लोक लेखा समिति (PAC) कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर सरकार द्वारा उठाए कदमों और इस संकट से निपटने के लिए बनाए गए नए पीएम केयर्स फंड (PM CARES) की जांच नहीं करेगी. समिति बैठक में इस मामले में सभी सदस्यों की सर्वसम्मति बनाने में नाकाम रही. लोक लेखा समिति, सबसे अहम संसदीय समितियों में से एक है. यह ऑडिटर जनरल की ओर से पेश रिपोर्टों की जांच-पड़ताल करती है. पीएसी 2जी स्पेक्ट्रम जैसे अहम मामले की जांच कर चुकी है.
लोक लेखा समिति के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सदस्यों से देश के बारे में सोचने और अपनी अंतरात्मा से काम करने और इस महत्वपूर्ण विषय पर आम सहमति बनाने की अपील की थी. चौधरी लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं. सूत्रों के मुताबिक, पीएसी में बैठक में शामिल बीजेपी सदस्य स्पष्ट तौर पर कोरोना संकट के सरकारी प्रबंधन के जांच-पड़ताल के अधीर रंजन चौधरी के प्रस्ताव को रोक दिया. बैठक में पीएसी में शामिल बीजेपी के सभी सदस्य मौजूद थे.
बैठक में शामिल शख्स ने एनडीटीवी को बताया कि बीजू जनता दल के नेता भृतहरि महतानी से बीजेपी को सबसे ज्यादा समर्थन मिला है. प्रस्ताव के समर्थन में विपक्ष के संख्या बल था. डीएमके नेता टीआर बालू उन कुछ लोगों में से थे, जिन्होंने विपक्ष के प्रस्ताव का समर्थन किया.
कुछ विपक्षी नेताओं का दावा है कि बीजेपी कोरोना महामारी और उससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों की जांच से इसलिए बचना चाहती है कि इससे पीएम केयर्स फंड पर करीब नजर रखी जा सकती है. पीएम केयर्स फंड कैग के अधीन नहीं आता है.
संसदीय समिति की बैठक में बीजेपी की अगुवाई कर रहे वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव ने पीएम केयर्स फंड की जांच पड़ताल के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पीएम केयर्स की फंडिंग संसद द्वारा स्वीकृत नहीं है और इस वजह से लोक लेखा समिति इस मामले की जांच नहीं कर सकती है.
इस फैसले के बाद, लोक लेखा समिति दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन और कोरोनावायरस से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जांच-पड़ताल और विश्लेषण नहीं कर पाएगी.
हालांकि, लोक लेखा समिति भारत-चीन सैन्य गतिरोध के बीच एलएसी पर बनाए जा रही सड़क एवं अन्य मूलभूत ढांचे और सैन्य बलों के लिए कपड़े की खरीद की समीक्षा करने पर राजी हुई है.
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