नगा समझौते के बाद लोगों को संबोधित करते पीएम मोदी
नई दिल्ली:
पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समस्या से निपटने में केंद्र सरकार को बड़ी सफलता मिली है। उग्रवाद प्रभावित नगालैंड में सरकार को नगा नेताओं के साथ समझौता हो गया है। पीएम मोदी ने सोमवार शाम को ट्वीट कर बताया था कि वो प्रधानमंत्री आवास से खास ऐलान करने वाले हैं। ये नगा समझौते के रूप में सामने आया।
NSCN मुइवा गुट के साथ हुए समझौते पर पीएम मोदी ने कहा, 'ये एक ऐतिहासिक लम्हा है। उन्होंने ने कहा कि ये समस्या 6 दशकों से बनी हुई थी। पीएम ने कहा, 'नॉर्थ इस्ट से मेरा गहरा नाता रहा है और मैं पहले भी कई बार नगालैंड आ चुका हूं। उन्होंने कहा कि महिलाओं का सम्मान कोई नगालैंड से सीखे। पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत ने नगाओं को अलग किया।
समझौते के बाद लोगों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा, 'आज एक नए युग का आरंभ हो रहा है। 3 अगस्त भारत के इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठ के रूप में दर्ज किया जा रहा है।' उन्होंने कहा, 'आजादी के बाद से ही उग्रवाद के कारण असुरक्षा और तनाव का माहौल बना, आशंकाएं इतनी गहरी थी कि भरोसा नहीं था। 60 साल से अधिक समय बीत गया। आज वो एक सुनहरा पल आया है जब हम शस्त्र को छोड़कर कंधे से कंधा मिलाकर नगालैंड का विकास हो और देश का भी विकास हो, ऐसी नई यात्रा का आरंभ कर रहे हैं।
पीएम ने क्षेत्र के सबसे बड़े संगठन एनएसएसीन के नेताओं का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, 'मैं नगा नेताओं की दूरदृष्टि का कायल हूं। ये नगालैंड के साथ एक नई शुरूआत है और पूरे देश की तरफ से नगालैंड को बधाई।
प्रधानमंत्री ने नागालैंड में शांति बहाल करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए नगा नेताओं के साथ 1947 से चले आ रहे मसले को सुलझाने के लिए नगा नेताओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के मुइवा भी मौजूद थे।
नॉर्थ-इस्ट में शांति के लिए इस समझौते को अहम माना जा रहा है। समझौते से पहले पीएम मोदी ने शाम को ट्वीट कर कहा कि आज शाम आप एक अहम घटना का गवाह बनेंगे।
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एनएससीएन के नेता मुइवा ने कहा, 'मैं ऊपरवाले का इस महत्वपूर्ण मौके लिए धन्यवाद करता हूं। आज हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजनरी नेतृत्व में एक दूसरे के करीब आए हैं ताकि एक दूसरे को समझ पाएं।'
कौन है NSCN
एनएससीएन का जन्म 31 जनवरी 1980 में तब हुआ था जब इसाक चिशी स्वू, थुइंगालेंग मुइवा और एसएस खापलांग ने नगा नेशनल काउंसिल द्वारा भारत सरकार के साथ साइन किए गए शिलॉन्ग समझौते का विरोध करते हुए इसकी स्थापना की थी। 1988 में इसके दो हिस्से हो गए जो क्रमश: एनएससीएन-के और एनएससीएन-आईएम के रूप में सामने आए। एनएससीएन-के का नेतृत्व एसएस खापलांग के हाथों में गया जबकि एनएससीएन-आईएम का नेतृत्व चिशी स्वु और मुइवा के हाथों में आया।
NSCN मुइवा गुट के साथ हुए समझौते पर पीएम मोदी ने कहा, 'ये एक ऐतिहासिक लम्हा है। उन्होंने ने कहा कि ये समस्या 6 दशकों से बनी हुई थी। पीएम ने कहा, 'नॉर्थ इस्ट से मेरा गहरा नाता रहा है और मैं पहले भी कई बार नगालैंड आ चुका हूं। उन्होंने कहा कि महिलाओं का सम्मान कोई नगालैंड से सीखे। पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत ने नगाओं को अलग किया।
समझौते के बाद लोगों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा, 'आज एक नए युग का आरंभ हो रहा है। 3 अगस्त भारत के इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठ के रूप में दर्ज किया जा रहा है।' उन्होंने कहा, 'आजादी के बाद से ही उग्रवाद के कारण असुरक्षा और तनाव का माहौल बना, आशंकाएं इतनी गहरी थी कि भरोसा नहीं था। 60 साल से अधिक समय बीत गया। आज वो एक सुनहरा पल आया है जब हम शस्त्र को छोड़कर कंधे से कंधा मिलाकर नगालैंड का विकास हो और देश का भी विकास हो, ऐसी नई यात्रा का आरंभ कर रहे हैं।
पीएम ने क्षेत्र के सबसे बड़े संगठन एनएसएसीन के नेताओं का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, 'मैं नगा नेताओं की दूरदृष्टि का कायल हूं। ये नगालैंड के साथ एक नई शुरूआत है और पूरे देश की तरफ से नगालैंड को बधाई।
प्रधानमंत्री ने नागालैंड में शांति बहाल करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए नगा नेताओं के साथ 1947 से चले आ रहे मसले को सुलझाने के लिए नगा नेताओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के मुइवा भी मौजूद थे।
नॉर्थ-इस्ट में शांति के लिए इस समझौते को अहम माना जा रहा है। समझौते से पहले पीएम मोदी ने शाम को ट्वीट कर कहा कि आज शाम आप एक अहम घटना का गवाह बनेंगे।
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एनएससीएन के नेता मुइवा ने कहा, 'मैं ऊपरवाले का इस महत्वपूर्ण मौके लिए धन्यवाद करता हूं। आज हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजनरी नेतृत्व में एक दूसरे के करीब आए हैं ताकि एक दूसरे को समझ पाएं।'
कौन है NSCN
एनएससीएन का जन्म 31 जनवरी 1980 में तब हुआ था जब इसाक चिशी स्वू, थुइंगालेंग मुइवा और एसएस खापलांग ने नगा नेशनल काउंसिल द्वारा भारत सरकार के साथ साइन किए गए शिलॉन्ग समझौते का विरोध करते हुए इसकी स्थापना की थी। 1988 में इसके दो हिस्से हो गए जो क्रमश: एनएससीएन-के और एनएससीएन-आईएम के रूप में सामने आए। एनएससीएन-के का नेतृत्व एसएस खापलांग के हाथों में गया जबकि एनएससीएन-आईएम का नेतृत्व चिशी स्वु और मुइवा के हाथों में आया।
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