90 साल के जाने माने चित्रकार रामकुमार चोरों की हरकत के शिकार हो गए हैं। कला के क्षेत्र में 2010 में पद्म भूषण और 1972 में पद्मश्री सम्मानों से नवाजे जा चुके रामकुमार की तीन बेशकीमती पेंटिंग्स उनके ही घर से चोरी चली गईं।
रामकुमार के बेटे का कहना है कि ये पेंटिंग्स सैड टॉउन सीरीज की है, जो 1955 से 1960 के बीच बनाई गईं थीं।
प्रीत विहार इलाके की आर्टिस्ट कॉलोनी में रहने वाले रामकुमार के मुताबिक घर के बेसमेंट में रखी ये पेंटिंग्स करीब 10 करोड़ रुपये की थीं। इन्हें ललित कला अकादमी अवार्ड भी मिल चुका है और इसी सीरीज की एक पेंटिंग लंदन में करीब चार करोड़ में बिक भी चुकी थी।
वहीं, देश के बड़े चित्रकारों का मानना है कि कुछ खास मापदंड पेंटिंग्स की कीमत तय करते हैं और रामकुमार का इसमें कोई जबाब नहीं है।
मुंबई के चित्रकार कमलकांत का कहना है कि किसी भी पेंटिंग की हिस्टोरिकल वैल्यू कला में उसकी गहराई, उसकी उम्र और चित्रकार के ओहदे से पेंटिंग की कीमत आंकी जाती है। यदि कलाकार की मौत हो गई हो तो उसकी पेंटिंग की कीमत और बढ़ जाती है।
दिल्ली पुलिस ने रामकुमार की शिकायत पर प्रीत विहार थाने में चोरी की एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच जारी है। लेकिन, सवाल सिर्फ पैसे या पेंटिंग्स का नहीं किसी कलाकार की पूंजी का है।
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