नई दिल्ली:
पाकिस्तान की जेल में बर्बर हमले के बाद लाहौर अस्पताल में दम तोड़ने वाले भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने पाकिस्तान पर भारत की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह पाकिस्तानी जेलों में बंद 'अन्य सरबजीतों' के लिए लड़ेंगी।
सरबजीत को पाकिस्तान की जेल से रिहा कराने के लिए संघर्ष करने वाली दलबीर ने बुधवार देर रात अपने भाई को खो दिया। भावुक दलबीर ने कहा कि भारत में एक के बाद एक सत्ता में आने वाली सरकारें गलत पहचान का शिकार हुए उनके भाई को देश वापस लाने में असमर्थ रहीं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, उन्होंने पहले अटल बिहारी वाजपेयी की पीठ में छुरा घोंपा और अब उन्होंने (प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह के साथ विश्वासघात किया। उन्होंने मेरे भाई की हत्या करके भारत की भावनाओं पर हमला किया है। मेरा भाई देश के लिए शहीद हो गया। दलबीर ने कहा, (पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली) जरदारी ने चुनाव (में जीत दर्ज करने) के लिए मेरे भाई की हत्या की। मैं पाकिस्तानी जेल में बंद 'अन्य सरबजीतों' के लिए लड़ूंगी।
उन्होंने कहा कि वह 2005 से सरबजीत का मामला उठा रही हैं, लेकिन सरकार ने उनकी रिहाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा, यदि इस संबंध में कदम उठाए गए, होते तो वह आज जीवित होता। दलबीर ने यह भी दावा किया कि एक पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता ने उनके भाई की रिहाई के लिए कम से कम दो करोड़ रुपये की मांग की थी।
उन्होंने कहा, यदि मैंने दो करोड़ रुपये दे दिए होते, तो मेरा भाई आज जिंदा होता। उस व्यक्ति ने मेरे भाई की रिहाई के लिए दो करोड़ रुपये मांगे थे। मैंने जब कहा कि मैं एक गरीब परिवार से संबंध रखती हूं, तो उस व्यक्ति ने कहा कि यदि आप 25 करोड़ रुपये नहीं दे सकती, तो आपको कम से कम दो करोड़ रुपये देने ही होंगे। दलबीर ने कहा, उस व्यक्ति ने मुझसे कहा था कि यदि आप सुबह रुपये देंगी, तो सरबजीत शाम को रिहा हो जाएगा और यदि आप शाम को रुपये देंगी, तो वह अगले दिन सुबह रिहा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है और कहा है कि सरबजीत को सम्मानित किया जाएगा।
सरबजीत को पाकिस्तान की जेल से रिहा कराने के लिए संघर्ष करने वाली दलबीर ने बुधवार देर रात अपने भाई को खो दिया। भावुक दलबीर ने कहा कि भारत में एक के बाद एक सत्ता में आने वाली सरकारें गलत पहचान का शिकार हुए उनके भाई को देश वापस लाने में असमर्थ रहीं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, उन्होंने पहले अटल बिहारी वाजपेयी की पीठ में छुरा घोंपा और अब उन्होंने (प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह के साथ विश्वासघात किया। उन्होंने मेरे भाई की हत्या करके भारत की भावनाओं पर हमला किया है। मेरा भाई देश के लिए शहीद हो गया। दलबीर ने कहा, (पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली) जरदारी ने चुनाव (में जीत दर्ज करने) के लिए मेरे भाई की हत्या की। मैं पाकिस्तानी जेल में बंद 'अन्य सरबजीतों' के लिए लड़ूंगी।
उन्होंने कहा कि वह 2005 से सरबजीत का मामला उठा रही हैं, लेकिन सरकार ने उनकी रिहाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा, यदि इस संबंध में कदम उठाए गए, होते तो वह आज जीवित होता। दलबीर ने यह भी दावा किया कि एक पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता ने उनके भाई की रिहाई के लिए कम से कम दो करोड़ रुपये की मांग की थी।
उन्होंने कहा, यदि मैंने दो करोड़ रुपये दे दिए होते, तो मेरा भाई आज जिंदा होता। उस व्यक्ति ने मेरे भाई की रिहाई के लिए दो करोड़ रुपये मांगे थे। मैंने जब कहा कि मैं एक गरीब परिवार से संबंध रखती हूं, तो उस व्यक्ति ने कहा कि यदि आप 25 करोड़ रुपये नहीं दे सकती, तो आपको कम से कम दो करोड़ रुपये देने ही होंगे। दलबीर ने कहा, उस व्यक्ति ने मुझसे कहा था कि यदि आप सुबह रुपये देंगी, तो सरबजीत शाम को रिहा हो जाएगा और यदि आप शाम को रुपये देंगी, तो वह अगले दिन सुबह रिहा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है और कहा है कि सरबजीत को सम्मानित किया जाएगा।
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