बहादुर शास्त्री द्वारा सुरेश बोस को लिखा गया था और उसमें विमान दुर्घटना का निष्कर्ष निकालने लायक साक्ष्य नहीं होने की बात है और केवल कुछ परिस्थितिजन्य साक्ष्य की बात है।
उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में इस सरकार के रुख में बदलाव आया है। सबसे पहले नेताजी के बारे में तथ्यों को दबाने के रुख को त्यागा गया। और यह नेताजी के बारे में सचाई सामने लाने में सबसे महत्वपूर्ण होगा।
समारोह में मौजूद नेताजी के भतीजे अरधेंदू बोस ने कहा कि बोस का परिवार और सम्पूर्ण देश पिछले सात दशकों से इस पल की प्रतीक्षा कर रह था। हम महसूस करते हैं कि इन फाइलों से इस विषय पर कुछ प्रकाश पड़ेगा।
पीएम ने दी नेताजी को श्रद्धांजलि
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनसे जुड़े दस्तावेजों का खुलासा शनिवार से शुरू होगा।
मोदी ने एक ट्वीट में कहा, 'आज हम सभी भारतीयों के लिए एक खास दिन है। नेताजी से जुड़े दस्तावेजों का खुलासा शनिवार से शुरू हो जाएगा। इसके लिए मैं खुद भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार जाऊंगा।'
एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं। उनकी बहादुरी और देशभक्ति ने उन्हें भारतीयों की सभी पीढ़ियों में लोकप्रिय बनाया है।'
सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी से जुड़े दस्तावेजों के खुलासे का फैसला किया है। भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने इन दस्तावेजों को डिजिटल रूप दिया है।
इस संबंध में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'इन दस्तावेजों के खुलासे से जनता की दीर्घकालिक मांगें पूरी होंगी और शोधकर्ताओं को भविष्य में नेताजी पर शोध में मदद मिलेगी।'
पीएम मोदी ने नेताजी के रिश्तेदारों से 23 जनवरी को नेताजी से जुड़ी फाइलों को डिक्लासिफाइड किए जाने का वादा किया था। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 64 फ़ाइलों को सार्वजनिक कर दिया था। इसके बाद केंद्र के पास रखी फ़ाइलों को भी सार्वजनिक करने की मांग तेज हो गई थी। यही नहीं इससे नेताजी की मौत की सच्चाई देश के सामने आ सकती है।
राष्ट्रीय अभिलेखागार को 1997 में रक्षा मंत्रालय की ओर से आजाद हिंद फौज से संबंधित 990 दस्तावेज प्राप्त हुए थे, जिसकी स्थापना नेताजी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना के खिलाफ की थी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और कभी महात्मा गांधी के करीबी सहयोगियों में से एक रहे बोस के बारे में बताया जाता है कि उनका निधन 1945 में फॉरमोसा (अब ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में हुआ था, जो अब भी एक रहस्य है। बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था।
प्रधानमंत्री ने फाइलों को सार्वजनिक किया और इनकी डिजिटल प्रतियां भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में प्रदर्शित करने के लिए जारी कीं। प्रधानमंत्री ने एक बटन दबाकर इन फाइलों की प्रतियों को सार्वजनिक किया और उस समय सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और बाबुल सुप्रियो भी मौजूद थे।
बाद में पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने सार्वजनिक की गई इन फाइलों को देखा और वहां राष्ट्रीय अभिलेखागार में आधे घंटे तक रहे। उन्होंने बोस के परिवार के सदस्यों से भी बात की।
पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री ने नेताजी के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी और यह घोषणा की थी कि सरकार उनसे जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करेगी। नेताजी के करीब 70 साल पहले लापता होने के बारे में अभी भी रहस्य बरकरार है।
नेताजी के लापता होने से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए गठित दो आयोगों ने यह निष्कर्ष निकाला कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइपेइ में विमान दुर्घटना में हुई, जबकि न्यायमूर्ति एम.के. मुखर्जी के नेतृत्व में गठित तीसरे आयोग का यह निष्कर्ष नहीं था और उसका मानना था कि बोस इसके बाद भी जीवित थे। इस विवाद को लेकर नेताजी के परिवार में भी अलग-अलग विचार सामने आए हैं।
इस संबंध में चार दिसंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय ने 33 गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया था और उसे एनएआई को सौंपा था। इसके बाद गृह और विदेश मंत्रालय ने नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया शुरू की और इसे बाद में एनएआई को हस्तांतरित कर दिया गया।
नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के बारे समारोह में मौजूद रहे बोस के परिवार के सदस्य एवं प्रवक्ता चंद्र कुमार बोस ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के इस कदम का तहे दिल से स्वागत करते हैं। यह भारत में पारदर्शिता का दिन है।
कांग्रेस के शासनकाल में नष्ट हुई फाइलें
इससे पहले चंद्र कुमार बोस ने कहा, 'हम महसूस करते हैं कि कुछ महत्वपूर्ण फाइलों को कांग्रेस के शासनकाल में नष्ट कर दिया गया, ताकि सत्य को छिपाया जा सके। हमारे पास इस बात को समझने के लिए दस्तावेजी सबूत हैं। इसलिए हम महसूस करते हैं कि भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रूस, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका में रखी गई फाइलों को जारी किया जा सके।'
उन्होंने कहा कि हमने अभी सभी फाइलों का अध्ययन नहीं किया है, लेकिन अभी तक जो कुछ हमने देखा है, उससे विमान दुर्घटना के बारे में परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं लेकिन निष्कर्ष निकालने लायक साक्ष्य नहीं हैं।
चंद्र कुमार बोस ने कहा कि यहां तक कि एक पत्र में हमने देखा, जो लाल बहादुर शास्त्री द्वारा सुरेश बोस को लिखा गया था और उसमें विमान दुर्घटना का निष्कर्ष निकालने लायक साक्ष्य नहीं होने की बात है और केवल कुछ परिस्थितिजन्य साक्ष्य की बात है।
उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में इस सरकार के रुख में बदलाव आया है। सबसे पहले नेताजी के बारे में तथ्यों को दबाने के रुख को त्यागा गया। और यह नेताजी के बारे में सचाई सामने लाने में सबसे महत्वपूर्ण होगा।
समारोह में मौजूद नेताजी के भतीजे अरधेंदू बोस ने कहा कि बोस का परिवार और सम्पूर्ण देश पिछले सात दशकों से इस पल की प्रतीक्षा कर रह था। हम महसूस करते हैं कि इन फाइलों से इस विषय पर कुछ प्रकाश पड़ेगा।
पीएम ने दी नेताजी को श्रद्धांजलि
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनसे जुड़े दस्तावेजों का खुलासा शनिवार से शुरू होगा।
मोदी ने एक ट्वीट में कहा, 'आज हम सभी भारतीयों के लिए एक खास दिन है। नेताजी से जुड़े दस्तावेजों का खुलासा शनिवार से शुरू हो जाएगा। इसके लिए मैं खुद भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार जाऊंगा।'
Today is a special day for all Indians. Declassification of Netaji files starts today. Will go to National Archives myself for the same.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2016
एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं। उनकी बहादुरी और देशभक्ति ने उन्हें भारतीयों की सभी पीढ़ियों में लोकप्रिय बनाया है।'
Remembering Netaji Subhas Chandra Bose on his birth anniversary. His bravery & patriotism endears him to several Indians across generations.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2016
सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी से जुड़े दस्तावेजों के खुलासे का फैसला किया है। भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने इन दस्तावेजों को डिजिटल रूप दिया है।
इस संबंध में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'इन दस्तावेजों के खुलासे से जनता की दीर्घकालिक मांगें पूरी होंगी और शोधकर्ताओं को भविष्य में नेताजी पर शोध में मदद मिलेगी।'
पीएम मोदी ने नेताजी के रिश्तेदारों से 23 जनवरी को नेताजी से जुड़ी फाइलों को डिक्लासिफाइड किए जाने का वादा किया था। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 64 फ़ाइलों को सार्वजनिक कर दिया था। इसके बाद केंद्र के पास रखी फ़ाइलों को भी सार्वजनिक करने की मांग तेज हो गई थी। यही नहीं इससे नेताजी की मौत की सच्चाई देश के सामने आ सकती है।
राष्ट्रीय अभिलेखागार को 1997 में रक्षा मंत्रालय की ओर से आजाद हिंद फौज से संबंधित 990 दस्तावेज प्राप्त हुए थे, जिसकी स्थापना नेताजी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना के खिलाफ की थी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और कभी महात्मा गांधी के करीबी सहयोगियों में से एक रहे बोस के बारे में बताया जाता है कि उनका निधन 1945 में फॉरमोसा (अब ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में हुआ था, जो अब भी एक रहस्य है। बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था।
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