जनता कर्फ्यू का एक साल पूरा, फरवरी के मुकाबले कोरोना के मामलो में 5 गुना तक उछाल से फिर चिंता

Corona Virus One Year India :संक्रमण मामले सितंबर 2020 में महीने के 17वें दिन 97,894 मामले आए. लेकिन 1 फरवरी को यह गिरकर 8 हजार तक गिर गए, मगर कोरोना वायरस के फिर बढ़ती रफ्तार से 22 मार्च 2021 को 46 हजार से ज्यादा केस दर्ज किए गए.

जनता कर्फ्यू का एक साल पूरा, फरवरी के मुकाबले कोरोना के मामलो में 5 गुना तक उछाल से फिर चिंता

Corona Virus Cases :22 मार्च 2020 को एक दिन का जनता कर्फ्यू लगा था

नई दिल्ली:

देश में कोरोना वायरस (Corona Virus Cases India) की आहट के बीच आज ही के दिन 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू (Janata curfew) देश में लगाया गया था. मार्च आते-आते कोरोना के मामलों में दोबारा ऊंचे होते ग्राफ ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है.हालांकि देश में कोरोना के बढ़ते टीकाकरण (Corona Vaccination) और महामारी से मुकाबले के चाकचौबंद संसाधनों के कारण इस बार हम ज्यादा तैयार दिख रहे हैं.

देश में 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू के बाद 2 माह का लॉकडाउन (Lockdown) लगा था और देश में कोरोना के मामले (Corona Virus Cases)  सितंबर तक लगातार बढ़ते चले गए. अक्टूबर से मामलों में गिरावट आनी शुरू हुई थी, लेकिन फरवरी से इसमें फिर इजाफे चिंता बढ़ा दी है. देश में 16 सितंबर 2020 को रिकॉर्ड 98 हजार के करीब कोरोना के मामले दर्ज किए गए थे, जो एक वक्त कम होकर 20 हजार के नीचे आ गए थे. लेकिन ये फिर बढ़कर 46 हजार तक पहुंच गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की देशव्यापी कर्फ्यू की अपील पर करोड़ों लोग पूरे देश में 22 मार्च 2020 को अपने घरों में ही रहे और शाम को पांच बजे स्वास्थ्य कर्मियों और जरूरी सेवाओं से जुड़े अन्य लोगों का ताली, थाली और घंटी बजाकर आभार व्यक्त करने के वास्ते थोड़े समय के लिए घरों से बाहर निकले थे. 22 मार्च को देश में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 360 और मृतकों की संख्या महज 7 थी. जबकि देश में कोरोना वायरस का पहला मामला पिछले साल 30 जनवरी को केरल में सामने आया था जबकि पहली मौत 10 मार्च 2020 को कर्नाटक में हुई थी.

देश में 25 मार्च से 31 मई तक लॉकडाउन लगा, जिससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई. लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान को देखते हुए जून से ‘अनलॉक'के साथ आर्थिक गतिविधियां दोबारा शुरू की गईं. कोविड-19 के मामले बढ़ना शुरू हो गए और सितंबर तक भारत, अमेरिका के बाद कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह से प्रभावित दूसरा देश बन गया.

संक्रमण मामले सितंबर में महीने के 17वें दिन 97,894 मामले आए. भारत में पिछले साल 19 दिसंबर को कोरोना वायरस के मामलों की संख्या एक करोड़ के पार चली गई. देश में 14 दिसंबर (27,071 मामले) से ही रोजाना मामले 30,000 से नीचे रहे और इस साल दो फरवरी को महज 8,635 नए मामले रिपोर्ट हुए. 18 मार्च से देश में फिर से मरीज बढ़ने लगे और दैनिक मामलों की संख्या 30,000 के पार पहुंचना शुरू हो गई.

सोमवार को देश में संक्रमण के 46,951 नए मामले आए, जिसके बाद कुल मामले 1,16,46,081 हो गए. देश में पिछले सात दिनों में 2,60,742 नए मामले रिपोर्ट हुए हैं. रोजाना के नए मामले आठ जनवरी से 10 मार्च तक 20,000 से कम आए थे लेकिन इसके बाद संक्रमण के मामले बढ़ना शुरू हो गए.

वहीं देश में संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या भी बढ़कर 3,34,646 पहुंच गई है जो कुल मामलों का 2.87 प्रतिशत है. संक्रमण मुक्त होने की राष्ट्रीय दर 17 फरवरी को 97.33 प्रतिशत थी जो गिरकर 95.75 फीसदी पर आ गई है.
देश में 12 फरवरी को इलाजरत मामलों की संख्या सबसे कम 1,35,926 थी जो संक्रमण के कुल मामलों का 1.25 फीसदी थी. करीब 13 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश जनता कर्फ्यू घोषित होने से पहले कोरोना वायरस की चपेट से बाहर थे.

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भारत ने दो टीकों का उत्पादन शुरू किया, जिसमें एक भारत बायोटेक का स्वदेश में ही विकसित किया गया टीका ‘कोवैक्सीन' है और दूसरा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का ‘कोविशील्ड' है जिसका उत्पादन सीरम इंस्ट्टीयूट कर रहा है. 22 मार्च 2021 तक देश में 4.50 करोड़ से ज्यादा टीके की खुराकें लगाई जा चुकी हैं.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)