दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल यादव की चिट्ठी के दम पर उनके दामाद अजय यादव को यूपी में मिली पोस्टिंग की खबर एनडीटीवी इंडिया पर आने के बाद सवाल खड़े हुए। पहली प्रतिक्रिया दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से आई जिन्होंने इस ख़बर को ट्वीट कर कहा - 'प्रिय पीएम, सीएम को अपना स्टाफ चुनने की छूट है। लेकिन आपने मुझे संजीव चतुर्वेदी को अपना ओएसडी नहीं बनाने दिया। अब आप दूसरों के लिए नियम बदल रहे हैं।'
जाहिर है केजरीवाल का इशारा एम्स के पूर्व सीवीओ और 2002 बैच के वन सेवा अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की ओर है, जिन्हें केजरीवाल अपना ओएसडी बनाना चाहते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस पोस्टिंग के लिए मंजूरी नहीं दी, जिससे दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच काफी विवाद हुआ। अब शिवपाल यादव के दामाद को नियमों में ढील देकर दी गई इस पोस्टिंग ने केजरीवाल समेत राजनीतिक विरोधियों को हमले का मौका दिया है।
संसद के बाहर इस मामले पर पूछे गए सवाल पर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने पत्रकारों से कहा कि ये दिखाता है कि बाहर से राजनीतिक विरोधी दिखने वाली बीजेपी और समाजवादी पार्टी असल में आपस में मिले हुए हैं। एनडीटीवी इंडिया ने सोमवार को दिखाया था कि कैसे तमिलनाडु काडर के 2010 बैच के आईएएस अजय यादव को तमिलनाडु से यूपी में पोस्टिंग दिलाने के लिए शिवपाल यादव ने प्रधानमंत्री को खत लिखा और अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया, जबकि कार्मिक मंत्रालय यादव की अर्जी को पहले ही ठुकरा चुका था। पीएमओ की ओर से लिखी चिट्ठी के बाद भी कार्मिक मंत्रालय ने इस पोस्टिंग के खिलाफ ही राय दी थी।
(पढ़ें :शिवपाल के दामाद को नियमों में ढील देकर केंद्र ने दिया डेप्युटेशन)
लेकिन वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता और सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि इस पोस्टिंग में कुछ भी गलत नहीं है। एनडीटीवी इंडिया के सवाल पूछने पर रामगोपाल यादव ने कहा, 'क्या ये इस तरह की पोस्टिंग का पहला मामला है? आप डीओपीटी से पता कीजिए कि इससे पहले कितनी पोस्टिंग इस तरह दी गई हैं। आपको कुछ पता नहीं है। डीओपीटी प्रधानमंत्री से ऊपर नहीं है। प्रधानमंत्री कुछ भी कर सकते हैं और वह नियमों में छूट देकर इस तरह पोस्टिंग दे सकते हैं।'
केंद्र सरकार और अजय यादव दोनों ने अब तक एनडीटीवी इंडिया की ओर से भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए हैं। दस्तावेज बताते हैं कि अजय यादव ने अपने मूल काडर तमिलनाडु में 9 साल की नौकरी पूरी नहीं की थी, जो डेप्युटेशन के लिए जरूरी शर्त है। इसके अलावा कार्मिक मंत्रालय ने यूपी में पोस्टिंग के लिए दी गई उनकी वजहों को भी सामान्य बताया था और कहा था कि नियमों के तहत उनको डेप्लेयुटेशन नहीं दिया जा सकता।
Dear PM, CM is allowed 2 choose personal staff. But u denied Sanjiv Chat as my OSD. N u bend laws to favor others?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 26, 2016
https://t.co/oleX64Fzfj
जाहिर है केजरीवाल का इशारा एम्स के पूर्व सीवीओ और 2002 बैच के वन सेवा अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की ओर है, जिन्हें केजरीवाल अपना ओएसडी बनाना चाहते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस पोस्टिंग के लिए मंजूरी नहीं दी, जिससे दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच काफी विवाद हुआ। अब शिवपाल यादव के दामाद को नियमों में ढील देकर दी गई इस पोस्टिंग ने केजरीवाल समेत राजनीतिक विरोधियों को हमले का मौका दिया है।
संसद के बाहर इस मामले पर पूछे गए सवाल पर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने पत्रकारों से कहा कि ये दिखाता है कि बाहर से राजनीतिक विरोधी दिखने वाली बीजेपी और समाजवादी पार्टी असल में आपस में मिले हुए हैं। एनडीटीवी इंडिया ने सोमवार को दिखाया था कि कैसे तमिलनाडु काडर के 2010 बैच के आईएएस अजय यादव को तमिलनाडु से यूपी में पोस्टिंग दिलाने के लिए शिवपाल यादव ने प्रधानमंत्री को खत लिखा और अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया, जबकि कार्मिक मंत्रालय यादव की अर्जी को पहले ही ठुकरा चुका था। पीएमओ की ओर से लिखी चिट्ठी के बाद भी कार्मिक मंत्रालय ने इस पोस्टिंग के खिलाफ ही राय दी थी।
(पढ़ें :शिवपाल के दामाद को नियमों में ढील देकर केंद्र ने दिया डेप्युटेशन)
लेकिन वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता और सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि इस पोस्टिंग में कुछ भी गलत नहीं है। एनडीटीवी इंडिया के सवाल पूछने पर रामगोपाल यादव ने कहा, 'क्या ये इस तरह की पोस्टिंग का पहला मामला है? आप डीओपीटी से पता कीजिए कि इससे पहले कितनी पोस्टिंग इस तरह दी गई हैं। आपको कुछ पता नहीं है। डीओपीटी प्रधानमंत्री से ऊपर नहीं है। प्रधानमंत्री कुछ भी कर सकते हैं और वह नियमों में छूट देकर इस तरह पोस्टिंग दे सकते हैं।'
केंद्र सरकार और अजय यादव दोनों ने अब तक एनडीटीवी इंडिया की ओर से भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए हैं। दस्तावेज बताते हैं कि अजय यादव ने अपने मूल काडर तमिलनाडु में 9 साल की नौकरी पूरी नहीं की थी, जो डेप्युटेशन के लिए जरूरी शर्त है। इसके अलावा कार्मिक मंत्रालय ने यूपी में पोस्टिंग के लिए दी गई उनकी वजहों को भी सामान्य बताया था और कहा था कि नियमों के तहत उनको डेप्लेयुटेशन नहीं दिया जा सकता।
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