यह ख़बर 21 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

'पीएम, मंत्रिमंडल को कसाब की फांसी का पता टीवी से चला'

खास बातें

  • केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि कसाब को फांसी देने के कार्यक्रम की जानकारी केंद्रीय मंत्रिमंडल के किसी भी मंत्री को नहीं थी। यहां तक कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी इसकी जानकारी नहीं थी।
नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि कसाब को फांसी देने के कार्यक्रम की जानकारी केंद्रीय मंत्रिमंडल के किसी भी मंत्री को नहीं थी। यहां तक कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी इसकी जानकारी नहीं थी। इस बारे में सिर्फ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्रालय को ही जानकारी थी।

शिंदे ने एक निजी टेलीविजन चैनल को बताया कि उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों को इसकी जानकारी टेलीविजन से ही मिली।

शिंदे ने कसाब को फांसी देने की कार्रवाई को दैनिक काम काज का हिस्सा बताया और कहा, "सिर्फ गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति को ही इसकी खबर थी। इसका मंत्रिमंडल से कोई नाता नहीं था।"

शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री को भी इसकी जानकारी टेलीविजन से ही मिली।

मंत्री ने कहा, "यह मेरे दैनिक कामकाज का हिस्सा है। मेरा काम ऐसी गतिविधियों को गोपनीय रखना है। मुझे पुलिस में प्रशिक्षण मिला है।"

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शिंदे ने फांसी से पहले अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में कहा कि उन्होंने कसाब के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करके राष्ट्रपति के पास भेजा और इस पर लिखा कि उसकी दया याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। राष्ट्रपति ने पांच नवम्बर को इस पर हस्ताक्षर कर उसी दिन इसे वापस भेज दिया। शिंदे हालांकि रोम में उस दिन इंटरपोल की बैठक में शामिल थे और वह दो दिनों बाद लौटे। लौटने पर उन्होंने उस गोपनीय दस्तावेज को देखा, जिसमें राष्ट्रपति ने कसाब की याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया का ऑपरेशन-एक्स जैसा कुछ होने से भी इनकार किया। उन्होंने कहा कि अदालत में याचिकाओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से बचने के लिए गोपनीयता अपनाई गई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस मामले में सहयोगात्मक रवैया रखने का भरोसा दिलाया है।