देश के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabhaswamy Temple) कोरोना काल (Coronavirus) के चलते सरकार को 11.70 करोड़ रुपये नहीं चुका पा रहा है. इसके लिए मंदिर प्रशासनिक समिति ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी लगाकर कहा है कि वो कोरोना के चलते केरल सरकार को ये रुपये नहीं चुका पा रहे हैं क्योंकि महामारी की वजह से मंदिर में ज्यादा दान नहीं आया. इसके लिए समिति ने सुप्रीम कोर्ट से रकम चुकाने के लिए और समय मांगा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि केरल सरकार इस पर फैसला करे. सुप्रीम कोर्ट सितंबर में मामले की सुनवाई करेगा. 13 जुलाई 2020 को केरल के तिरुवनन्तपुरम स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन और अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था.
केरल के मंदिर से बेशकीमती हीरे गायब, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा पर नहीं दिया कोई नया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के लिए प्रशासनिक और सलाहकार समिति का गठन किया था. अदालत ने आदेश दिया था कि केरल सरकार मंदिर की सुरक्षा और रखरखाव के लिए खर्च देगी जिसे बाद में मंदिर प्रशासन द्वारा इसे सरकार को चुकाया जाएगा. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि शासक की मृत्यु के बावजूद पद्मनाभस्वामी मंदिर में त्रावणकोर परिवार का अधिकार जारी रहेगा. जिला न्यायाधीश के साथ ही परिवार द्वारा दी गई योजना जारी रहेगी. प्रथा के अनुसार, शासक की मृत्यु पर परिवार का शबैत मतलब प्रबंधन का अधिकार बरकरार रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "2011 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति अंतरिम रूप से जारी रहेगी. शाही परिवार फाइनल समिति का गठन करेगा. तिजोरी बी को खोला जाए या नहीं, ये शाही परिवार द्वारा बनाई गई फाइनल समिति तय करेगी." सुप्रीम कोर्ट में केरल के तिरुवनन्तपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर प्रबंधन और प्रशासन का विवाद नौ सालों से लंबित था.
केरल हाईकोर्ट के फैसले को त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रु. की संपत्ति है. भगवान पद्मनाभ (विष्णु) के इस भव्य मंदिर का पुननिर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था. इसी शाही परिवार ने 1947 में भारतीय संघ में विलय से पहले दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया था.
स्वतंत्रता के बाद भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार नियंत्रित ट्रस्ट ही करता रहा है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने 10 अप्रैल 2019 को मामले में केरल हाईकोर्ट के 31 जनवरी 2011 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
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