कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के बीच सांसदों के वेतन में कटौती करने की करने की तैयारी हो चुकी है. COVID-19 महामारी से पैदा हुए आपात संकट से निपटने के लिए सांसदों के वेतन में एक साल के लिए 30 प्रतिशत की कटौती से जुड़ा विधेयक आज संसद में पास हो गया है. राज्यसभा (Rajya Sabha) ने संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेशन (संशोधन) विधेयक, 2020 पास कर दिया है. लोकसभा (Lok Sabha) में इस विधेयक को मंगलवार को ही मंजूरी मिल गई थी.
संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी (Pralhad Joshi) ने गुरुवार को उच्च सदन (राज्यसभा) में सांसदों के वेतन और भत्तों में कटौती से संबंधित विधेयक पेश किया था. उच्च सदन ने मंत्रियों के वेतन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, 2020 को भी पारित कर दिया, जिसमें कोरोना से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए मंत्रियों के वेतन और भत्तों में एक साल तक के लिए 30 प्रतिशत की कटौती शामिल है.
गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने विधेयक पेश किया. दोनों बिल को एक साथ रखा गया है और दोनों बिल ध्वनि मत से पारित हो गए. इस धनराशि का उपयोग कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिये किया जायेगा.
दोनों विधेयकों पर एक साथ हुई संक्षिप्त चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के श्वेत मलिक ने कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी है और इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सांसदों व मंत्रियों को नमन करना चाहते हैं जो सबसे पहले अपने वेतन में कटौती के लिए तैयार हुए. उन्होंने कहा कि शुरूआत घर से ही होनी चाहिए. इसके बाद ही सांसद आम लोगों को प्रोत्साहित कर सकेंगे.
विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महामारी के दौर में हर मुख्यमंत्री से बातचीत की और उनसे सहमति ली. उन्होंने कहा कि हर मुख्यमंत्री को लॉकडाउन संबंधी दिशानिर्देशों में जरूरी बदलाव करने की अनुमति दी गई.
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा तैयार करने की ओर ध्यान नहीं दिया जिस वजह से देश में वेंटिलेटर बनाने की पर्याप्त सुविधा नहीं विकसित हुयी. मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जनता को कोरोना वायरस से बचाने के लिए लॉकडाउन लागू किया.
(भाषा के इनपुट के साथ)
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