यह ख़बर 26 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सोनिया से अलग-अलग मिले प्रणब और चिदम्बरम

खास बातें

  • 2जी पर वित्त मंत्रालय की टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के मद्देनजर सोनिया गांधी से प्रणब मुखर्जी और पी. चिदम्बरम ने अलग-अलग मुलाकात की।
नई दिल्ली:

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय की टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के मद्देनजर सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने अलग-अलग मुलाकात की। प्रणब मुखर्जी सोमवार को अमेरिका से लौटने के कुछ देर बाद सोनिया गांधी से मिले। इस मुलाकात को बहुत अहम माना जा रहा है। प्रणब से ठीक पहले केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने सोनिया से मुलाकात की थी। 2जी मामले में अपने मंत्रालय की टिप्पणी के सम्बंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ न्यूयार्क में बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यह मामला विचाराधीन है और कोई प्रतिक्रिया देने से पहले उन्हें अपने सहयोगी केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम से बात करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री के साथ मुखर्जी की बैठक 45 मिनट तक चली थी। बैठक के बाद होटल में जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में मुखर्जी ने भारतीय पत्रकारों से पूछा, "जब तक मैं केंद्रीय कानून मंत्री से इस मसले पर बात नहीं कर लेता, जब तक मैं केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम से चर्चा नहीं कर लेता और जब तक मैं पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श और प्रासंगिक सभी दस्तावेजों को देख नहीं लेता तब तक मैं कौन सा बयान दूंगा?" उद्वेलित मुखर्जी ने कहा, "और मुझे एक घरेलू मुद्दे पर विदेश में बयान क्यों देना चाहिए? क्या मेरा यहां बयान देना उचित है। मैं कोई वकील नहीं हूं। मुझे इस पर विशेषज्ञों की राय लेनी है। इसके पहले इस मामले में किसी प्रकार की टिप्पणी करना मेरे लिए उचित नहीं होगा।" उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को जो टिप्पणी भेजी गई है उसमें कहा गया है कि वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे चिदम्बरम यदि चाहते तो 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की नीलामी हो सकती थी और राजस्व को पहुंचे हजारों करोड़ रुपये के नुकसान से बचा जा सकता था। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की यह टिप्पणी सूचना का अधिकार के तहत सार्वजनिक हुई है। मंत्रालय के एक उप सचिव द्वारा तैयार की गई इस टिप्पणी को गत 25 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया और यह टिप्पणी भेजे जाने से पहले मुखर्जी को दिखाई गई थी।


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