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This Article is From May 09, 2017

ईवीएम मशीनों को वीवीपीएटी से जोड़ने की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब तलब

चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए लेकिन अभी पिछले दिनों पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं उसमें लोगों को ईवीएम में छेड़छाड़ का शक है.

ईवीएम मशीनों को वीवीपीएटी से जोड़ने की याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब तलब
नई दिल्‍ली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को वोट वेरिफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ जोड़ने की बहुजन समाज पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इस बीच कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और त्रिणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी इस मामले में दखल याचिका दायर की है. जस्टिस जे चेलमेश्वर की बेंच में बसपा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी चिदम्बरम ने कहा कि मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, केंद्र सरकार की ओर से वीवीपीएटी के लिए तीन हजार करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. ऐसे में चुनाव आयोग का पक्ष जानना जरूरी है. लिहाजा आयोग का पक्ष आने केबाद आगे की सुनवाई की जाए. जिसके बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग को जुलाई के तीसरे हफ्ते तक अपना जवाब दायर करने केलिए कहा है. अगली सुनवाई जुलाई के अंतिम हफ्ते में होगी.

इस मामले में 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. कोर्ट ने 8 मई तक जवाब देने का निर्देश दिया था. हालांकि BSP ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका का वो हिस्सा वापस लिया है जिसमें यूपी और उतराखंड से चुनाव को रद्द करने की मांग ली गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि बूथ कैप्चरिंग और बैलेट बदलने जैसे मामलों के उपचार के तौर पर EVM मशीनों को लाया गया था.

सुप्रीम कोर्ट में EVM को लेकर उठ रहे सवालों के बीच कांग्रेस के बड़े नेता और बड़े वकील पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, आनंद शर्मा आदि विरोध में पैरवी कर रहे हैं. चिदंबरम ने कोर्ट में कहा कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि EVM मशीनों में VVPAT (वोटर वैरिफिकेशन पेपर आडिट ट्रे- पेपर स्लिप) के इस्तेमाल किया जाना चाहिए. चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर तीन हजार करोड़ रुपये मांगे थे,  लेकिन केंद्र ने ये राशि नहीं दी है. कपिल सिब्बल ने कहा, साउथ अफ्रीका को छोड़कर कोई भी देश EVM का इस्तेमाल नहीं करता है.

लेकिन. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये आप कैसे कह सकते हैं क्योंकि ये आपकी सरकार ने ही किया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि राजनीतिक विवाद से इस केस का कोई लेना-देना नहीं, वो इस मामले में कानून के तहत ही सुनवाई करेगा. EVM मशीनों में गड़बड़ि‍यों  के मामले में सुप्रीम कोर्ट बसपा और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक की अर्जी पर सुनवाई कर रहा है. बसपा और याचिकाकर्ता पूर्व MLA अतउर रहमान ने कहा है कि चुनावों के दौरान EVM मशीनों में VVPAT (वोटर वैरिफिकेशन पेपर आडिट ट्रे- पेपर स्लिप) के बिना इस्तेमाल ना किया जाए.

बसपा ने अपनी याचिका में केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग के अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भी पक्षकार बनाया है. याचिका में चुनाव में ईवीएम का प्रयोग करने के जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 61(1)(ए) के तहत दिये गये प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. कहा गया है कि ईवीएम से चुनाव में मतदाताओं के अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का हनन होता है. मतदाता को यह नहीं पता चलता कि वह किसको मत दे रहा है. इससे अनुच्छेद 324 में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का भी उल्लंघन होता है. याचिका में चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम मे गड़बड़ी की शिकायत वाला बसपा का ज्ञापन खारिज करने का आदेश भी रद करने की मांग की गई है.

बसपा ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि चुनाव आयोग को आदेश दिया जाए कि वह भविष्य में सारे चुनाव विधानसभा और लोकसभा के वीवीपीएटी (पेपर ट्रेल) वाली ईवीएम मशीनों से कराए जिनमें से वोट डालने पर पर्ची निकलती है. याचिका में लोकतंत्र के महत्व और चुनाव की पारदर्शिता की बात करते हुए कहा गया है कि मत देना वैसे तो सिर्फ विधायी अधिकार है लेकिन मत के जरिये अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है.

चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए लेकिन अभी पिछले दिनों पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं उसमें लोगों को ईवीएम में छेड़छाड़ का शक है. बसपा ने कहा है कि सुप्रीमकोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में दिये फैसले में कहा है कि पेपर ट्रेल वाली वीवीपीएटी ईवीएम मशीनें चुनाव में प्रयोग की जाएं ताकि विश्वसनीयता बनी रहे. कोर्ट के आदेश के बावजूद यूपी में 403 विधानसभा क्षेत्रों में से सिर्फ 20 जगह ही वीवीपीएटी की ईवीएम मशीने प्रयोग हुईं. बसपा का आरोप है कि ऐसा जानबूझकर किया गया ताकि शरारत की गुंजाइश बनी रहे.

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