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This Article is From Sep 24, 2020

राफेल डील पर CAG की रिपोर्ट पर गरमाई राजनीति, चिदंबरम ने पूछा- क्या गड़बड़ियों का पिटारा खुला है?...

संसद में रखी गई CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय की जिस ऑफसेट पॉलिसी के तहत राफेल डील हुई है, उसमें यह प्रावधान है कि राफेल बनाने वाली दसॉ एविएशन भारत को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी सहायता देगी, लेकिन फ्रेंच कंपनी ने अभी तक अपनी यह जिम्मेदारी नहीं निभाई है.

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राफेल डील पर CAG की रिपोर्ट पर गरमाई राजनीति, चिदंबरम ने पूछा- क्या गड़बड़ियों का पिटारा खुला है?...
दसॉ एविएशन पर सवाल उठाते हुए CAG ने अपनी नई रिपोर्ट पब्लिश की है. (चिदंबरम की फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

राफेल डील में फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) को लेकर राष्ट्रीय नियंत्रण व महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor of India) की नई रिपोर्ट पर राजनीति पर गरमा गई है. कांग्रेस ने एक बार फिर से 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए हुए 58,000 करोड़ की राफेल डील के मुद्दे पर मोदी सरकार से सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं. दरअसल, संसद में रखी गई CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय की जिस ऑफसेट पॉलिसी के तहत राफेल डील हुई है, उसमें यह प्रावधान है कि राफेल बनाने वाली दसॉ एविएशन भारत को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी सहायता देगी, लेकिन फ्रेंच कंपनी ने अभी तक अपनी यह जिम्मेदारी नहीं निभाई है.

इसपर कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कई ट्वीट किए. उन्होंने लिखा, 'CAG को पता चला है कि राफेल एयरक्राफ्ट के वेंडर्स ने अभी तक ऑफसेट समझौते के तहत टेक्निकल सहायता देने की शर्त को पूरा नहीं किया है.' उन्होंने लिखा कि 'ऑफसेट दायित्व 23 सितंबर, 2019 को शुरू हो जाने चाहिए थे और उन्हें 23 सितंबर 2020 को खत्म हो जाना चाहिए था, जो कल था. क्या सरकार ये कहेगी कि ये दायित्व पूरे किए गए हैं? क्या कैग की रिपोर्ट गड़बड़ियों का पिटारा खोल रही है?'

अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि '36 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) से जुड़े चार समझौतों के ऑफसेट में वेंडर दसॉ एविएशन और MBDA ने शुरुआत में (सितंबर, 2015) में प्रस्ताव रखा था कि वो अपनी ऑफसेट दायित्वों में से 30 फीसदी दायित्वों का पालन DRDO को उच्च श्रेणी की तकनीक देकर पूरा करेगा.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'DRDO को हल्के लड़ाकू विमान के लिए (कावेरी) इंजन को देश में ही विकसित करने लिए उनसे तकनीकी सहायता चाहिए थी, लेकिन आज की तारीख तक वेंडर ने इस टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया है.' CAG ने रक्षा मंत्रालय को यह सलाह दी है कि उसे अपनी ऑफसेट नीति और इसके कार्यान्वयन की समीक्षा करना चाहिए. एजेंसी ने कहा है कि मंत्रालय को यह जानने की जरूरत है कि यह नीति दोनों पक्षों के लिए कहां समस्या पैदा कर रही है और इसे कैसे सुधारा जा सकता है.

Video: CAG की रिपोर्ट में दसॉ एविएशन पर सवाल

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