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This Article is From Jul 01, 2017

पीएम मोदी ने भाषण में किया गीता, चाणक्य और 'लौह पुरुष' सरदार पटेल का जिक्र..

पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की 18 वीं मीटिंग हुई. ये संयोग है कि गीता के 18 अध्याय है, और जीएसटी के भी 18 मीटिंग है.

पीएम मोदी ने भाषण में किया गीता, चाणक्य और 'लौह पुरुष' सरदार पटेल का जिक्र..
पीएम मोदी ने कहा कि ये संयोग है कि गीता के 18 अध्याय है, और जीएसटी की भी 18 मीटिंग हुईं...
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
जीएसटी में केंद्र राज्य के लोग मिलकर निश्चित दिशा में काम करेंगे
जीएसटी की व्यवस्था आर्थिक भाषा में ही सीमित नहीं है
एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए व्यवस्था बनेगा जीएसटी
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने जीएसटी को लेकर आयोजित संसद में विशेष सत्र को संबोधित किया.अपने भाषण में पीएम मोदी ने गीता के अध्यायों, चाणक्य और 'लौह पुरुष' सरदार पटेल का खूबसूरती से जिक्र किया, उसकी चर्चा सबसे ज्यादा होती रही. पीएम ने कहा कि जीएसटी को लेकर पिछले कई सालों से अलग-अलग टीमों के द्वारा जो प्रक्रियाएं चली हैं, वो भारत के संघीय ढांचे के लिए मिसाल हैं. 

गीता के अध्यायों का जीएसटी से जोड़ा संयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी के लिए लंबी प्रक्रिया के दौरान जीएसटी काउंसिल केंद्र और राज्य की बैठकों को गीता के अध्यायों से जोड़ा. पीएम ने कहा कि इस प्रकिया को आगे बढ़ाने में जिन्होंने योगदान दिया वे  बधाई के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि आज जीएसटी काउंसिल की 18 वीं मीटिंग हुई. ये संयोग है कि गीता के 18 अध्याय है, और जीएसटी के भी 18 मीटिंग है. आज हम उस सफलता के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

आचार्य चाणक्य और 'लौह पुरुष' का किया जिक्र 
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि चाणक्य ने कहा था, 'कोई वस्तु कितनी भी दूर क्यों न हो, उसका मिलना कठिन न क्यों न हो, कठिन तपस्या और परिश्रम से उसे भी पाया जा सकता है. हम कल्पना करें देश आजाद हुआ, 500 रियासतें थीं. अगर सरदार पटेल ने सबको मिलाकर एक न किया होता तो देश का मानचित्र कैसा होता? जिस प्रकार से पटेल ने एकीकरण का काम किया था उसी तरह आज जीएसटी के द्वारा आर्थिक एकीकरण का महत्वपूर्ण काम हो रहा है.'

मिडनाइट सेशन को कुछ इस तरह खास बताया
पीएम मोदी ने अपने भाषण में बार-बार इस बात का संकेत दिया कि यह सत्र क्यों खास है और किसी भी स्थिति में पूर्व में आयोजित ऐतिहासिक सत्रों से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि रात्रि के 12 बजे इस सेंट्रल हॉल में एकत्र हुए हैं. ये वो जगह है जो इस राष्ट्र के अनेक महापुरुषों के पदचिन्हों से इस जगह ने पावन किया है. 9 दिसंबर 1946 से इस जगह को हम याद करते हैं. संविधान सभा की पहली बैठक से यह हॉल साक्षी है. जब संविधान सभा की पहली बैठक हुई, पंडित जवाहर लाल नेहरु, डॉक्टर पटेल, उस सदन में जहां, कभी 14 अगसल्त 1947 रात 12 बजे देश की स्वतंत्रता पवित्र और महान घटना का साक्ष्य है. 26 नवंबर 1949 देश ने संविधान को स्वीकार किया. यह वही जगह है. और आज जीएसटी के रूप से बढ़कर कोई और स्थान नहीं हो सकता, इस काम के लिए. संविधान का मंथन 2 साल 11 महीने 17 दिन चला था. हिंदुस्तान के कोने-कोने से विद्वान उस बहस में हिस्सा लेते थे. वाद-विवाद होते थे, राजी नाराजी होती थी. सब मिलकर बहस करते थे रास्ते खोजते थे. इस पार उस पार नहीं हो पाए तो बीच का रास्ता खोजकर चलने का प्रयास करते थे.

 

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