संसद की रक्षा मामलों से जुड़ी स्थायी समिति ने सैन्य क्षेत्र की ज़रूरतों को लेकर रक्षा मंत्रालय को उसके लचर रवैये के लिए धो डाला है। 16वीं लोकसभा के कार्यकाल में समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट में ही सैन्य ज़रूरतों से जुड़े अलग-अलग आयामों पर टैंकों, मिसाइलों, गोला बारूद, प्रूफ जैकेट्स और नाइट विज़न उपकरणों के मामले में गंभीर कमियों का ज़िक्र करते हुए रक्षा मंत्रालय के सामने ढेरों सवाल खड़े कर दिए हैं।
1. टैंक
समिति ने कहा है कि सेना के पास टैंकों की उपलब्धता ज़रूरत से काफी कम है। समिति ने अनुशंसा की है कि मित्र देशों और वैश्विक बाज़ार में कई तरह के टैंकों की मौजूदगी के मद्देनज़र सेना को अपना टैंक खुद चुनने की आज़ादी दी जानी चाहिए। समिति के अनुसार, मंत्रालय को टैंकों की ज़रूरत का सही आकलन कर ज़रूरत पड़े तो सेना को अतिरिक्त राशि देनी चाहिए। समिति ने कहा है कि एमबीटी अर्जुन टैंक के प्रदर्शन पर सेना की संतुष्टि के बारे में मंत्रालय ने उसको जानकारी मुहैया ही नहीं कराई।
2. मिसाइल
समिति ने मिसाइलों के महत्व का ज़िक्र करते हुए रिपोर्ट में मिसाइलों के लिए वाहनों की कमी पर चिंता जताई है। समिति ने कहा है कि अगर बीईएमएल किसी कारणवश मिसाइलें ढोने वाले वाहन उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं है तो निजी क्षेत्र से बात की जानी चाहिए।
3. गोला-बारूद
सेना में गोला-बारूद की कमी को रेखांकित करते हुए समिति ने रक्षा मंत्रालय से फौरन कदम उठाने की मांग की है। समिति ने गोला-बारूद की मौजूदा स्थिति के बारे में चेतावनी देते हुए कहा है, "अन्यथा उसके विचार में लंबी अवधि तक युद्ध झेलना देश के बूते की बात नहीं होगी..." समिति ने इस बारे में सेना को धनराशि उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है। समिति ने खेद जताते हुए कहा है कि इस बारे में मंत्रालय ने मुहैया कराए जा सकने वाले तथ्य भी छिपाने की कोशिश की है, जो उसे अस्वीकार्य है।
4. बुलेटप्रूफ जैकेट
बुलेटप्रूफ जैकेटों की कमी के बारे में समिति ने कहा है कि अक्टूबर, 2009 में रक्षा खरीद परिषद ने 1,86,138 जैकेट खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जो किन्हीं कारणों से पूरा नहीं हो पाया। आज पांच साल बाद यह आंकड़ा और ज़्यादा बढ़ चुका होगा। समिति के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने बुलेटप्रूफ जैकेटों की आवश्यकता, मौजूदा स्थिति और विकसित देशों की सेनाओं द्वारा इस्तेमाल बुलेटप्रूफ जैकेटों से जुड़ी जानकारी मांगे जाने पर कोई जवाब ही नहीं दिया है। समिति ने इतने अहम जीवनदायी उपकरण के बारे में ढिलाई बरतने के लिए मंत्रालय से कहा है कि वह इस काम को फास्ट ट्रैक बेसिस पर ले। समिति ने पांच साल में भी इस कमी के पूरा न होने पर नाखुशी ज़ाहिर की है।
5. नाइट विज़न उपकरण
नाइट विज़न उपकरणों की ज़रूरत का ज़िक्र करते हुए समिति ने कहा है कि इस बारे में उसने सेना और मंत्रालय के नजरिये और संतुष्टि के स्तर में अंतर पाया है। नाइट विज़न उपकरणों के अभाव में रक्षा तैयारी पर खराब असर पड़ सकता है। समिति ने कहा है कि शायद योजना तैयार करते समय इस बारे में मंत्रालय सेना को विश्वास में नहीं लेता।
समिति ने कहा है कि रक्षा उपकरणों और सेना से जुड़े बहुत से तथ्य न दिए जाने के कारण वह गंभीरता से चाहती है कि इस बारे में जानकारी मुहैया कराई जाए। इस समिति के अध्यक्ष सेना में 36 सालों तक सेवा देने वाले मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं