नई दिल्ली:
दिल्ली नगर निगम हर साल करीब ढाई सौ करोड़ रुपये बतौर पेंशन बांटती है। लेकिन जब ये पेंशन पार्षद अपने दोस्तों और करोड़ों के फ्लैट में रहने वाले लोगों को देने लगे तो आप खुद सोच सकते हैं कि इस पेंशन का फायदा
जरूरतमंद लोगों तक कितना पहुंच पाता होगा। एनडीटीवी ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया कि कई ऐसे लोगों को पेंशन मिल रही है, जिनके वो हकदार नहीं है।
मधु विहार इलाके में लगे 'हैप्पी न्यू ईयर' बोलती होर्डिंग में पार्षद पवन राठी लोगों को शुभकामनाएं दे रहे हैं, लेकिन पोस्टर के नीचे लगे अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं या उनके परिवार को पेंशन भी दे रहे थे। जो गरीब, अबला या सामाजिक तौर पर कमजोर लोगों के लिए होता है। हमने अपनी पड़ताल पवन राठी के खास प्रदीप धामा के घर से शुरू की।
इनके परिवार में 11 लोगों की टीम को पेंशन मिली, लेकिन प्रदीप धामा कहते हैं कि ये सारे किराएदार थे, लिहाजा इनकी पेंशन कट गई है। इसी तरह मनोज और सोनू के भी परिवार के लोगों को पेंशन दी गई। बब्लू डागर और राजू तेवतिया को भी पेंशन का प्रसाद मिला।
लेकिन पेंशन कटवाने का त्याग आखिर कैसे इन लोगों ने किया, इसकी अलग कहानी है। दरअसल इसकी वजह एक आरटीआई थी। तीन महीने पहले यानी बीते अप्रैल में जैसे ही पार्षद के खास लोगों के पेंशन के बारे में जानकारी मांगी गई। जैसे ही इनको आरटीआई की भनक मिली अप्रैल में ये सारी पेंशन कटवा दी गई।
नाम कटवाने वालों में पार्षद के एक दूसरे खास करीबी कमल सिंह भी हैं। केबल का कारोबार है पर सालाना आमदनी 50 हज़ार से कम दिखाकर छह लोगों की पेंशन लूटने में कामयाब रहे, जिसमें वो खुद, उनकी पत्नी और परिवार के लोग शामिल हैं। इसी तरह युद्धवीर सिंह इलाके के प्रधान हैं, लेकिन पत्नी की बेसहारा की पेंशन लगाई गई।
हमने पार्षद पवन राठी से बात करने की भरसक कोशिश की लेकिन कैमरे पर नहीं आए, ऑफ रिकार्ड बता दिया कि सारी पेंशन हटवा पर पंसदीदा लोगों को पेंशन बांटने का ये खेल सिर्फ एक वार्ड तक नहीं सिमटा।
द्वारका के ब्रह्मा अपार्टमेंट की आलीशान इमारत में भी निगम के 'गरीब' पेंशनर रहते हैं। यहां एक पेंशनर मिले जिनके तीन लड़के सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन वो भी पेंशन ले रहे हैं। जबकि इस पेंशन के वही हकदार है, जिनके परिवार की आमदनी 50 हज़ार सालाना से कम हो। लेकिन इस सोसायटी के गेट पर गार्ड का काम करने वाले रामस्वरुप को आज तक पेंशन नहीं मिली। सवाल ये उठता है कि क्या निगम के पेंशन का लाभ जरूरतमंदों को मिल रहा है?
जरूरतमंद लोगों तक कितना पहुंच पाता होगा। एनडीटीवी ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया कि कई ऐसे लोगों को पेंशन मिल रही है, जिनके वो हकदार नहीं है।
मधु विहार इलाके में लगे 'हैप्पी न्यू ईयर' बोलती होर्डिंग में पार्षद पवन राठी लोगों को शुभकामनाएं दे रहे हैं, लेकिन पोस्टर के नीचे लगे अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं या उनके परिवार को पेंशन भी दे रहे थे। जो गरीब, अबला या सामाजिक तौर पर कमजोर लोगों के लिए होता है। हमने अपनी पड़ताल पवन राठी के खास प्रदीप धामा के घर से शुरू की।
इनके परिवार में 11 लोगों की टीम को पेंशन मिली, लेकिन प्रदीप धामा कहते हैं कि ये सारे किराएदार थे, लिहाजा इनकी पेंशन कट गई है। इसी तरह मनोज और सोनू के भी परिवार के लोगों को पेंशन दी गई। बब्लू डागर और राजू तेवतिया को भी पेंशन का प्रसाद मिला।
लेकिन पेंशन कटवाने का त्याग आखिर कैसे इन लोगों ने किया, इसकी अलग कहानी है। दरअसल इसकी वजह एक आरटीआई थी। तीन महीने पहले यानी बीते अप्रैल में जैसे ही पार्षद के खास लोगों के पेंशन के बारे में जानकारी मांगी गई। जैसे ही इनको आरटीआई की भनक मिली अप्रैल में ये सारी पेंशन कटवा दी गई।
नाम कटवाने वालों में पार्षद के एक दूसरे खास करीबी कमल सिंह भी हैं। केबल का कारोबार है पर सालाना आमदनी 50 हज़ार से कम दिखाकर छह लोगों की पेंशन लूटने में कामयाब रहे, जिसमें वो खुद, उनकी पत्नी और परिवार के लोग शामिल हैं। इसी तरह युद्धवीर सिंह इलाके के प्रधान हैं, लेकिन पत्नी की बेसहारा की पेंशन लगाई गई।
हमने पार्षद पवन राठी से बात करने की भरसक कोशिश की लेकिन कैमरे पर नहीं आए, ऑफ रिकार्ड बता दिया कि सारी पेंशन हटवा पर पंसदीदा लोगों को पेंशन बांटने का ये खेल सिर्फ एक वार्ड तक नहीं सिमटा।
द्वारका के ब्रह्मा अपार्टमेंट की आलीशान इमारत में भी निगम के 'गरीब' पेंशनर रहते हैं। यहां एक पेंशनर मिले जिनके तीन लड़के सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन वो भी पेंशन ले रहे हैं। जबकि इस पेंशन के वही हकदार है, जिनके परिवार की आमदनी 50 हज़ार सालाना से कम हो। लेकिन इस सोसायटी के गेट पर गार्ड का काम करने वाले रामस्वरुप को आज तक पेंशन नहीं मिली। सवाल ये उठता है कि क्या निगम के पेंशन का लाभ जरूरतमंदों को मिल रहा है?
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
पेंशन घोटाला, दिल्ली पेंशन स्कैम, एमसीडी, दक्षिण दिल्ली नगर निगम, Delhi Pension Scam, MCD, South Delhi Municipal Corporation