ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, अर्धसैनिक बलों का जवान बनकर देते थे घटना को अंजाम

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने OLX  और QUIKR ऐप के जरिए बुज़ुर्गों को निशाना बनाने वाले ठगी के एक गैंग का पर्दाफाश किया है.

ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, अर्धसैनिक बलों का जवान बनकर देते थे घटना को अंजाम

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने OLX  और QUIKR ऐप के जरिए बुज़ुर्गों को निशाना बनाने वाले ठगी के एक गैंग का पर्दाफाश किया है.गैंग पीड़ितों को सेना और अर्धसैनिक बलों का जवान बताकर विश्वास जीतता था.ठगी के नूंह ,भरतपुर और मथुरा के त्रिकोणीय एंगल का भी पता चला है. पीड़ितों को फ़र्ज़ी पेटीएम स्क्रीनशॉट भेजकर QR कोड स्कैन करने के लिए कहा जाता था. इस मामले में पुलिस ने 10 आरोपी को गिरफ्तार किया है, पकड़े गए लोगों में 2 नाबालिग हैं.

बताते चले कि नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल में 300 से  ज्यादा शिकायतें मिलने के बाद यह कार्रवाई की गयी. जिनमें कहा गया था कि एक गैंग है जो सामान बेचने वाले एप के जरिये सामान बेचने और खरीदने के नाम पर ठगी करता है. जांच के बाद साइबर सेल ने हरियाणा के नूहं,बल्लबगढ़ और राजस्थान में छापेमारी कर पूरे गैंग को धर दबोचा,पकड़े गए लोगों में हुस्बान,,हसीब,यशवीर,शहज़ाद खान,सलीम, अज़ीज़ अख्तर,साकिर,फैज़ल,साजिद और साबिर हैं,जबकि 2 नाबालिग भी पकड़े गए हैं. 

कैसे करते थे ठगी

गैंग के लोग 2 तरह से ठगी करते थे. पहले खुद को आर्मी या अर्धसैनिक बलों का जवान बताते हुए OLX या QUIKR पर कार या बाइक बेचने के लिए उनकी फोटो डालते थे. फिर जब ग्राहक उनसे वाहन की फ़ोटो अलग से भेजने के लिए कहते तो आर्मी के नियमों का हवाला देते हुए कहते कि फ़ोटो भेजने के लिए रिलीज़ चार्ज लगेगा. फिर वाहन भेजने का भाड़ा, जीएसटी और हैंडलिंग चार्जे के नाम पर पैसे ले लेते थे. ई वालेट या अकॉउंट में पैसे आने के बाद आरोपी अपना मोबाइल बन्द कर देते थे. 

ठगी का दूसरा तरीका ये था कि अगर कोई OLX या QUIKR पर सामान बेचता था तो ये लोग उससे खरीददार बनकर संपर्क करते और फिर ई वालेट के माध्यम से पेमेंट की बात कहकर उसको स्पूफ़िंग एप के जरिये एक क्यूआर कॉड का स्क्रीनशॉट भेजते और जैसे हो बेचने वाला उस स्क्रीनशॉट को स्कैन करता उसके अकॉउंट में पैसे आने की बजाय निकल जाते थे. 

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ठगी का त्रिकोणीय एगल
ठगी के लिए सिम कार्ड असम और तेलंगाना से ट्रक ड्राइवरों के जरिये मंगाए जाते थे. ठगी के पैसे ट्रांसफर होकर जयपुर पहुंचते थेऔर ठगी का शिकार किसी तीसरी जगह होता था.