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This Article is From Aug 05, 2016

सहूलियत : अब पेंशनयाफ्ता लोगों को जीवित होने का सबूत देने के लिए बैंक जाने की जरूरत नहीं

सहूलियत : अब पेंशनयाफ्ता लोगों को जीवित होने का सबूत देने के लिए बैंक जाने की जरूरत नहीं
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का फाइल फोटो
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
अब प्रक्रियागत समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा
असमर्थता की स्थिति में बैंक अधिकारी खुद प्रमाणपत्र दर्ज करेगा
पीएम मोदी ने 2014 में आधार आधारित डिजिटल 'जीवन प्रमाण' की शुरुआत की
नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को बताया कि पेंशन जारी रखने के लिए अब पेंशनयाफ्ता लोगों को जीवित होने का सबूत देने के वास्ते बैंक जाने की जरूरत नहीं है। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को बताया कि केंद्र सरकार की पेंशन लेने वालों और पारिवारिक पेंशन लेने वालों को अब अपनी पेंशन जारी रखने में कोई प्रक्रियागत समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

अब उनकी पेंशन नियमित रूप से बैंक में जाएगी और पेंशनयाफ्ता लोगों को जीवित होने का सबूत देने के लिए बैंक जाने की जरूरत नहीं है। जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया, ''पेंशनयाफ्ता लोगों को अब बैंक जाकर जीवित होने संबंधी प्रमाण पत्र नहीं देना होगा बल्कि वह आधार आधारित बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के जरिये या फिर इस उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी के हस्ताक्षर के साथ इसे ऑनलाइन पेश कर सकता है।''

जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर पेंशनयाफ्ता व्यक्ति अपनी गंभीर बीमारी या असमर्थता के बारे में चिकित्सा प्रमाणपत्र सहित सूचना देता है तो बैंक की भुगतान शाखा का अधिकारी खुद ही घर या अस्पताल जाकर पेंशनयाफ्ता व्यक्ति का जीवन संबंधी प्रमाणपत्र दर्ज करेगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2014 में पेंशनयाफ्ता लोगों के लिए आधार आधारित डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र 'जीवन प्रमाण' की शुरुआत की थी। देश में करीब 58 लाख लोग केंद्र सरकार की पेंशन ले रहे हैं।

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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