राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( Rashtriya Swayamsevak Sangh) के प्रमुख मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat) का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा है कि भारत की विचारधारा सबको साथ लेकर चलने की है. विभाजन के समय भारत को जो पीड़ा हुई, उसे कभी भूलना नहीं चाहिए. हिंदू समाज को विश्व का भला करने के लिए सक्षम बनना चाहिए. उक्त बातें मोहन भागवत मंगलवार को नोएडा में कृष्णानंद सागर की पुस्तक "विभाजनकालिन भारत के साक्षी" के विमोचन समारोह के दौरान कह रहे थे. उन्होंने कहा कि इतिहास को पढ़ना चाहिए और इसकी सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए.
'हमें धर्मांतरण नहीं कराना, जीवन जीने का तरीका बदलना है': मोहन भागवत
भागवत ने कहा कि विभाजन के समय भारत को जो पीड़ा हुई, नहीं भूलना चाहिए. यह पीड़ा तभी दूर होगी, जब विभाजन दूर हो जाएगा. पहले के समय में टकराव का यही प्रमुख कारण था. उन्होंने कहा कि आक्रमणकारियों ने 1857 की क्रांति के बाद अलगाव को बढ़ावा दिया. आरएसएस प्रमुख ने कहा, "यह 2021 का भारत है, 1947 का नहीं. एक बार बंटवारा हो गया. अब यह दोबारा नहीं होगा."
विमोचन समारोह के दौरान पुस्तक के लेखक कृष्णानंद सागर ने कहा कि किताब लिखने की प्रेरणा उन महान हस्तियों से आई, जिन्होंने धार्मिक कट्टरपंथियों से आजादी के पहले और बाद में देश की रक्षा की. कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि विद्या भारती ने कहा कि हमें इतिहास में हिंदुओं के संघर्ष से सीखने की जरूरत है. हमें गलत तरीके से इतिहास पढ़ाया गया है.
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