प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल समझौते की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल समझौते की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

पीएम मोदी ने सिंधु नदी संधि पर विमर्श के लिए बैठी समिति की अध्यक्षता की

नई दिल्ली:

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते की समीक्षा के लिए बुलायी बैठक की अध्यक्षता की.

इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर, जल संसाधन सचिव एवं प्रधानमंत्री कार्यालय के अन्य अधिकारी उपस्थित थे. यह समीक्षा बैठक 18 भारतीय सैनिकों की जान लेने वाले उरी आतंकी हमले का पाकिस्तान को मुनासिब जवाब देने के विकल्पों पर विचार के सिलसिले में बुलाई गई है.

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क्या है सिंधु नदी संधि? भारत और पाकिस्तान के लिए क्यों है अहम?
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भारत में यह मांग लगातार बढ़ रही है कि आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए भारत सिंधु नदी के पानी के बंटवारे से जुड़े इस समझौते को तोड़ दे. इस समझौते के तहत छह नदियों, व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी को दोनों देशों के बीच बांटा गया था. पाकिस्तान की यह शिकायत रही है कि उसे पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा और इसके लिए वह एक दो बार अन्तरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए भी जा चुका है.

जम्मू कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था कि 1960 में किये गये इस समझौते के बारे में सरकार का जो भी फैसला होगा उनका राज्य इसका पूरा समर्थन करेगा. सिंह ने कहा था, ‘‘इस संधि के कारण जम्मू कश्मीर को बहुत नुकसान हुआ है.’’ क्योंकि राज्य इन नदियों, विशेष रूप से जम्मू की चिनाब के पानी का कृषि अथवा अन्य जरूरतों के लिए पूरा उपयोग नहीं कर पाता है. उन्होंने कहा था, ‘‘केन्द्र सरकार सिंधु जल संधि के बारे में जो भी फैसला करेगी, राज्य सरकार उसका पूरा समर्थन करेगी.’’ उल्लेखनीय है कि भारत ने पिछले सप्ताह स्पष्ट तौर पर कहा था, इस संधि को जारी रखने के लिए ‘आपसी विश्वास और सहयोग’ बहुत महत्वपूर्ण है.


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