नई दि्ल्ली:
हिन्दू सम्मेलन में संघ नेताओं के साथ कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के चित्र के प्रकाशन पर आरएसएस और सिंह एक बार फिर से आमने-सामने आ गए हैं। भाजपा ने भी कहा कि कुछ समय पहले आरएसएस से काफी घनिष्ठता रखने वाले दिग्विजय अब ऊल-जलूल बातें कर रहे हैं।
एक तरफ, आरएसएस ने दिग्विजय सिंह पर वोट बैंक और साम्प्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया, वहीं सिंह ने इसके जवाब में कहा कि संघ को बताना चाहिए कि जिस प्रकार से उसने हाल ही में प्रकाशित पुस्तक में अन्ना हजारे की प्रशंसा की, उस तरह से क्या कभी उनकी तारीफ की।
आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक राम माघव ने कहा, ‘हाल ही में प्रकाशित इस चित्र से कांग्रेस की पुरानी सम्प्रदायिक राजनीतिक की पुष्टि होती है जिसमें वह शुरू से शामिल रही है।’ उन्होंने कहा कि चुनावी फायदे के लिए किसी विशेष मंच पर जाने और फिर कुछ अन्य समूह के वोट के लिए सार्वजनिक रूप से उसी संगठन की आलोचना करने में उन्हें कोई हिचक नहीं है।
माधव ने कहा, ‘यह एक प्रकार की अल्पसंख्यक और साम्प्रदायिक राजनीति है, वह इसमें शुरू से शामिल रहे हैं। मैं इस विवादास्पद चित्र में और कुछ नहीं देखता। मैं नहीं समझता कि उनकी किसी विचारधारा में विश्वास है।’ वहीं, आरएसएस पर निशाना साधते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह आरएसएस कार्यकर्ताओं और भाजपा का इस शोध कार्य के लिए शुक्रिया करते हैं। उन्होंने कहा कि वह कांची के शंकराचार्य की ओर से आयोजित विराट हिन्दू सम्मेलन में शामिल हुए थे और इसके लिए कांग्रेस नेतृत्व से अनुमति प्राप्त कर ली थी।
एक तरफ, आरएसएस ने दिग्विजय सिंह पर वोट बैंक और साम्प्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया, वहीं सिंह ने इसके जवाब में कहा कि संघ को बताना चाहिए कि जिस प्रकार से उसने हाल ही में प्रकाशित पुस्तक में अन्ना हजारे की प्रशंसा की, उस तरह से क्या कभी उनकी तारीफ की।
आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक राम माघव ने कहा, ‘हाल ही में प्रकाशित इस चित्र से कांग्रेस की पुरानी सम्प्रदायिक राजनीतिक की पुष्टि होती है जिसमें वह शुरू से शामिल रही है।’ उन्होंने कहा कि चुनावी फायदे के लिए किसी विशेष मंच पर जाने और फिर कुछ अन्य समूह के वोट के लिए सार्वजनिक रूप से उसी संगठन की आलोचना करने में उन्हें कोई हिचक नहीं है।
माधव ने कहा, ‘यह एक प्रकार की अल्पसंख्यक और साम्प्रदायिक राजनीति है, वह इसमें शुरू से शामिल रहे हैं। मैं इस विवादास्पद चित्र में और कुछ नहीं देखता। मैं नहीं समझता कि उनकी किसी विचारधारा में विश्वास है।’ वहीं, आरएसएस पर निशाना साधते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह आरएसएस कार्यकर्ताओं और भाजपा का इस शोध कार्य के लिए शुक्रिया करते हैं। उन्होंने कहा कि वह कांची के शंकराचार्य की ओर से आयोजित विराट हिन्दू सम्मेलन में शामिल हुए थे और इसके लिए कांग्रेस नेतृत्व से अनुमति प्राप्त कर ली थी।
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