फाइल फोटो
संसद के मौजूदा मानसून सत्र में बुधवार को कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार के यहां छापों का मुद्दा संसद में गूंजा. यह मुद्दा इसलिए भी ज्यादा गूंजा क्योंकि इस मंत्री के रिसॉर्ट में गुजरात के 44 विधायक ठहरे हुए हैं. आठ अगस्त को होने जा रहे राज्यसभा चुनावों के लिहाज से कांग्रेस ने इनको यहां ठहराया है. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी इनको तोड़ने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के लिए यह सीट इसलिए अहम है क्योंकि यहां से पांचवीं बार सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल चुनाव लड़ रहे हैं. इन सबके चलते सदन में कई अहम मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है:
1. नौकरियों का संकट
आईटी समेत कई अहम क्षेत्रों में छंटनी का दौर चल रहा है. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था की रफ्तार में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन नई नौकरियों का सृजन अपेक्षाकृत नहीं हो पा रहा है. इस मुद्दे पर जदयू नेता शरद यादव ने कहा भी था कि पीएम मोदी ने नौकरियां सृजित करने का वादा किया था लेकिन सरकार अपने इस वादे को पूरा करने में विफल रही है. हालांकि सरकार का कहना है कि यूपीए की तुलना में एनडीए का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है.
यह भी पढ़ें: बेंगलुरु में हुई छापेमारी का राज्यसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं : अरुण जेटली
2. जीएसटी का असर
नोटबंदी के प्रभाव और एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित असर की चर्चा होना बाकी है. निवेश और रोजगार पर इनका सीधा असर क्या होगा, इस पर भी बहस की दरकार है.
3. कर्ज माफी
यूपी के बाद महाराष्ट्र से लेकर तमिलनाडु तक किसानों की कर्ज माफी की उठ रही मांग के बाद यह ज्वलंत विषय बन चुका है. इसके चलते मध्य प्रदेश के मंदसौर में हिंसक घटनाएं भी हुईं. इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी बहस होनी चाहिए.
यह भी पढ़ें: डराओ मत, धमकाओ मत, डेमोक्रेसी में ऐसे काम नहीं चलता: संसद में मल्लिकार्जुन खड़गे
4. अमरनाथ आतंकी हमला
कश्मीर के हालात और हालिया अमरनाथ आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में सरकार की कश्मीर नीति के बारे में विपक्ष को सदन में जोरदार तरीके से आवाज उठानी चाहिए. अभी तक इस मुद्दे पर जो बहस हुई है, वह ज्यादातर शोर-शराबे की भेंट चढ़ चुकी है.
VIDEO: अमित शाह ने सांसदों की ली क्लास
5. मॉब लिंचिंग
देश के कई इलाकों में भीड़ की हिंसा के चलते कई लोगों की जानें गई हैं. इसके अलावा दलितों के खिलाफ अत्याचार की कई घटनाएं अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिली हैं. इन चिंताजनक घटनाओं पर सार्थक बहस की दरकार है.
1. नौकरियों का संकट
आईटी समेत कई अहम क्षेत्रों में छंटनी का दौर चल रहा है. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था की रफ्तार में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन नई नौकरियों का सृजन अपेक्षाकृत नहीं हो पा रहा है. इस मुद्दे पर जदयू नेता शरद यादव ने कहा भी था कि पीएम मोदी ने नौकरियां सृजित करने का वादा किया था लेकिन सरकार अपने इस वादे को पूरा करने में विफल रही है. हालांकि सरकार का कहना है कि यूपीए की तुलना में एनडीए का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है.
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2. जीएसटी का असर
नोटबंदी के प्रभाव और एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित असर की चर्चा होना बाकी है. निवेश और रोजगार पर इनका सीधा असर क्या होगा, इस पर भी बहस की दरकार है.
3. कर्ज माफी
यूपी के बाद महाराष्ट्र से लेकर तमिलनाडु तक किसानों की कर्ज माफी की उठ रही मांग के बाद यह ज्वलंत विषय बन चुका है. इसके चलते मध्य प्रदेश के मंदसौर में हिंसक घटनाएं भी हुईं. इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी बहस होनी चाहिए.
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4. अमरनाथ आतंकी हमला
कश्मीर के हालात और हालिया अमरनाथ आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में सरकार की कश्मीर नीति के बारे में विपक्ष को सदन में जोरदार तरीके से आवाज उठानी चाहिए. अभी तक इस मुद्दे पर जो बहस हुई है, वह ज्यादातर शोर-शराबे की भेंट चढ़ चुकी है.
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5. मॉब लिंचिंग
देश के कई इलाकों में भीड़ की हिंसा के चलते कई लोगों की जानें गई हैं. इसके अलावा दलितों के खिलाफ अत्याचार की कई घटनाएं अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिली हैं. इन चिंताजनक घटनाओं पर सार्थक बहस की दरकार है.
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