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सरकार के शीर्ष सूत्रों के अनुसार,सारे संसदीय बुलेटिन में उन सांसदों के नाम लिखे गए हैं, जिन्होंने सदन की कार्यवाही में बाधा डाली हो. पहले से ही तय किया था कि यह सत्र चलने नहीं देना है. 22 जुलाई को अश्विनी वैष्णव के हाथों से पेपर छीने गए थे. उस दिन 24 सांसदों के नाम लिए गए थे. सदन में सीटियां बजाई गईं. वीडियो रिकॉर्डिंग करके यूट्यूब में डाला गया. चेयर पर किताब फेंकी गईं. टेबल पर खडे होकर डांस तक किया गया, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. जो सांसद बोलना चाह रहे थे, उनके चेहरे के सामने प्लेकार्ड लगाया गया ताकि कैमरे पर प्लेकार्ड आएं. सरकार ने हर बार बातचीत की पेशकश की.
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विपक्षी नेता बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में आश्वासन देते थे, लेकिन फिर हंगामा करने लगते थे. 30 जुलाई, चार अगस्त, 10 और 11 अगस्त को हंगामा किया. नौ अगस्त को साबित हुआ कि विपक्ष के पास संख्या नहीं है. हर बार सरकार चेयर के पास जाती थी कि कार्रवाई हो लेकिन विपक्ष आश्वासन देता था कि अब सदन चलेगा. 11 अगस्त को चेयरमैन वेंकैया नायडू क्षुब्ध हो गए और उनके आंसू बहे. उन्होंने कहा कि वो पूरी रात सो नहीं सके. झूठा आरोप लगाया कि बाहर से
मार्शल लाए.
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एक वीडियो में साफ दिखा कि कांग्रेस की दो महिला सांसद लेडी मार्शल को खींच रही हैं. महिला मार्शल ने लिखित शिकायत दी कि उनके साथ हाथापाई हुई. वे घायल हुईं. सीपीएम सांसद ई करीम और देसाई ने मार्शलों का घेरा तोड़ने की कोशिश की. करीम ने एक मार्शल का गला पकड़ कर खींचने की कोशिश की. डोला सेन ने फंदा बनाया और दूसरी महिला सांसद शांता छेत्री के गले में डाल कर घुमाया. फूलो देवी नेताम और छाया वर्मा ने काग़ज़ फाड़े. प्रियंका चतुर्वेदी ने काग़ज़ फेंके
नासिर हुसैन ने संजय राउत को अधिकारियों पर धकेला. रिपुन बोरा ने एलईडी स्क्रीन निकालने की कोशिश की. संजय सिंह और प्रताप सिंह बाजवा की घटना 10 अगस्त की है. 11 अगस्त की घटना पर आज इसीलिए कार्रवाई की गई. अगर पिछले सत्र के हंगामे पर कार्रवाई न करते तो इसका मतलब यह नहीं कि हर सत्र के आखिर में हंगामा करो ताकि कार्रवाई न हो. सरकार के सूत्रों का कहना है कि हमने विपक्ष में रहते हुए कभी इस तरह का हिंसक हंगामा नहीं किया. हंगामे में पहले भी बिल पारित हुए. क्या करें? देश न चलाएं? विपक्षी दलों को ऊपर से आदेश आ जाता है कि सदन नहीं चलने देना चाहिए.
इनमें सदन में हंगामा करने को लेकर आपस का मुक़ाबला है. बाजवा टेबल पर चढ़े तो संजय सिंह भी चढ़ गए. कमेटी के लिए कई बार कहा गया लेकिन विपक्ष के कई दल तैयार नहीं हुए. सभापति ने कहा कि सदन में आकर माफी मांग लें. राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सांसद माफी नहीं मांगेंगे. उनकी ओर से वो बोलेंगे. सरकार ने कहा कि अलग-अलग सांसदों के लिए वो कैसे बोलेंगे? टीएमसी तो आपकी बात सुन नहीं रही. विपक्ष ने बहिष्कार की बात कही है. इस पर सरकार का कहना है कि देखते हैं. अगर विपक्ष अपनी ओर से कोई पेशकश करता है तो विचार करेंगे.
राज्यसभा के जिन 12 सांसदों को निलंबित किया गया है उनके नाम एल्मारम करीम (माकपा), फुलो देवी नेताम (कांग्रेस), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), बिनोय विस्वाम (भाकपा), राजमणि पटेल (कांग्रेस), डोला सेन ( तृणमूल कांग्रेस), शांत छेत्री ( तृणमूल कांग्रेस), सैयद नासिर हुसैन ( कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी ( शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना) और अखिलेश प्रसाद सिंह ( कांग्रेस) हैं. उप सभापति हरिवंश की स्वीकृति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसका प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दी.